पाॅलीहाउस में टमाटर की खेती से किसानों की आय में बढ़ोत्तरी
मौसम में लगातार परिवर्तन के कारण खुले वातावरण में सब्जियों का उत्पादन और गुणवत्ता दोनों प्रभावित हो रही है जिससे किसानों को भारी आर्थिक क्षति का सामना करना पड़ रहा है। इस प्रकार की समस्याओं से बचने के लिए पाॅलीहाउस में सब्जियों का उत्पादन एक अच्छा विकल्प साबित हो रहा है। केन्द्र सरकार की योजना ”किसानों की लागत आधी करने और उत्पादकता बढ़ाने“ के लक्ष्य पर काम करते हुए भा.कृ.अनु.प.-केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, रहमानखेड़ा, लखनऊ में स्थित सुनियोजित कृषि विकास केन्द्र (पी.एफ.डी.सी.) को पौष्टिक तत्वों से भरपूर गुणवत्तायुक्त टमाटर के उत्पादन में बड़ी सफलता हासिल हुयी। यह केन्द्र अधिक उपज के लिए प्लास्टीकल्चर से सम्बन्धित कृषि एवं बागवानी की प्रौद्योगिकी परिष्करण एवं क्षमता संवर्धन पर मुख्यतः कार्य कर रहा है। विगत 5-6 वर्षों से टमाटर की संकर प्रजातियों पर शोध के उपरान्त यह पाया गया कि पाॅलीहाउस में टमाटर की कुछ विषेष किस्में जैसे- हिमषिखर, हिमसोना, एनएस-1218, अभिलाष, अविनाष-2, नवीन, सरताज प्लस, देव, शहंषाह, अर्का रक्षक, अर्का सम्राट एवं चेरी टमाटर का उत्पादन संरक्षित खेती के माध्यम से लम्बे समय तक सफलतापूर्वक किया जा सकता है। पाॅलीहाउस में पौधों का उत्पादन बाहर लगाये गये उसी प्रजाति के पौधों की उत्पादकता से लगभग 3-5 गुना अधिक पाया गया। कुछ प्रजातियों में इसका उत्पादन पाॅलीहाउस में 15-20 किग्रा. प्रति पौधा तक मिला जबकि उसी प्रजाति के बाहर लगाये पौधों में मात्र 5-8 किग्रा प्रति पौधा पाया गया। इसके साथ ही प्रमुख पौष्टिक तत्व लाइकोपीन, पेक्टिन एवं अन्य एंटीआॅक्सीडेंट्स की मात्रा चेरी टमाटर में सबसे ज्यादा (8.7 मिग्रा./100 ग्रा.) पायी गयी। पाॅलीहाउस में लगाये गये पौधों में फलों का एकसमान आकार, लाल रंग, अधिक भण्डारण क्षमता जो कि मूल्य निर्धारण का एक प्रमुख कारक है भी बाहर के फलों की तुलना में ज्यादा अच्छा पाया गया है। परियोजना अन्वेषक एवं प्रधान वैज्ञानिक डा. वी. के. सिंह बताते हैं कि यह सफलता पौधों में छत्र प्रबन्धन, टपक सिंचाई, तथा मल्चिंग तकनीक को अपनाकर मिली है। इस तकनीक के तहत टमाटर के पौधों के केवल दो शाखाओं को फसल के अन्त तक रखा जाता है। यह शाखायें जड़ से समान रूप से पोषण प्राप्त करती हैं। जिसके उपरान्त दोनों शाखाओं पर समान आकार व गुणवत्तायुक्त फल आते हैं। इस तकनीक से उत्पादन लागत में काफी कमी पायी गयी, जिससे टमाटर उत्पादन द्वारा किसानों की आय वृद्धि में समुचित बढ़ोत्तरी हो सकती है। सामान्यतः टमाटर के एक पौधे पर 8-12 गुच्छे आते हैं। एक गुच्छे में 6-10 टमाटर पाये जाते हैं। परन्तु कुछ प्रजातियों में 14-18 गुच्छे तथा एक गुच्छे में 8-10 फल पाये गये जिसमें एक फल का वजन लगभग 150-180 ग्राम तक होता है। परन्तु चेरी टमाटर के एक गुच्छे में 25 फल तक पाये गये हैं जिसमें एक टमाटर का वजन 15-25 ग्राम तक होता है। इसके साथ-साथ पाॅलीहाउस में टमाटर की पैदावार 6 महीने तक ली जा सकती है। इसमें लगभग 2500-3000 कुन्तल सामान्य प्रजाति के टमाटर तथा 800-1000 कुन्तल चेरी टमाटर प्रति हेक्टेयर उत्पादन किया जा सकता है। अतः इस नयी तकनीक को अपनाकर किसान टमाटर की फसल उत्पादन की लागत में कमी करके अपनी आय में 3-4 गुना तक बढ़ोत्तरी कर सकते हैं। चेरी टमाटर में प्रचुर मात्रा में पोषण तत्वों के कारण इसकी उपयोगिता दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है। पाॅलीहाउस ही एक सही विकल्प है जिससे इसकी आपूर्ति की जा सकती है। पाॅलीहाउस में टमाटर उत्पादन की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि उत्पादन का उच्चतम स्तर हमें तब प्राप्त हो जब बाजार में टमाटर का भाव अधिकतम हो जिससे किसान पाॅलीहाउस में टमाटर की खेती से कम समय में अधिक लाभ कमा सकें।
