Walkathon was organized on Udyanoday-2 incubation programme by ICAR-CISH, Lucknow in association with Lucknow UniversityA walkathon was organized on 8th November, 2024 by Hort-Ind Agri-Business Incubation Centre (Hort-Ind ABIC), ICAR-CISH, Lucknow at Botany Department, Lucknow University. The event was organized for the promotion and launch of Udyanoday-2 incubation programme by the Hort-Ind ABIC of ICAR-CISH, Lucknow. Dr. Ravi S.C. Scientist and Co-PI, Hort-Ind ABIC, ICAR-CISH briefed about the incubation programme and told that this is a one year incubation programme, especially designed for early stage startups in horticulture. He advocated that it is a great opportunity for students to begin their career through startups in horticulture. Walkathon was coordinated by Prof. Gauri Saxena, Head of the Department, Botany Department, Lucknow University, Lucknow. Fifty students participated in the programme.. आयोजन दिनांक:- 08-11-2024 |
Walkathon was organized on Udyanoday-2 incubation programme by ICAR-CISH, Lucknow in association with Lucknow UniversityA walkathon was organized on 8th November, 2024 by Hort-Ind Agri-Business Incubation Centre (Hort-Ind ABIC), ICAR-CISH, Lucknow at Botany Department, Lucknow University. The event was organized for the promotion and launch of Udyanoday-2 incubation programme by the Hort-Ind ABIC of ICAR-CISH, Lucknow. Dr. Ravi S.C. Scientist and Co-PI, Hort-Ind ABIC, ICAR-CISH briefed about the incubation programme and told that this is a one year incubation programme, especially designed for early stage startups in horticulture. He advocated that it is a great opportunity for students to begin their career through startups in horticulture. Walkathon was coordinated by Prof. Gauri Saxena, Head of the Department, Botany Department, Lucknow University, Lucknow. Fifty students participated in the programme.. आयोजन दिनांक:- 08-11-2024 |
आम-सभा 2024
किसानतक इंडिया टुडे समूह और केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के तत्वावधान में संस्थान के रहमानखेड़ा, लखनऊ परिसर में दिनांक 18.03.2024 को एक आम सभा का आयोजन माननीय कृषि उत्पादन आयुक्त, श्री मनोज कुमार सिंह, उत्तर प्रदेश सरकार की अध्यक्षता और पदमश्री कलीमुल्लाह, विशिष्ट अतिथि की उपस्थिति में किया गया । कार्यक्रम में भाग ले रहे गणमान्य अतिथियों और किसानो का स्वागत संस्थान के निदेशक डॉ. टी. दामोदरन द्वारा किया गया। इस अवसर पर अपने सम्बोधन में डॉ दामोदरन ने संस्थान द्वारा विकसित विभिन्न फल फसलों की प्रजातियों की विशेषताओं, आम के निर्यात को बढ़ावा देने हेतु अच्छी बागवानी पद्धतियों और फलों के स्वजीवन बढ़ाने विकसित तकनीकी की विशेष चर्चा की। आम सभा के पैनल डिस्कशन कार्यक्रम में "ये आम कुछ खास है आम बाजार, आम के आम गुठलियों के दाम, आम की दुनिया और आम का मास्टर प्लान शीर्षकों पर चर्चा की गयी और इस कार्यक्रम का सजीव प्रसारण आजतक टीवी के किसानतक चेंनेल पर किया गया । कार्यक्रम के प्रथम सत्र ये आम कुछ खास है में डा. संजय सिंह, महानिदेशक, उपकार, लखनऊ डा. वी.बी. पटेल, सहायक महानिदेशक, भा.कृ.अनु.प., नई दिल्ली और डा. विजय बहादुर द्विवेदी, निदेशक, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण निदेशालय, लखनऊ ने चर्चा में भाग लिया। इस सत्र में आम की विभिन्न प्रजातियों के महत्व, उनकी पौध की उपलब्धता और उनके बाजार भाव तथा निर्यात की संभावनाओं पर विचार-विमर्श किया गया। प्रगतिशील किसान श्री विजय सिंह, श्री उपेन्द्र सिंह (लखनऊ) एवं श्री डी.के.शर्मा (बिजनौर) ने आम के पुराने बागों की कटाई-छंटाई हेतु हुए शासनादेश के संदर्भ में किसानों को तकनीकी एवं यांत्रिक सहायता उपलब्ध कराने की आवश्यकता बताई। कृषि उत्पादन आयुक्त, श्री मनोज कुमार सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश के किसान सबसे अधिक भाग्यशाली हैं क्योंकि यहाँ 86 प्रतिशत भूमि सिंचित है, जैसा कि दुनिया में कहीं नहीं है। किसानों को नवीनवेषी तरीके से उद्यमतापूर्ण खेती करने की आवश्यकता है। आम की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार सघन बागवानी के अन्तर्गत 16 प्रतिशत क्षेत्रफल में वृद्धि करने के लिए तत्पर है। साथ ही बागवानों को समन्वित खेती के माध्यम से वर्ष भर खेती में लगे रहकर अपनी आय को बढ़ाने की आवश्यकता है। डा. ए.के. सिंह, कुलपति चन्द्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय, कानपुर ने बताया कि विश्वविद्यालय के छात्र कृषि और बागवानी की शिक्षा के माध्यम से न सिर्फ डिग्री प्राप्त करेंगे बल्कि इस शिक्षा का प्रयोग अपने गांव में करते हुए कृषि एवं बागवानी का विकास कर रहे हैं। इस अवसर पर कृषि उत्पादन आयुक्त एवं माननीय कुलपति महोदय ने विभिन्न एक पी सी एस समुदाय आधारित संस्थाओं के प्रमुखो जैसे श्री माधवेन्द्र सिंह, श्री सतीश कुमार सिंह, श्री दयाशंकर सिंह, श्री उपेन्द्र सिंह एवं श्री विजय कुमार सिंह सहित प्रगतिशील किसानो जैसे, श्री राजू सिंह, श्री राजकुमार सिंह, श्रीमती पूनम महरोत्रा आदि उन्नतिशील किसानों एवं उद्यमियों को सम्मानित किया। आम बाजार चर्चा के दौरान डा. मनीष मिश्रा, प्रधान वैज्ञानिक, सीआईएसएच श्री आसिफ रियाज़, फार्मर संस्था, श्री अकरम बेग, निर्यातक ने आम के स्थानीय, अंतर्देशीय दूरस्थ एवं अंतरराष्ट्रीय बाजार के लिए आवश्यक गुणवत्ता के आम उत्पादन हेतु विस्तार से बताया। चर्चा में स्पष्ट हुआ कि संस्थान द्वारा विकसित आम की अच्छी कृषि पद्धतियों को अपनाये बिना उच्च बाजार भाव प्राप्त करना संभव नहीं है। आम के आम गुठलियों के दाम विषय पर चर्चा के दौरान डा. कुन्दन किशोर, विभागाध्यक्ष डा. आलोक कुमार गुप्ता, वरिष्ठ वैज्ञानिक और पद्मश्री कलीमउल्ला खान ने आम के विकास के हर स्तर पर फलों की उपयोगिता के बारे में विस्तार से बताया। चर्चा में आंधी में गिरे आम से लेकर सड़े हुए आम और आम की गुठलियों तक के उपयोग और उनसे उद्यमता विकास की संभावनाओं को किसानों को ज्ञान दिया गया। आम की दुनिया विषय पर चर्चा का केन्द्र विभिन्न प्रजातियों और आपूर्तिकर्ताओं के मध्य राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर हो रही स्पर्धा रहा। आम का मास्टर प्लान विषय पर चर्चा में जलवायु परिदृश्य में आम की सफल बागवानी के विषय में डॉ. प्रभात कुमार शुक्ल, प्रधान वैज्ञानिक ने बताया कि जलवायु परिवर्तन के कारण आम के बौर के निकलने का समय अनियमित हो गया है। डॉ. शुक्ल ने बताया कि जलवायु परिवर्तन के कारण हुए अनियमिंत मौसम के कारण अधिक आंधी-तूफान, ओला बृष्टि और बेमौसम वर्षा, आम की फसल को हानि कर रहे हैं। आम का मास्टर प्लान विषय पर चर्चा में जलवायु परिदृश्य में आम की सफल बागवानी के विषय में डॉ. एच.एस. सिंह ने बताया कि जलवायु परिवर्तन का आम पर अब तक कोई वैज्ञानिक आधार प्रकाशित नहीं हो पाया है। परन्तु मौसम के व्यवहार में प्रतिकूल परिवर्तन जैसे-असमय वर्षा, तापमान में अचानक परिवर्तन, ओलावृष्टि आदि का, स्थान एवं समय के अनुसार, प्रभाव देखा जा रहा है। बौर खिलने की अवस्था पर लगने वाले कीट, असमय कोमल पत्तियों के निकलने के कारण मई-जून में प्रकोप करने लगे हैं। जिनमें थ्रिप्स, हॉपर और सेमीलूपर प्रमुख हैं। अधिक तापमान होने के कारण बहुत बड़ी मात्रा में प्रयोग किये जाने वाले कुछ कीटनाशकों का प्रभाव कम हो गया है। तापमान में उतार-चढ़ाव के कारण कीटों की संख्या में असमय वृद्धि होने लगी है। आयोजन दिनांक:- 18-03-2024 |
आम निर्यात पर किसान - वैज्ञानिक संगोष्ठी
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-केंद्रीय उपोष्ण बाग़वानी संस्थान, लखनऊ द्वारा आम के निर्यात बढ़ाने और उच्च गुणवत्ता के आम उत्पादन विषय पर दिनांक 22.02.24 को कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के प्रारंभ में संस्थान के निदेशक डॉ. टी.दामोदरन ने सभी सहभागियों का स्वागत करते हुए संस्थान द्वारा विकसित आम के निर्यात के लिए मानक ऑपरेटिंग प्रोटोकॉल एवं आदर्श कृषि पद्धतियों को अपनाकर निर्यात योग्य गुणवत्ता के आम उत्पादन की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने किसानों से रसायनों के उपयोग में कमी लाने हेतु जैव उत्पादों के प्रयोग,फ़लो को रसायन अवशेष से मुक्त रखने के लिए फलो की थैलाबंदी एवं संस्थान द्वारा विकसित फ़सल प्रभात को भी अपनाने का आग्रह किया। डॉ. मनीष मिश्रा ने बताया कि आम के निर्यात हेतु बागों का ट्रेसिबिल्टी के लिए जियो टैगिंग एवं होर्टीनेट, एपीडा में पंजीकरण आवश्यक है, उन्होंने निर्यात को बढ़ावा देने के लिए आदर्श कृषि पद्धतियों को अपनाने और उच्च गुणवत्ता के फल निर्यात हेतु उपलब्ध कराने का आग्रह किया। डॉ. एच. एस. सिंह ने संस्थान द्वारा आम उत्पादन हेतु की गई संस्तुतियों पर संक्षेप में विवरण प्रस्तुत किया एवं सिचाई जल के बचाव के लिए नवीन सिचाई पद्धतियों को एवं पुराने भागों की कटाई-छँटाई के महत्व के बारे में अवगत कराया। इस कार्यक्रम में देहात कम्पनी के प्रतिनिधि द्वारा किसानों को कृषि इनपुट एवं विपणन के बारे में अवगत कराया गया। कार्यशाला में संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. एच. एस. सिंह, डॉ. पी. के. शुक्ल, डॉ. रवि एस. सी., डॉ. कर्मवीर, डॉ. विसंभर दयाल एवं फ़ार्मर फर्स्ट परियोजना से जुड़े मलिहाबाद के 20 प्रगतिशील बागवानों, एफपीओ स्टार्टअप एवं निर्यातक ने सहभागिता की। कार्यक्रम का समन्वय डॉक्टर मनीष मिश्रा द्वारा किया गया। आयोजन दिनांक:- 22-02-2024 |
केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान में बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया।
आजादी का अमृत महोत्सव की पहल के तहत भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा जागरूकता मिशन (एनआईपीएएम) के तहत भाकृअनुप-केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान में दिनांक 08-09-2023 को बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) जागरूकता कार्यशाला पर एक अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया गया। व्याख्यान NIPAM -TIFAC समन्वयक श्रीमती फराह बानो ने दिया, उन्होंने अपने भाषण में कहा कि यदि भारत को विकास करना है और हमें तकनीकी विशेषज्ञता हासिल करनी है तो हमें अधिक से अधिक बौद्धिक संपदा हासिल करनी होगी। बौद्धिक संपदा में अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए हमें बौद्धिक संपदा के अधिक से अधिक विभिन्न रूपों जैसे पेटेंट, डिजाइन, ट्रेड मार्क, भौगोलिक संकेत, कॉपीराइट आदि पर अधिकार स्थापित करना होगा। श्रीमती बानो ने पेटेंट पंजीकरण भरने की प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बताया। विभिन्न बौद्धिक गुण. उन्होंने संस्थान के वैज्ञानिकों से अधिक से अधिक बौद्धिक संपदा अर्जित करने के लिए आगे आने और इसका प्रचार-प्रसार करने का आह्वान किया। संस्थान के निदेशक डॉ. टी दामोदरन ने विशिष्ट अतिथि का स्वागत करते हुए आशा व्यक्त की कि इस अतिथि व्याख्यान के माध्यम से वैज्ञानिकों को बौद्धिक संपदा अर्जित करने हेतु आवश्यक मार्गदर्शन प्राप्त हो सकेगा। कार्यक्रम का संचालन संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. एम मुथ्थुकुमार एवं धन्यवाद ज्ञापन डा. अंजू बाजपेई ने किया। इस कार्यक्रम में संस्थान के विभिन्न वैज्ञानिक एवं अन्य कर्मचारी मिलाकर 48 प्रतिभागी उपस्थित रहे। आयोजन दिनांक:- 08-09-2023 |
आम के बागों में आदर्श कृषि क्रियाओं पर कार्यशाला और प्रशिक्षण सम्पन्न हुआ
उत्तर प्रदेश से आम के निर्यात बढ़ाने और उच्च गुणवत्ता के आम उत्पादन में आदर्श कृषि पद्धतियों के महत्व को समझते हुए संस्थान द्वारा आज दिनांक 04.09.2023 को एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में प्रदेश के प्रमुख आम उत्पादक जनपदों (सहारनपुर, बिजनौर, मेरठ, अमरोहा, कासगंज, लखनऊ, सीतापुर, बाराबंकी, रायबरेली, अमेठी और बनारस) के 23 उन्नतशील बागवानों ने सहभागिता की। कार्यक्रम के प्रारंभ में संस्थान के निदेशक डा. टी. दामोदरन सभी सहभागियों का स्वागत करते हुए आदर्श कृषि पद्धतियों को अपनाकर निर्यात योग्य गुणवत्ता के आम उत्पादन की आवश्यकता पर बल दिया। डा. दामोदरन ने इस कार्यशाला के दौरान अपने अनुभवों को संस्थान को प्रेषित करने और संस्थान की तकनीकी को समझने का आग्रह किया। डा. पी. के. शुक्ल, प्रधान वैज्ञानिक ने किसानों को बताया कि प्रारंभिक सत्र में पश्चिमी, पूर्वी और केन्द्रीय उत्तर प्रदेश के किसान तीन अलग-अलग समूह में वैज्ञानिकों से चर्चा करेंगे। तदोपरांत सामूहिक सत्र में प्रथम सत्र की चर्चा के परिणामों के आधार पर उत्तर प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में आदर्श कृषि पद्धतियों के विषय में निर्णय किये जायेंगे। कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए मुख्य अतिथि माननीय डा. वी. बी. पटेल, सहायक महानिदेशक (बागवानी विज्ञान), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली ने आदर्श कृषि पद्धतियों पर किसानों के साथ कार्यशाला के आयोजन को एक सराहनीय कदम बताया। मुख्य अतिथि ने विगत में प्रकाशित आदर्श कृषि पद्धतियों के आलेख और इस कार्यशाला में किये गये निर्णयों के बीच सामंजस्य बैठाते हुए नवीन प्रकाशन करने की आवश्यकता बताई। डा. पटेल ने किसानों को बताया कि निर्यात हेतु आपको न सिर्फ आदर्श कृषि पद्धतियों को अपनाना है बल्कि वर्ष भर बागों में किये गये कार्यों का लेखा-जोखा भी रखना है। उन्होंने जलवायु परिवर्तन और बाजार की मांग को ध्यान में रखकर कार्य करने की सलाह दी। किसानों के साथ परिचर्चा में बागों में जुताई, एकांतर फलन से बचाव हेतु कल्टार का प्रयोग, सिंचाई, कम्पोस्ट एवं उर्वरकों का प्रयोग, कीट एवं व्याधि प्रबंधन, फलों की तुड़ाई विधि, डिब्बाबंदी और विपणन आदि विषयों पर मंथन किया गया। किसानों द्वारा वर्तमान में अपनायी गयी बागवानी पद्धतियों पर उनके बताये अनुसार अभिलेख तैयार किये गये। कार्यक्रम के पूर्ण अधिवेशन में तीनों समूहों द्वारा अपनायी जा रही कृषि पद्धतियों के विषय में समूह के अध्यक्षों डा. एच. एस. सिंह, डा. एस. के शुक्ल और डा. मनीष मिश्रा द्वारा समूह चर्चा के प्रमुख बिन्दुओं को सदन में प्रस्तुत किया। पूर्वी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जलवायु की भिन्नता के कारण कृषि पद्धतियों में भी भिन्नता पायी गयी। यह भी पाया गया कि संस्थान की अधिकांश संस्तुतियां किसानों द्वारा अपनायी जा रही हैं। बागवानों विशेषकर ठेकेदारों द्वारा कल्टार/पैक्लोब्यूट्राजाल के अंधाधुंध प्रयोग की समस्या पर भी चर्चा की गई। बागवानों द्वारा स्वीकार किया गया कि वह फसल को रोग एवं कीटों से बचाने हेतु रसायनों का अत्यधिक प्रयोग कर रहे हैं, साथ ही सिंचाई जल के बचाव की दिशा में भी ध्यान नहीं दिया गया है। संस्थान के निदेशक डा. दामोदरन ने किसानों से रसायनों के उपयोग में कमी लाने हेतु जैव उत्पादों के प्रयोग एवं सिंचाई जल के बचाव के लिए नवीन सिंचाई पद्धतियों को अपनाने का आग्रह किया। डा. दामोदरन ने निर्यात को बढ़ावा देने के लिए किसानों से अभी से अगली तुड़ाई के दौरान आदर्श कृषि पद्धतियों को अपनाने और कम से कम एक टन उच्च गुणवत्ता के फल निर्यात हेतु उपलब्ध कराने का आग्रह किया। इस कार्यक्रम के दौरन किसानों के आम निर्यातक श्री के. एस. रवि, एम.डी., मोवा फूड पार्ट, बैंगलोर से आॅनलाईन सीधा विचार-विमर्श भी कराया गया। जिससे किसान उनके सीधे संपर्क में रहकर अगले मौसम में निर्यात कर सकें। श्री रवि ने किसानों को निर्यात हेतु आम उत्पादन में आवश्यक सावधानियों के विषय में विस्तार से बताया। समापन सत्र में डा. पी. के. शुक्ल द्वारा संस्थान द्वारा आदर्श आम उत्पादन हेतु की गयी संस्तुतियों पर संक्षेप में विवरण प्रस्तुत किया। डा. शुक्ल ने किसानों को आगाह किया कि आम उत्पादन में अनावश्यक व्यय से बचते हुए उत्पादन लागत को कम करें और रोगों-कीटों के प्रकोप की महत्वपूर्ण अवस्थाओं के आने से पहले ही समुचित प्रबंधन करें। उत्पादित फलों को रसायन अवशेष मुक्त रखने के लिए फलों की थैलाबंदी करें और तुड़ाई से कम से कम एक माह पूर्व तक किसी भी रसायन का छिड़काव न करें। आयोजन दिनांक:- 04-09-2023 |
Launching of Turmeric intercropping at ICAR-CISH under Aroma Mission in collaboration with CSIR-NBRI
A Workshop was organized by Dr S. K. Shukla, Principal Scientist and PI of the Project at the Committee Room of ICAR-CISH Rehmankhera on 19-7-2023 at 2:30 pm. Dr. Suresh Kumar Sharma and Dr. Vikramjit from CSIR-NBRI partipated in the workshop. First of all, Dr. SK Shukla highlighted about importance of intercropping turmeric in mango orchards which not only grows well under partial shade of mango but also gives additional income to the farmers. Dr. Maneesh Mishra highlighted the success story of growing turmeric in mango orchards under Farmer FIRST project. He also apprised the farmers of the value chain established by farmers group for marketing. Dr. SK Sharma and Dr. Vikramjit highlighted the importance and quality of turmeric variety Kesari besides emphasizing on the quality parameters of turmeric like curcumin, leaf oil extraction and ensured that they would facilitate in the sale provided quality test of produce is done at NBRI. Seed rhizomes were distributed to each farmer along with polder on turmeric package of practices. Each farmer received 20 kg seed of turmeric variety Kesari and an memorandum was signed. About 16 farmers from Unnao, Sitapur and Malihabad participated in the workshop. In the end, Dr. SK Shukla proposed formal vote of thanks. दिनांक 19 जुलाई 2023 को दोपहर 2:30 बजे केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान रहमानखेड़ा के समिति कक्ष में प्रधान वैज्ञानिक और परियोजना के पीआई डॉ. एस.के. शुक्ला द्वारा एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में सीएसआईआर-एनबीआरआई के डॉ. सुरेश कुमार शर्मा और डॉ. विक्रमजीत ने भाग लिया। सबसे पहले डॉ. एसके शुक्ला ने आम के बगीचों में हल्दी की सहफसली खेती के महत्व पर प्रकाश डाला, जो न केवल आम की आंशिक छाया में अच्छी तरह उगती है, बल्कि किसानों को अतिरिक्त आय भी देती है। डॉ. मनीष मिश्रा ने फार्मर फर्स्ट परियोजना के तहत आम के बागों में हल्दी उगाने की सफलता की कहानी पर प्रकाश डाला। उन्होंने कृषकों को विपणन हेतु कृषक समूह द्वारा स्थापित मूल्य शृंखला से भी अवगत कराया। डॉ. एसके शर्मा और डॉ. विक्रमजीत ने हल्दी की किस्म केसरी के महत्व और गुणवत्ता पर प्रकाश डाला, इसके अलावा हल्दी की गुणवत्ता के मापदंडों जैसे करक्यूमिन, पत्ती के तेल के निष्कर्षण पर जोर दिया और यह सुनिश्चित किया कि वे बिक्री में सुविधा प्रदान करेंगे, बशर्ते उपज की गुणवत्ता का परीक्षण एनबीआरआई में किया जाए। प्रत्येक किसान को हल्दी प्रथाओं के पैकेज पर पोल्डर के साथ बीज प्रकंद वितरित किए गए। प्रत्येक किसान को केसरी किस्म की हल्दी का 20 किलोग्राम बीज प्राप्त हुआ और एक ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गये। कार्यशाला में उन्नाव, सीतापुर और मलिहाबाद के लगभग 16 किसानों ने भाग लिया। अंत में डॉ. एसके शुक्ला ने औपचारिक धन्यवाद ज्ञापित किया। आयोजन दिनांक:- 19-07-2023 |
भाकृअनुप-केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, रहमानखेड़ा, लखनऊ में जल एवं जलाक्रांत भूमि प्रबंधन विषय पर हिन्दी कार्यशाला का आयोजन
संस्थान के निदेशक एवं राजभाषा कार्यान्वयन समिति के अध्यक्ष डॉ.टी.दामोदरन की अध्यक्षता में दिनांक 22.03.2023 को विश्व जल दिवस के अवसर पर एक हिंदी कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमे ‘आद्रभूमि प्रबंधन’/Wetland management विषय पर व्याख्यान डॉ.आर.सी.श्रीवास्तव, पूर्व कुलपति, डॉ.राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविधालय,समस्तीपुर,बिहार द्वारा प्रस्तुत किया गया, जिसमें आद्रभूमि के पारिस्थितिकी संतुलन,विविधता तथा उनके रखरखाव एवं उनको रामसर सम्मलेन के नियमानुसार विकसित करने आदि संबंधी विस्तृत जानकारी से उपस्थित प्रतिभागियों को लाभान्वित किया गया एवं उन्होंने भूमिगत जल के वुधिमत्ता पूर्ण उपयोग पर वल दिया| कार्यशाला में केंद्रीय मृदा लवणता अनुसन्धान संस्थान के क्षेत्रीय केंद्र, लखनऊ के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.सी.एल.वर्मा ने “जलभराव क्षेत्र में समन्वित कृषि प्रणाली” विषय पर बोलते हुए जलभराव वाले क्षेत्र में उगने वाली फसलों की समन्वित कृषि करने पर अपना व्यख्यान दिया संस्थान के निदेशक डॉ.टी.दामोदरन ने इस अवसर पर संस्थान की गतिविधियों के वारें में मुख्य अतिथि को अवगत कराया तथा संस्थान दवारा विकसित तकनीको को कृषकों तक पहुचाने में हिंदी भाषा की महत्व को इंगित किया| इस कार्यशाला में भारतीय गन्ना अनुसन्धान संस्थान,लखनऊ,राष्ट्रीय मत्स्य आनुवंशिक संसाधन व्यूरो,लखनऊ एवं राज्य कृषि प्रबंध संस्थान, रहमानखेडा, लखनऊ से वैज्ञानिकों/अधिकारियों ने प्रतिभाग किया| केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के क्षेत्रीय अनुसन्धान केंद्र, माल्दा,पश्चिम बंगाल के वैज्ञानिकों एवं संस्थान में दक्षता विकास पर आयोजित किये जा रहे प्रशिक्षण के प्रशिक्षणार्थी आनलाइन माध्यम दवारा कार्यशाला से जुड़े| इस कार्यक्रम में कुल 90 वैज्ञानिको/अधिकारियो/कर्मचारियों/प्रशिक्षणार्थियों ने प्रतिभाग किया तथा कार्यक्रम का समन्वयन अरविन्द कुमार,नोडल अधिकारी (राजभाषा) द्वारा किया गया| आयोजन दिनांक:- 23-03-2023 |
A National Webinar on “Soil Health Management in Horticultural Ecosystem” was organized at ICAR-CISH, Lucknow on 20 December, 2022
A National Webinar on “Soil Health Management in Horticultural Ecosystem” was organized at ICAR-CISH, Lucknow on 20 December, 2022. Dr. Devendra Pandey, Director, CISH Lucknow was the Chief Guest of this webinar. Dr. P.L. Saroj acted as Organizing Secretary and Dr. Tarun Adak as Organizing Convener. Dr. P.L. Saroj delivered his welcome address wherein he focused on importance of conservation and management of natural resources. The programme was inaugurated by Dr. Devendra Pandey, Organizing Chairman wherein he has emphasized the importance of natural resources management in sustaining productivity and profitability in horticultural ecosystem. The concern of food security and in order to achieve Sustainable Developmental Goals, the role of soil and tree health management was given due focus and national importance to obtain orchard sustainability. Dr. Tarun Adak while welcoming the delegates emphasized the essentiality of health management and dissemination of farmers’ friendly technologies for the benefits of growers’ vis-à-vis national growth. A total of six keynote addresses were delivered by eminent speakers across the Country. In the Technical Session-I three presentations were made. Excellent and informative presentation on “Soil Health Management in Citrus: An Overview” was delivered by Dr. A.K. Srivastava, CCRI, Nagpur. In his presentation, he emphasized on nutrient density in fruits, the role of precision farming, soil health management vis-à-vis yield gap analysis, root zone hybridization, customization of fertilizers, importance of nutromics and microbial interventions in sustaining the fruit production. The importance of “Organic cultivation: in-situ value addition Technology” was delivered by Dr. Biraj Basak, DMAPR Anand, Gujarat. Since billions of rupees were involved in domestic and foreign trade of organic medicinal crops, the insightful and informative presentations enlightened the participants. The latest technology of microbial formulations, micronutrient formations, capsules, virus management, soil and tree health management in various spices crops like black pepper, cardamom, turmeric, ginger etc. was discussed and presented in detailed in the topic “Soil Health Management for Spices crops”. The key note address was delivered by Dr. V Srinivasan, IISR Kerala keeping in view of billions of rupees involved in both domestic and foreign trade. In the Technical Session-II, another three presentations were made by three keynote speakers. The “Microbial applications for soil health restoration under subtropical climate” was delivered by Dr. Govind Kumar, CISH, Lucknow wherein he emphases the role of bioformulations like CISH-Bioenhancer and CISH-Biozapper for the benefit of farmers under subtropical condition. The importance of soil health management for enhancing orchard productivity and sustainability in mango orchards was delivered by Dr. Tarun Adak, CISH, Lucknow on topic entitled “Soil Health Management in Subtropical fruits”. The importance of Zinc and Boron nutrition in guava, mango cv. Dashehari and Mallika was presented in detailed. The role of drip fertigation in enhancing productivity, nutrient and water use efficiencies and profitability was discussed broadly.The commercialized “Microbial Technologies for Horticultural Crop Production” was delivered by Dr. Govid Selvakumar, IIHR, Bengaluru. The concluding remarks were delivered by Dr. Devendra Pandey, Organizing Chairman where he requested stakeholders for adoption of scientific management of soil and tree health for enhancing orchard productivity and profitability. The programme was ended with vote of thanks by Dr. Tarun Adak, Organizing Convener to all the speakers, delegates, participants and CISH staff for their support in various ways. आयोजन दिनांक:- 20-12-2022 |
ICAR-CISH Organized Hindi Workshop
भा.कृ.अ.प. केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान में हिंदी कार्यशाला का आयोजन| भा.कृ.अ.प.- केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान की निदेशक एवं राजभाषा कार्यान्वयन समिति की अध्यक्ष डॉ.(श्रीमती) नीलिमा गर्ग की अध्यक्षता में दिनांक 18-08-2022 को एक हिंदी कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमे गाजर घास का उन्मूलन विषय पर व्याख्यान डॉ.सुशील कुमार शुक्ला, प्रधान वैज्ञानिक (बागवानी) द्वारा प्रस्तुत किया गया, जिसमें गाजर घास के भारत में आगमन उसके हानिकारक प्रभाव तथा इसके उन्मूलन हेतु यांत्रिक,रासायनिक एवं जैविक विधियों दवारा घास को नष्ट करने पर विस्तृत जानकारी से उपस्थित प्रतिभागियों को लाभान्वित किया गया| कार्यशाला में संस्थान के 40 वैज्ञानिको/अधिकारियो/कर्मचारियों ने प्रतिभाग किया तथा कार्यक्रम का समन्वयन अरविन्द कुमार,नोडल अधिकारी (राजभाषा) द्वारा किया गया| आयोजन दिनांक:- 18-08-2022 |
One Day Webinar on Latest Techniques of Fruit Production and Fruit Processing
फल उत्पादन एवं फल प्रसंस्करण की नवीनतम तकनीक पर एक दिवसीय वेबिनार Join Zoom Meeting https://us02web.zoom.us/j/86849798274?pwd=TEdLeGx1RGdZVU9Dd2hta0ljL085Zz09 Meeting ID: 868 4979 8274 Passcode: 072521 आयोजन दिनांक:- 06-05-2022 |
गाय आधारित प्राकृतिक खेती विषय पर हिंदी कार्यशाला