Due to continuous change in the weather, both the production and quality of vegetables are being affected in the open environment and farmers are facing huge losses. To avoid such problems, the production of vegetables in polyhouse is being considered as a good alternative to increase farmers’ income. Director of Central Institute of Horticulture (CISH) Shailendra Rajan pointed out that they were working to promote government’s policy of reducing input cost and increasing productivity. “Precision farming development centre (PFDC) located at CISH has achieved significant success in the production of quality tomato rich in nutrients. This centre is mainly working on the standardization of technology and capacity enhancement of agriculture and horticulture related to plastics for higher yield. After conducting research on tomato hybrids of the last 5-6 years, it was found that in polyhouse, there are some specific suitable varieties of tomatoes and cherry tomatoes which can be produced successfully through long-term sustainable farming. The plants in the polyhouse resulted in yield 3-5 times more than the productivity of the same crop in open conditions. “Some varieties produce 15-20 kg tomatoes in polyhouse conditions. In open conditions, they may produce 5-8 kg tomatoes per plant. Cherry tomatoes are the richest in major nutraceutical lycopene and other antioxidants. Plants cultivated in the polyhouse yielded uniform size and red coloured tomatoes, which is a major factor in indicating the market value. Dr. V.K. Singh, Principal Scientist and Project Investigator explained that success had been achieved by adopting canopy management drip irrigation, fertilizers applied with irrigation water and mulching in the plants. “Under this technique, after 20-25 days of planting, plants are pruned at the height of 30 cm to develop branches from the top cut and are allowed to grow. In this technique, there is a significant reduction in the cost of providing nutrients from fertilisation. Water use efficiency is increased and weeds are effectively controlled, thus this technology can increase the income of farmers by high productivity and low cost. Generally, a tomato plant yield 8-12 bunches and each bunch may have 6-10 tomatoes. But in some varieties, 14-18 bunches of 8-10 fruits per cluster have been harvested. Fruit weighs around 150-180 grams is attained in most of the varieties. But in a bunch of cherry tomatoes, 25 fruits have been found, weighing 15-25 grams,” he added. The scientists said that the storage capacity of tomatoes produced in the polyhouse was much higher than the fruits produced in the open due to number of fungi, yeast, bacteria which may affect the upper surface of the fruit is open conditions. “In addition, a tomato crop can be grown in the polyhouse for up to 6 months, whereas in the open environment it is roughly half the period. In the polyhouse, per hectare about 2500-3000 quintals of tomato and 800-1000 quintals of cherry tomatoes can be produced. Therefore, by adopting this new technique, farmers can increase their income by 3-4 times. The success of tomato production in the polyhouse depends on peak production when the price of tomatoes is very high in the market, so that farmers can make more profit in short time than tomatoes cultivation in the open conditions. Consumption of cherry tomato is increasing due to health benefits as they are rich in potassium, lycopene and many antioxidants which protect human body damage of cells, lowering risk of a number of chronic diseases, including heart disease and cancer. “With increasing awareness, the market of cherry tomatoes will definitely grow in India as well. Since, cherry tomatoes are mostly consumed as salad and for producing high quality fruits, polyhouse cultivation is the best option for meeting the demand.