संस्थान की निदेशक डॉ.(श्रीमती) नीलिमा गर्ग की अध्यक्षता में दिनांक 26.03.2022 को एक हिंदी कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमे गाय आधारित प्राकृतिक खेती विषय पर व्याख्यान डॉ. एस.के. शुक्ला, प्रधान वैज्ञानिक द्वारा प्रस्तुत किया गया । कार्यशाला में संस्थान के 30 वैज्ञानिको/अधिकारियो ने प्रतिभाग किया तथा कार्यक्रम का संचालन अरविन्द कुमार,नोडल अधिकारी (राजभाषा) द्वारा किया गया। आयोजन दिनांक:- 26-03-2022 |
One day training cum workshop on Entrepreneurship Development in Oyster Mushroom Production
ऑयस्टर मशरुम उत्पादन से उद्यमिता विकास पर एक दिवसीय प्रशिक्षण सह कार्यशाला का आयोजन भा.कृ.अनु.प.-केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ द्वारा फार्मर-फर्स्ट परियोजना के अंतर्गत दिनांक 16 फरवरी 2022 को ऑयस्टर मशरुम उत्पादन से उद्यमिता विकास पर एक दिवसीय प्रशिक्षण सह कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमे मलिहाबाद प्रखंड के अंगीकृत गाँव नवीपनाह, मोहम्मद नगर तालुकेदारी एवं मीठेनगर के 15 से अधिक किसानों ने भाग लिया। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य मशरूम उत्पादन के माध्यम से ग्रामीण युवाओं के लिए आजीविका तैयार करना था। कार्यशाला के दौरान, प्रधान वैज्ञानिक डॉ. पी.के. शुक्ला ने रेडी टू फ्रूट मशरूम बैग उत्पादन तकनीक एवं विपणन के विभिन्न पहलुओं पर परिचयात्मक व्याख्यान दिए। उन्होंने ऑयस्टर मशरुम से परिचय कराते हुए उत्पादन के लिए आवश्यक सामग्री तथा कम्पोस्ट बनाने के विभिन्न चरणों के बारे में बताया। प्रधान वैज्ञानिक, डॉ. पी.के. शुक्ला और डॉ. मनीष मिश्रा ने कार्यक्रम का समन्वय किया। ICAR-Central Institute for Subtropical Horticulture, Lucknow organized one day training cum workshop on February 16, 2022 on Entrepreneurship Development in Oyster Mushroom Production. The programme was organized under Farmer’s FIRST project. More than 15 farmers from adopted village named Navipanah, Mohammad Nagar talukdari and Meetenagar of Malihabad blocks were participated in programme. The main objective of this workshop was to build livelihood for rural youth through mushroom production. During the workshop, Principal Scientist Dr. P.K. Shukla gave introductory lectures on various aspects of ready-to-fruit mushroom bag production technology and marketing. With introduction of oyster mushroom, he underlined about the material required for its production and the various stages of compost preparation. Principal Scientist, Dr. P.K. Shukla and Dr. Manish Mishra coordinated the program आयोजन दिनांक:- 16-02-2022 |
ICAR, CISH, Lucknow organized webinar on value addition and processing of fruit and vegetables
भा.कृ.अनु.प.- के.उ.बा.सं., लखनऊ द्वारा फल एवं सब्जियों के मूल्यवर्धन तथा प्रसंस्करण पर वेबिनार का आयोजन ICAR, CISH, Lucknow organized one day webinar on January 25, 2022 to deliberate opportunities in value addition and processing of fruit and vegetables. Expert Dr. R.B. Tiwari, Principal Scientist of Institute of Horticultural Research, Bangaluru presented the details of Post Harvest technologies developed by ICAR-IIHR, Bangaluru. Besides, he also presented the commercial enterprises/ start-ups working in field of PHT Technologies promoted by ICAR. The importance of dehydration, osmotic dehydration and freezing Dehydration was also emphasized for value addition of fruit and vegetables. Dr. Neelima Garg, Director, ICAR-CISH, Lucknow made presentation of her PHM technologies such as cider, wines, probiotic drinks, fibre enriched biscuit, Aonla-prash and herbal chew, etc. Fruit and vegetable post harvest losses are huge and therefore there exists great opportunity for technology led entrepreneurship. The Programme was co-ordinated by Dr. Maneesh Mishra, Principal Scientist, Agri-Business Incubation Centre of CISH Lucknow. Scores of entrepreneurs, students, scientists and farmers Participated in the program through virtual mode. आयोजन दिनांक:- 25-01-2022 |
National Webinar on Clean Milk Production for Better Health and Price
बेहतर स्वास्थ्य एवं मूल्य हेतु स्वच्छ दुग्ध उत्पादन पर वेबिनार आयोजित भा.कृ.अनु.प-केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ ने दिनांक 6 जनवरी, 2022 को स्वच्छ दुग्ध-बेहतर स्वास्थ्य एवं मूल्य विषय पर एक राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया। आजादी का अमृत महोत्सव के तहत आयोजित इस कार्यक्रम का उद्देश्य मानव स्वास्थ्य एवं वित्तीय उत्थान में सुधार के लिए दुग्ध एवं दुग्ध उत्पादों की खरीद, प्रसंस्करण और बिक्री के दौरान स्वच्छता और स्वच्छता उपायों के महत्व के बारे में जन जागरूकता पैदा करना था। कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. नीलिमा गर्ग, निदेशक, भा.कृ.अनु.प.-कें.उ.बा.सं., लखनऊ के उद्घाटन भाषण से हुई। उन्होंने समन्वित खेती में गायों द्वारा आय उत्पन्न करने के महत्व को समझाया, भले ही वे दुग्ध देने की अवस्था में न हों और किसानों और हितधारकों के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए दुग्ध के महत्व को बताया। कार्यक्रम की मुख्य वक्ता डॉ. लता सबिखी,प्रधान वैज्ञानिक, डेयरी प्रौद्योगिकी प्रभाग, भा.कृ.अनु.प-राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान, करनाल ने बेहतर स्वास्थ्य एवं मूल्य हेतु स्वच्छ दुग्ध पर मुख्य व्याख्यान प्रस्तुत किया।उन्होंने प्रसंस्करण के लिए स्वच्छ दुग्ध के महत्व, दुहने के दौरान एहतियाती उपाय एवं बीमार पशुओं की देखभाल पर जोर दिया। किसानों एवं अन्य श्रोताओं के प्रश्नों के उत्तर उनके और भा.कृ.अनु.प.-रा.डे.अनु.सं. करनाल के वैज्ञानिकों ने दिया। इस कार्यक्रम में फार्मर-फर्स्ट परियोजना से जुड़े लखनऊ के किसानों के साथ भारत के विभिन्न भा.कृ.अनु.प. के संस्थानों, विश्वविद्यालयों के वैज्ञानिकों, शोधार्थियों व शिक्षाविदों सहित 50 लोगो ने भाग लिया। वेबिनार का संचालन डॉ. पी. बर्मन एवं डॉ. कर्म बीर ने किया। ICAR-Central Institute for Subtropical Horticulture, Lucknow organized a webinar on Clean Milk – Better health and price on January 6, 2022. This program, organized under ‘Azadi ka Amrit Mahotsav’ aimed at creating mass awareness about importance of hygiene and sanitary measures during procurement, processing as well as sale of milk and milk products for improving human health and financial upliftment. The programme was started with the inaugural address by Dr. Neelima Garg, Director, ICAR-CISH, Lucknow. She emphasized the importance of cows and milk production for generating income and improving health of farmers and stake holders. The keynote speaker of the programme Dr. Latha Sabikhi, Principal Scientist, Dairy Technology Division, ICAR-National Dairy Research Institute, Karnalgave the talk on “Clean milk for better health and price”. She stressed on importance of clean milk for processing, precautionary measures to be taken during milking and taking care of sick animals. The queries of farmers and other audience were replied by her and the scientists of ICAR-NDRI, Karnal. In this program, 50 farmers and other stakeholders participated including scientists, researchers and academicians from various ICAR institutes and universities of India, including farmers from Lucknow, associated with the Farmer FIRST Project. The webinar was coordinated by Dr. P. Barman and Dr. Karma Beer. आयोजन दिनांक:- 06-01-2022 |
Workshop on toxic free farming under Farmer First Project
फार्मर फर्स्ट परियोजना के अंतर्गत विष्मुक्त खेती पर कार्यशाला विष्मुक्त खेती को बढ़ावा देने के लिए भा.कृ.अनु.प- केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ के फार्मर फर्स्ट परियोजना के अंतर्गत मलिहाबाद प्रखंड के अंगीकृत गांव मोहम्मद नगर तालुकेदारी में दिनांक 4 जनवरी 2022 को एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें संस्थान के वैज्ञानिक डॉक्टर गोविंद कुमार ने किसानों को संस्थान द्वारा विकसित सीआईएसएच- बायोजैपर के बारे में बताया। किसानों को रासायनिक कीटनाशकों एवं उर्वरकों का अधिक प्रयोग से मृदा, पर्यावरण एवं जीव जंतुओं के स्वास्थ्य पर होने वाले हानिकारक प्रभाव से अवगत कराया गया। उन्होंने बताया कि सी आई एस एच- बायोजैपर के प्रयोग से पौधों में पोषक तत्वों की जैविक उपलब्धता एवं मृदा की उत्पादन क्षमता में वृद्धि होगी और साथ ही साथ यह किसानों की कीटनाशको पर निर्भरता भी कम करेगा। किसानों को फलो एवं सब्जियों के पौधों पर बायोजैपर का प्रयोग के बारे में बताया गया और इसका किसानों के प्रछेत्र पर प्रयोग भी किया गया। इस कार्यक्रम में 20 किसानों ने भाग लिया। ICAR- Central Subtropical Horticulture Institute, Lucknow organized a workshop on toxic free farming at Mohammad Nagar Talukedari, an adopted village of Malihabad block, to promote toxic free farming. This workshop was organized under Farmer First Project. In the programme, Dr. Govind Kumar, Scientist, informed the farmers about Institutes developed CISH-BioZapper. Farmers were made aware about harmful effects of excessive use of chemical pesticides and fertilizers on the health of soil, environment and animals. He underlined that the use of CISH-Biozaper would increase the biological availability of nutrients in the plants and production capacity of the soil and at the same time it would also reduce the dependence of the farmers on pesticides. The farmers were apprised about the use of biozaper on the plants of fruits and vegetables and it was also demonstrated on the farmers field. A total of 20 farmers were participated in this programme. आयोजन दिनांक:- 04-01-2022 |
ICAR-CISH, Lucknow organizes expert lecture under Jai Kisan Jai Vigyan week
जय किसान जय विज्ञान सप्ताह के अंतर्गत भा.कृ.अनु.प.- कें.उ.बा.सं.,लखनऊ द्वारा विशेषज्ञ व्याख्यान का आयोजन भा.कृ.अनु.प.-केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ द्वारा सप्ताह भर चलने वाले जय किसान जय विज्ञान मिशन के अंतर्गत आयोजित कार्यक्रम के अवसर पर दिनांक 24 दिसंबर, 2021 को डॉ आर के पाठक, पूर्व निदेशक, भा.कृ.अनु.प.- कें.उ.बा.सं., लखनऊ द्वारा एक विशेषज्ञ व्याख्यान का आयोजन किया। कार्यक्रम के शुरुआत में,डॉ. (श्रीमती) नीलिमा गर्ग, निदेशक, भा.कृ.अनु.प.- कें.उ.बा.सं., ने सभी अतिथियों का स्वागत किया और जय किसान जय विज्ञान कार्यक्रम के औचित्य और उद्देश्यों को रेखांकित किया। इस अवसर पर डॉ. पाठक ने आजादी का अमृत महोत्सव के उत्सव में कृषि बंधुत्व की भूमिका पर व्याख्यान दिया। उन्होंने विभिन्न आउटरीच कार्यक्रमों में वैज्ञानिकों की सक्रिय भागीदारी द्वारा किसानों के दरवाजे तक नवीन कृषि प्रौद्योगिकियों के प्रसार पर बात की। उन्होंने वैज्ञानिकों को बागवानी उत्पादकों के सामने आने वाली विभिन्न समस्याओं को समझने एवं हल करने पर अधिक ध्यान देने,आत्मनिर्भर कृषि के लक्ष्यों को प्राप्त करने एवं किसानों की आय को समयबद्ध तरीके से दोगुना करने का आह्वान किया। डॉ. पाठक ने बताया कि घटिया उपज गुणवत्ता, कीटनाशकों के अवशेषों की समस्या, भारी पर्यावरण प्रदूषण एवं उत्पादकों को उचित लाभ प्राप्त न होना भारतीय बागवानी उद्योग के सामने कुछ प्रमुख चुनौतियां हैं। उन्होंने कहा कि बागवानी फसलों की प्राकृतिक और जैविक खेती घरेलू खपत और निर्यात के लिए कीटनाशक मुक्त और बेहतर गुणवत्ता वाले उत्पाद के अतिरिक्त लाभ के साथ ऐसी अधिकांश चिंताओं को स्थायी रूप से दूर कर सकती है।कार्यक्रम में लगभग 30 वैज्ञानिकों और अन्य हितधारकों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम का संचालन डॉ. आर.ए. राम, प्रभागाध्यक्ष, फसल उत्पादन विभाग एवं डॉ. अंशुमन सिंह, वैज्ञानिक द्वारा किया गया। ICAR- Central Institute of Subtropical Horticulture, Lucknow organized an expert lecture by Dr. R.K. Pathak, Ex-Director, CISH, Lucknow on December 24, 2021on the occasion of week-long Jai Kisan Jai Vigyan celebrations. At the outset, Dr. (Mrs.) Neelima Garg, Director, ICAR-CISH welcomed all the guests and underlined the rationale and objectives of the ‘Jai Kisan Jai Vigyan’ programme. On this occasion, Dr. Pathak delivered atalk on Role of Agriculture Fraternity in Celebration of Azadi ka Amrit Mahotsav. He remarked that a proactive participation of scientific fraternity in various outreach programs is the key to disseminating innovative farm technologies to the farmers’ doorsteps. He exhorted the scientific fraternity to pay greater attention to understanding and resolving the varied problems faced by the horticultural producers to achieve the goals of Atmanirbhar Krishi and doubling the farmers’ income in a time bound manner. Dr. Pathak observed that inferior produce quality, problem of pesticide residues, heavy environmental pollution and poor returns to the growers are some of the major challenges faced by Indian horticulture industry. He opined that natural and organic farming of horticultural crops could sustainably address most of such concerns with added benefit of pesticide-free and superior quality produce for domestic consumption and export. The programme was attended by more than 30 scientists and other stakeholders. This program was coordinated by Dr. R. A. Ram, Head, Crop Production division and Dr. Anshuman Singh, Scientist. आयोजन दिनांक:- 24-12-2021 |
भाकृअनुप-केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान की प्राकृतिक खेती पर होने वाले ऑन लाइन राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन में सहभागिता और कृषकों के साथ परिचर्चा
किसानों को जीरो बजट प्राकृतिक खेती के लिए प्रेरित करने और उन्हें इसके तौर-तरीके सिखाने के लिए गुजरात के आनंद में आयोजित कृषि और खाद्य प्रसंस्करण पर राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन के समापन सत्र के अवसर पर भाकृअनुप-केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, रहमानखेड़ा में प्रधानमंत्री के कार्यक्रम का सीधा प्रसारण (लाइव स्ट्रीमिंग) एवं किसानो तथा वैज्ञानिकों के बीच परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ सुशील कुमार शुक्ल ने किसानो का अभिवादन किया और संस्थान में जैविक खेती के क्षेत्र हो रहे शोध कार्यों के विषय में जानकारी दी। संस्थान की निदेशक डॉ नीलिमा गर्ग ने कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं संस्थान के पूर्व निदेशक डा राम कृपाल पाठक एवं विशिष्ट अतिथि उ.प्र. गौ सेवा आयोग के समन्वयक श्री राधेश्याम दीक्षित का स्वागत किया। साथ ही डा गर्ग ने प्राकृतिक खेती में सूक्ष्म जीवों के महत्व पर विस्तृत जानकारी दी तथा किसानो को प्राकृतिक खेती के लिए प्रेरित करने के साथ ही किसानो को संस्थान से हर संभव तकनीकी जानकारी उपलब्ध करने के विषय में आश्वस्त किया। इस अवसर पर आमंत्रित संसथान के पूर्व निदेशक डॉ. राम कृपाल पाठक ने गौ आधारित प्राकृतिक कृषि के विभिन्न पहलुओं के विषय में चर्चा की तथा भविष्य में इसकी अपार संभावनाओं से अवगत कराया। विशेष आमंत्रित राष्ट्रीय गौ ऱक्षा आयोग के समन्वयक श्री राधे श्याम दीक्षित ने प्राकृतिक खेती में गायों के महत्व एवं वर्त्तमान परिस्थिति में इसकी उपयोगिता के विषय में जानकारी देने के साथ ही किसानो से संवाद कर गऊ आधारित उत्पादों के विक्रय की व्यवस्था सम्बंधी उनकी शंकाओं का समाधान किया। इस कार्यक्रम में माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने प्राकृतिक खेती की विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत की। माननीय मोदी जी के सम्भासःअण के पहले गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत जी ने प्राकृतिक खेती में प्रयोग किये जाने वाले विभिन्न गौ आधारित उत्पादों यथा जीवामृत, घन जीवामृत, बीजामृत को तैयार करने की विधियां सरलतम भाषा में प्रस्तुत की जिससे किसानों को प्रेरणा मिली। माननीय प्रधानमंत्रीजी ने कहा-खेती के अलग अलग आयाम हों, फूड प्रोसेसिंग हो, प्राकृतिक खेती हो ये विषय 21वीं सदी में भारतीय कृषि का कायाकल्प करने में बहुत मदद करेंगे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि एक भ्रम भी पैदा हो गया है कि बिना केमिकल के फसल अच्छी नहीं होगी। जबकि सच्चाई इसके बिलकुल उलट है। पहले केमिकल नहीं होते थे, लेकिन फसल अच्छी होती थी। मानवता के विकास का इतिहास इसका साक्षी है। उन्होंने देश के हर राज्य से, हर राज्य सरकार से ये आग्रह किया कि वे प्राकृतिक खेती को जन आंदोलन बनाने के लिए आगे आएं। इस अमृत महोत्सव में हर पंचायत का कम से कम एक गांव जरूर प्राकृतिक खेती से जुड़े। माननीय प्रधानमंत्री जी के अभिभाषण के बाद संस्थान के विभिन्न प्रभागों के प्रभागाध्यक्ष डॉ. राम अवध राम, डॉ. देवेंद्र पांडेय एवं डॉ. हरी शंकर सिंह सहित संस्थान के सभी वैज्ञानिकों ने कृषक वैज्ञानिक परिचर्चा में भाग लिया। कार्यक्रम में संस्थान के अधिकारी कर्मचारी सहित मलिहाबाद, माल क्षेत्र के लगभग 230 किसानों ने भाग लिया। कार्यक्रम के अंत में डॉ. सुशील कुमार शुक्ल ने ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। आयोजन दिनांक:- 16-12-2021 |
Participation of ICAR-CISH in National Conclave on Natural Farming and Farmer-Scientist Interaction Organized
ICAR-Central Institute for Subtropical Horticulture, Lucknow organized an interaction programme of more than 230 farmers of Malihabad and Maal area ensuring their virtual/on-line participation in the “National Conclave on Natural Farming organized at Anand, Gujarat. Farmers were extremely inspired by the elaboration of Honorable Governor of Gujarat, Acharya Dev Vratji regarding preparation of various organic inputs like Jeevamrit, ghan jheevamrit, beejamrit, etc and their role in maintaining soil organic carbon and overall health. Farmers were also inspired by the speech of Hon’ble Prime Minister giving a call for natural farming to solve the problems of increasing use of chemical fertilizers and pesticides in agriculture. On the occasion, Dr Neelima Garg, Director of the institute welcomed Dr R. K. Pathak, ex Director, ICAR-CISH who exhorted the farming community regarding importance of cosmic farming, organic inputs and bio-enhancers in natural farming. The special guest Mr Radhshyam Dixit, the coordinator from UP Gau Sewa Aayog also discussed with farmers various govt schemes to conserve and protect cow and promote cow based farming. He also elaborated various efforts made by Gau Seva Aayog for marketing of cow based products to help farmers. The programme was conducted by Dr Sushil Kumar Shukla, Principal Scientist (Horticulture). After the presentation by Hon’ble Prime Minister a farmer-scientist interaction was also organized. More than 230 farmers including staff of the institute participated in the programme. आयोजन दिनांक:- 16-12-2021 |
Meditation Camp organized at ICAR-CISH
भा.कृ.अनु.प.-कें.उ.बा.सं. में ध्यान शिविर का आयोजन भा.कृ.अनु.प.-केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ में दिनांक 15-17 नवंबर, 2021 तक तीन दिवसीय ध्यान शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें 50 से अधिक वैज्ञानिकों, अधिकारियों और कर्मचारियों ने भाग लिया। श्री आर.एस.एल. श्रीवास्तव, प्रशिक्षक, हार्टफुलनेस मेडिएशन सेंटर, आईआईएम रोड, लखनऊ द्वारा ध्यान संबंधी व्याख्यान दिया गया। तीन दिवसीय शिविर के दौरान, भाग लेने वाले वैज्ञानिकों, अधिकारियों और कर्मचारियों ने ध्यान का अभ्यास करने के अलावा मानसिक कचरे को कैसे साफ किया जाए, के बारे में भी सीखा । संस्थान के निदेशक, डॉ. शैलेन्द्र राजन ने भी ध्यान के लाभों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ध्यान न केवल क्रोध को नियंत्रित करने में सहायक होता है, बल्कि कर्मचारियों की कार्यक्षमता बढ़ाने में भी मदद करता है। ध्यान के उपरान्त कर्मचारियों ने इसके बारे में अपने अनुभव साझा किए। A three day meditation camp organized at ICAR-Central Institute for Subtropical Horticulture, Lucknow from November 15- 17, 2021. More than 50 scientists, officers and staff participated in it. The meditation related lecture was delivered by Shri R.S.L. Srivastava, trainer, Heartfullness Mediation Centre, IIM Road, Lucknow has delivered lecture on the benefits of meditation . During the three day camp, participating meditation practitioners also learnt how to cleanse mental garbage also besides practicing meditation. Director, ICAR-CISH, Dr Shailendra Rajan also briefed the gathering about meditation values. He further added that mediation not only controls anger but also helps in increasing the efficiency of the employees. After meditation, staff shared their experience about it. आयोजन दिनांक:- 17-11-2021 |
Webinar on Enterpreneurship Development in Horticulture: A New Paradigm
ICAR-CISH will organize the webinar on Enterpreneurship Development in Horticulture: A New Paradigm on November 16, 2021 Registration Link https://forms.gle/bneShuKhkkzA1d659 Please use our official e-mail ABIU.CISH@icar.gov.in for further correspondence. आयोजन दिनांक:- 16-11-20211 |
Webinar on Entrepreneurship Development in Horticulture: A New Paradigm
बागवानी में उद्यमिता विकास पर वेबिनार: एक नया प्रतिमान पर वेबिनार भा.कृ.अनु.प.-केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ के एग्रीबिजनेस इनक्यूबेशन (एबीआई) केंद्र द्वारा दिनांक 16 नवंबर 2021 को बागवानी में उद्यमिता विकास: एक नया प्रतिमान पर एक वेबिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य बागवानी में उद्यमियों को संवेदनशील एवं क्षमता निर्माण करना था । भा.कृ.अनु.प.-कें.उ.बा.सं. के निदेशक डॉ. एस. राजन ने बागवानी में उद्यमिता के अवसरों के बारे में जानकारी दी। विशेषज्ञ डॉ. आर. नागराजा रेड्डी, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं पीआई मेडी-हब टीबीआई, भा.कृ.अनु.प.--औषधीय और सगंधीय पादप अनुसंधान निदेशालय (डीएमएपीआर), आणंद, गुजरात ने उद्यमिता विकास में औषधीय एवं सगंधीय पादप के महत्व, उपयोग एवं भूमिका के बारे में बताया। एक अन्य वक्ता, श्री एस. संतोष, सीईओ, उद्यमिता विकास एवं नवाचार संस्थान (ईडीआईआई), त्रिची ने कृषि-व्यवसाय में हालिया रुझानों एवं कृषि स्टार्टअप में इनक्यूबेशन सहायता की भूमिका पर प्रकाश डाला। वेबिनार में देश भर से कुल 52 स्टार्टअप, उद्यमी, वैज्ञानिक, शिक्षाविद, छात्र, महिला उद्यमी एवं तकनीकी कर्मचारियों ने भाग लिया। कार्यक्रम का आयोजन डॉ मनीष मिश्रा, प्रधान वैज्ञानिक और पीआई, एबीआई, भा.कृ.अनु.प.-कें.उ.बा.सं. द्वारा किया गया था। A webinar on Entrepreneurship Development in Horticulture: A New Paradigm was organized by Agri-Business Incubation (ABI) Centre, ICAR-Central Institute for Subtropical Horticulture on 16th November 2021. The objective of programme was to sensitize and capacity build entrepreneurs in horticulture. ICAR-CISH, Director, Dr. S. Rajan, briefed about the avenues of entrepreneurship in horticulture. Expert, Dr. R. Nagaraja Reddy, Sr. Scientist and P.I., Medi-Hub TBI from ICAR-Directorate of Medicinal and Aromatic Plants Research (DMAPR), Anand, Gujarat explained about the importance, uses and role of Medicinal and Aromatic Plants in entrepreneurship development. Another speaker, Mr. S. Santhosh, CEO, Entrepreneurship Development and Innovation Institute (EDII), Trichy highlighted the recent trends in agri-business and role of incubation helping in agri-startups. A total 52 startup, entrepreneur, scientist, academician, students, women entrepreneur and technical staff participated across the country. The event was organized by Dr. Maneesh Mishra, Principal Scientist and P.I., ABI, ICAR-CISH. आयोजन दिनांक:- 16-11-2021 |
ICAR-Central Institute of Subtropical Horticulture, Lucknow organized Webinar
भा.कृ. अनु.प.-केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ द्वारा वेबिनार का आयोजन भा.कृ.अनु.प.- केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ द्वारा दिनांक 23 अक्टूबर, 2021 को विशेष राष्ट्रीय स्वच्छता अभियान के तहत विषय कृषि-पारिस्थितिकी तंत्र की सफाई- क्या हमारे पास कीटनाशकों के विकल्प हैं? पर एक वेबिनार का आयोजन किया गया। जिसमें संस्थान के वैज्ञानिकों ने भाग लिया। इसके अलावा बहुत से वैज्ञानिक ऑनलाइन माध्यम द्वारा भी कार्यक्रम से जुड़े। प्रधान वैज्ञानिक डॉ. एच.एस. सिंह ने कीट के प्रबंधन हेतु कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग से कृषि-पारिस्थितिकी तंत्र पर होने वाले दुष्प्रभाव के बारे में बताया। उन्होने कीट के प्रबंधन हेतु अन्य विकल्पों के बारे में भी जानकारी दी। कार्यक्रम का समन्वय प्रधान वैज्ञानिक, डॉ अंजू बाजपाई ने किया। Under Special National Swacchata Campaign, ICAR-Central Institute of Subtropical Horticulture, Lucknow organized Webinar on the topic Agro-ecosystem cleanliness- Do we have alternatives of pesticides? on October 23, 2021. The scientific staff of the Institute participated in the programme. Apart from this, many scientists also joined the programme through virtual mode. Principal Scientist, Dr. H.S. Singh informed about the adverse effects on the agro-ecosystem due to excessive use of pesticides for pest management. He also gave information about other options for the management of the pest. The program was coordinated by Principal Scientist, Dr. Anju Bajpai. आयोजन दिनांक:- 23-10-2021 |
Webinar on Role of Fruits and Vegetables in Food and Nutritional Security
खाद्य और पोषाहार सुरक्षा में फलों और सब्जियों की भूमिका पर वेबिनार भा.कृ.अनु.प.-केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ ने अमृत भारत महोत्सव कार्यक्रम के तहत दिनांक 27 सितंबर, 2021 को राष्ट्रीय पोषण सप्ताह के अवसर पर खाद्य और पोषाहार सुरक्षा में फलों और सब्जियों की भूमिका पर एक वेबिनार का आयोजन किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य अधिक फलों और सब्जियों के सेवन से पोषण और स्वास्थ्य लाभों के बारे में लोगों के बीच जागरूकता पैदा करना था। इस कार्यक्रम में भारत के विभिन्न भाकृअनुप संस्थानों और विश्वविद्यालयों के वैज्ञानिकों, शोधार्थियों और शिक्षाविदों ने भाग लिया। कार्यक्रम की शुरुआत भा.कृ.अनु.प.-के.उ.बा.सं. के निदेशक डॉ. शैलेंद्र राजन के उद्घाटन भाषण से हुई। अधिवेशन के प्रमुख वक्ता डॉ. प्रीतम कालिया, पूर्व एमेरिटस वैज्ञानिक, पूर्व अध्यक्ष, सब्जी विज्ञान विभाग, भा॰कृ॰अनु॰प॰-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली ने “सब्जियों के पौष्टिक-औषधीय पदार्थों जैव-संवर्धन” पर व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने विकासशील देशों में भूख और कुपोषण की समस्या से निपटने के लिए पोषक तत्वों और जैव-संवर्धित खाद्य पदार्थों के स्रोत के रूप में सब्जियों के महत्व का स्पष्ट ज्ञान साझा किया । भाकृअनुप-के.उ.बा.सं. के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. आर.ए. राम ने फलों और सब्जियों को रसोई के कूड़े से प्राप्त खाद द्वारा उगाने के लाभों के बारे में गहन जानकारी दी। उन्होंने बागवानी फसलों के जैविक उत्पादन के लिए नगरपालिका के ठोस कचरे के साथ-साथ रसोई के कचरे के उपयोग पर जोर दिया। वैज्ञानिक डॉ. पी. बर्मन और डॉ. कर्मवीर, ने कार्यक्रम का समन्वयन किया। ICAR-CISH, Lucknow organized a webinar on Role of Fruits and Vegetables in Food and Nutritional Security on the occasion of National Nutrition Week under Bharat ka Amrit Mahotsav programme on September 27, 2021. The purpose of this programme was to create awareness amongst masses about the nutritional and health benefits of consuming more fruits and vegetables. The programme was attended by scientists, research scholars and academicians from various ICAR institutes and Universities of India. The event started with an inaugural address by Dr. Shailendra Rajan, Director, ICAR-CISH, Lucknow who extended his warm welcome to the participants and Resource Persons of the Webinar. The keynote speaker of the Session Dr. Pritam Kalia, former Emeritus Scientist, Ex-Head, ICAR-IARI, New Delhi presented the keynote address on “Nutraceuticals and bio-fortification of vegetables”. He projected a clear understanding of the importance of vegetables as source of nutraceuticals and bio-fortified foods for tackling hunger and malnutrition problem in developing world. Dr. R.A. Ram, Principal Scientist, ICAR-CISH gave a deep insight into the benefits of roof top gardening of fruits and vegetable crops and emphasized on utilization of municipal solid wastes as well as kitchen wastes for organic production of horticultural crops. Dr. P. Barman and Dr. Karma Beer, Scientists coordinated the programme. आयोजन दिनांक:- 27-09-2021 |
भा.कृ.अनु.प. - के.उ.बा.सं. में हिंदी कार्यशाला का आयोजन
केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, रहमानखेडा, लखनऊ में दिनांक 21-08-2021 को हिंदी कार्यशाला का आयोजन किया गया। हिंदी कार्यशाला में मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. सुशील कुमार शुक्ल, प्रधान वैज्ञानिक ने व्याख्यान दिया। कार्यालय के दैनिक कार्यों में हिंदी के उपयोग पर प्रकाश डाला गया तथा वैज्ञानिक लेखों को हिंदी में प्रकाशित करने का सुझाव दिया जिससे जनसामान्य को विज्ञान में हो रही सामयिक प्रगति से लाभान्वित होने का अवसर मिलेगा। इसके अतिरिक्त “गाजर घास एक राष्ट्रीय समस्या एवं समन्वित प्रबंधन” पर चर्चा की। कार्यशाला में संस्थान के वैज्ञानिकों, तकनीकी एवं प्रशासनिक वर्ग के अधिकारियों व् कर्मचारियों ने भाग लिया। बैठक के अध्यक्षता संस्थान के प्रभारी निदेशक डॉ. घनश्याम पाण्डेय द्वारा की गयी तथा कार्यक्रम का सञ्चालन नोडल अधिकारी (राजभाषा) श्री अनिल कुमार सिंह ने किया। आयोजन दिनांक:- 21-08-2021 |
One day online webinar on Technology for production of high quality of guava fruit in rainy season
बरसात में अमरूद के उच्च गुणवत्ता के फल का उत्पादन तकनीक विषय पर एक दिवसीय वेबिनार कार्यक्रम भा.कृ.अनु.प.-कें.उ.बा.सं., लखनऊ ने ज़ूम मीटिंग के माध्यम से दिनाकं 21 जून 2021 को बरसात में अमरूद के उच्च गुणवत्ता के फल का उत्पादन तकनीक विषय पर एक दिवसीय वेबिनार कार्यक्रम का आयोजन किया। जिसमे उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों के वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं, किसानों, प्रसार कार्यकर्ताओं आदि सहित कुल 38 प्रतिभागियों ने भाग लिया। निदेशक, भा.कृ.अनु.प.-कें.उ.बा.सं., डॉ. एस. राजन ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया और बरसात के मौसम में अमरूद से अधिक आय प्राप्त करने की संभावनाओं के बारे में चर्चा की। प्रधान वैज्ञानिक डॉ. के.के. श्रीवास्तव, डॉ. पी.के. शुक्ला और डॉ. दिनेश कुमार और वैज्ञानिक डॉ. गुंडप्पा ने अमरुद के उच्च गुणवत्ता वाले फलों के उत्पादन और अधिक लाभप्रदता हेतु कीट नियंत्रण, जल और पोषण प्रबंधन, थैलाबंदी, तुड़ाई एवं पैकिंग आदि के बारे में जानकारी दी। वेबिनार के दौरान प्रतिभागियों द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब भी विशेषज्ञों ने दिए। वेबिनार का समापन डॉ. दिनेश कुमार के धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ। कार्यक्रम का समन्वय, प्रधान वैज्ञानिक डॉ. के.के. श्रीवास्तव द्वारा गृह मंत्रालय द्वारा निर्देशित कोविड -19 दिशानिर्देश का पालन करते हुए किया गया। ICAR-CISH, Lucknow organized one day webinar on Technology for production of high quality of guava fruit in rainy season on June 21, 2021 through Zoom meeting. A total of 38 participants including Scientists, Researchers, Farmers, Extension workers etc. from Uttar Pradesh and other states were participated. Director, ICAR-CISH, Dr. S. Rajan, inaugurated the programme and discussed about the possibilities to get more earnings from Guava in rainy season. Principal Scientists, Dr. K.K. Srivastava, Dr. P.K. Shukla and Dr. Dr. Dinesh Kumar and Scientist Dr. Gundappa gave knowledge about Pest Control, Water and Nutrition Management, bagging, harvesting and packing etc. for production of high quality fruits and more profitability. During the webinar the queries asked by the participants were also answered by the experts. The webinar has been concluded with vote of thanks by Dr. Dinesh Kumar. Principal scientist, Dr. K.K. Srivastava coordinated the programme with following the MHA Covid-19 guideline. आयोजन दिनांक:- 21-06-2021 |
Webinar on Prospects of Agricultural Education and Skill Development
कृषि शिक्षा एवं कौशल विकास की संभावनाओं पर वेबिनार राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद- केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ, ने दिनांक 28 फरवरी, 2021 को कैप्टन मनोज कुमार पांडे, यूपी सैनिक स्कूल, लखनऊ के छात्रों हेतु "कृषि शिक्षा एवं कौशल विकास की संभावनाओं" पर वेबिनार आयोजित किया। इस वर्ष राष्ट्रीय विज्ञान दिवस शिक्षा एवं कौशल विकास पर केंद्रित था, इस कार्यक्रम का उद्देश्य कृषि शिक्षा में भविष्य की संभावनाओं हेतु छात्रों को जागरूक करना था। कार्यक्रम की शुरुआत में, भा.कृ.अनु.प.- कें.उ.बा.सं. के निदेशक डॉ. शैलेंद्र राजन ने छात्रों को कृषि विज्ञान एवं कौशल विकास के विभिन्न पहलुओं की जानकारी दी। प्रधान वैज्ञानिक, डॉ. एस.के. शुक्ल ने भारत में कृषि विज्ञान की वर्तमान स्थिति, कृषि के योगदान, कृषि शिक्षा के माध्यम से भविष्य की संभावनाओं पर चर्चा की। प्रधान वैज्ञानिक, डॉ. नीलिमा गर्ग ने खाद्य प्रसंस्करण तकनीकों के माध्यम से कौशल विकास और आजीविका पर अपने अनुभव साझा किए। कार्यक्रम में संस्थान के वैज्ञानिक, छात्र, शिक्षक एवं लखनऊ के प्रतिष्ठित स्कूल के परिवार के सदस्यों ने भाग लिया। कार्यक्रम का समन्वयन डॉ. एस.के. शुक्ला द्वारा किया गया। On the occasion of National Science Day, ICAR-CISH, Lucknow organized a webinar on "Prospects of Agricultural Education and Skill Development" for the students of Captain Manoj Kumar Pandey, UP Sainik School, Lucknow on February 28, 2021. This year, National Science Day was focused on education and skill development. The purpose of this programme was to be make aware of the student for future prospects in agricultural education. At the outset of programme, Dr. Shailendra Rajan, Director, ICAR-CISH briefed the students about various aspects of agricultural science and skill development. Principal Scientist, Dr. S.K. Shukla discussed about the current state of agricultural science in India, contribution of agriculture, future prospects through agricultural education. Principal Scientist, Dr. Neelima Garg shared her experiences on skill development and livelihood through food processing techniques. The programme was attended by scientists of the institute, students, teachers and family members of prestigious school of Lucknow. The programme was coordinated by Dr. S.K. Shukla. आयोजन दिनांक:- 28-02-2021 |
Boosting Horti-preneurship in India through ICAR-Central Institute for Subtropical Horticulture
भा.कृ.अनु.प.- कें.उ.बा.सं. के माध्यम से भारत में उपोष्ण बागवानी हेतु बागवानी-उद्यमिता को बढ़ावा देना भा.कृ.अनु.प.-कें.उ.बा.सं., लखनऊ ने दिनांक 12 जनवरी 2021 को "भारत में बागवानी-उद्यमिता को बढ़ावा देने हेतु चुनौतियां एवं दृष्टिकोण" पर एक चर्चा का आयोजन किया। इस आयोजन का उद्देश्य बागवानी में स्टार्टअप को बढ़ावा देने हेतु संभावित उत्साही युवाओं को बागवानी-उद्यमिता विकास एवं क्षमता निर्माण का ज्ञान प्रदान करना था। विशेषज्ञों की पैनल चर्चा में, भा.कृ.अनु.प.-कें.उ.बा.सं., लखनऊ के निदेशक डॉ. शैलेन्द्र राजन; प्रधान वैज्ञानिक, डॉ. मनीष मिश्र; प्रधान वैज्ञानिक, डॉ. टी. दामोदरन, भा.कृ.अनु.प.-के.मृ.ल.अनु.सं., लखनऊ; श्री रामस्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी, लखनऊ की डॉ. ज्योति दीवान; भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर के श्री रवि पांडे एवं अग्नि वेस्ट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड, कानपुर ने बागवानी-स्टार्टअप की चुनौतियों, दत्तक उपायों, जीतने वाले कारकों, व्यवहार्यता विश्लेषण, क्या करना एवं क्या नहीं करना और बागवानी-स्टार्टअप हेतु आवश्यक महत्वपूर्ण घटकों के बारे में चर्चा की। कार्यक्रम का आयोजन सोसायटी फॉर डेवलपमेंट ऑफ सबट्रॉपिकल हॉर्टिकल्चर (एसडीएसएच) के सहयोग से किया गया था। कार्यक्रम में कुल 102 प्रतिभागियों ने भाग लिया। विशेषज्ञों के साथ एक-पर-एक बातचीत सत्र बहुत उपयोगी पाया गया। प्रतिभागियों ने कार्यक्रम में गहरी दिलचस्पी दिखाई एवं वक्ताओं से स्टार्टअप की स्थापना के दौरान आने वाली समस्याओं पर चर्चा की। इस कार्यक्रम में देश भर से विभिन्न इन्क्यूबेटरों, संस्थापकों, नवीन आविष्कार जनकों, निवेशकों, उद्यमियों, महिला उद्यमियों, वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों, हितधारकों एवं छात्रों ने भाग लिया। डॉ. एस. राजन ने बताया कि भा.कृ.अनु.प.-कें.उ.बा.सं. बागवानी में उद्यमियों को समर्थन और सशक्त बनाने के लिए अत्यधिक प्रेरित है एवं संस्थान एग्री-बिजनेस इनक्यूबेशन केंद्र के माध्यम से इस दिशा में उच्च प्रयास कर रहा हैं। नवीन विचारों वाले संभावित उद्यमी, युवा एवं महिला उद्यमी आवेदन कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि बागवानी-उद्यमिता को भारत में बढ़ाने के लिए बागवानी क्षेत्र कई चुनौतियों से गुजर रहा है और हमें इन मुद्दों पर ध्यान देने की आवश्यकता है। ICAR-CISH, Lucknow conducted a panel discussion on “Challenges and Approaches for Boosting Horti-preneurship in India” on 12 January 2021. The objective of the event was to impart the knowledge of horti-preneurship development and capacity building to the potential enthusiastic youth for boosting the startups in horticulture. In panel discussion the experts, Dr. S. Rajan, Director, ICAR-CISH, Lucknow; Dr. Maneesh Mishra, Principal Scientist, ICAR-CISH; Dr. T. Damodaran, Principal Scientist, ICAR-CSSRI, Lucknow; Dr. Jyoti Dewan from Shri Ramswaroop Memorial University, Lucknow; Mr. Ravi Pandey, IIT Kanpur and Mr. Hari Shankar, Founder & Managing Director, Agnys Waste Management Pvt. Ltd., Kanpur discussed about the horti-startup challenges, adoptive measures, winning factors, feasibility analysis, do and donots and necessary important components for horti-startups. The programme was conducted in association with Society for Development of Subtropical Horticulture (SDSH). Total 102 participants attended the programme. The one-on-one interaction session with experts was found to be very useful. Participants showed keen interest in the programme and discussed problems coming across during the establishment of startups to the speakers. In the event, various incubators, founders, innovators, investors, entrepreneurs, women entrepreneurs, scientists, academicians, stakeholders and students participated in the programme from all over the country. Dr. S. Rajan informed that the ICAR-CISH is highly motivated to support and empower the entrepreneurs in horticulture. We are putting high efforts in this direction through the Agri-Business Incubation Centre. Potential entrepreneurs, youth and women entrepreneurs with innovative ideas may apply. He stated that horticulture sector is going through many challenges in boosting the horti-preneurship in India and we need to address these issues. आयोजन दिनांक:- 12-01-2021 |
स्वयं सहायता समूहों हेतु वैकल्पिक आजीविका स्रोतों के सशक्तिकरण पर कार्यशाला
Workshop on "Empowerment of Self Help Groups for Alternative Livelihood Sources"ICAR-CISH RRS Malda organized one day workshop on “Empowerment of Self Help Groups for Alternative Livelihood Sources” on December 20, 2020. The programme was attended by 100 SHG members from Habibpur and English Bazar blocks. Mr. Dibyendu Sarkar (Hon’ble Secretary, P&RD Department, Govt. of West Bengal) chaired the programme as chief guest in presence of Mr. Rajarshi Mitra (District, Magistrate, Malda), Mr. Suresh Chandra Rano (Sub-divisional District Magistrate, Malda cum District Nodal Officer, MGNREGS), Mr. Sougat Choudhury (Block Development Officer, English Bazar). A detailed discussion was held on possible convergence with MGNEGS and others schemes of Govt. of India and Govt. of West Bengal being run by Malda district administration. Dr. Nayak (Scientist & In-charge, ICAR-CISH RRS, Malda) highlighted the ongoing activities being undertaken by the station and possibility to extend support to SHG members for improvement of their livelihood. The SDM & BDO briefed about the approved programme of convergence with ICAR-CISH RRS, Malda. District Magistrate, Malda highlighted important areas of convergence and urges to support SHG members jointly through training and handholding on improved technologies. Secretary, P&RD Department, Govt. of West Bengal lauded for establishment of various demonstration units as model and develop the station as centre of excellence for supporting SHG members, young entrepreneurs and other stakeholders from different corners of West Bengal and adjoining states. The programme was concluded with vote of thanks to the chair by Dr. Antara Das (Scientist, ICAR-CISH RRS, Malda). Dr. Dipak Nayak coordinated the programme with observing MHA guidelines of COVID-19 pandemic. स्वयं सहायता समूहों हेतु वैकल्पिक आजीविका स्रोतों के सशक्तिकरण पर कार्यशालाभा.कृ.अनु.प.-केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र, मालदा द्वारा दिनांक 20 दिसम्बर, 2020 को स्वयं सहायता समूहों हेतु वैकल्पिक आजीविका स्रोतों के सशक्तिकरण” पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें हबीबपुर और अंग्रेजी बाजार प्रखंड के 100 स्वयं सहायता समूहों सदस्यों ने भाग लिया। श्री दिब्येंदु सरकार (माननीय सचिव, पी एंड आरडी विभाग, पश्चिम बंगाल सरकार) ने श्री राजर्षि मित्रा (जिला, मजिस्ट्रेट, मालदा), श्री सुरेश चंद्र रानो (उप-मंडल जिला मजिस्ट्रेट, मालदा सह जिला नोडल अधिकारी, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना), श्री सौगत चौधरी (प्रखंड विकास अधिकारी, अंग्रेजी बाजार) की उपस्थिति में कार्यक्रम की अध्यक्षता की। कार्यक्रम में मालदा जिला प्रशासन द्वारा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना सहित भारत सरकार और पश्चिम बंगाल सरकार की अन्य योजनाओं के संभावित अभिसरण पर एक विस्तृत चर्चा की गई। कार्यक्रम के दौरान डॉ. दीपक नायक (भा.कृ.अनु.प.-के.उ.बा.सं., क्षे.अनु.कें., मालदा) द्वारा स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों हेतु की जा रही गतिविधियों और उनकी आजीविका में सुधार को समर्थन देने की संभावना पर प्रकाश डाला। उप-मंडल जिला मजिस्ट्रेट एवं प्रखंड विकास अधिकारी ने भा.कृ.अनु.प.-के.उ.बा.सं., क्षे.अनु.कें., मालदा के साथ अभिसरण के अनुमोदित कार्यक्रम के बारे में जानकारी दी। जिला मजिस्ट्रेट, मालदा ने स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों को संयुक्त रूप से प्रशिक्षण एवं उन्नत प्रौद्योगिकियों पर हैंडहोल्डिंग के माध्यम से समर्थन करने हेतु अभिसरण और आग्रह के महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर प्रकाश डाला। सचिव, पी एंड आरडी विभाग, पश्चिम बंगाल सरकार ने मॉडल के रूप में विभिन्न प्रदर्शन इकाइयों की स्थापना और स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों, युवा उद्यमियों एवं पश्चिम बंगाल और आसपास के राज्यों के अन्य हितधारकों के समर्थन हेतु स्टेशन को उत्कृष्टता के केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए सराहना की। कार्यक्रम का समापन डॉ. अंतरा दास (वैज्ञानिक, भा.कृ.अनु.प.-के.उ.बा.सं., क्षे.अनु.कें., मालदा) द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव के साथ किया गया। डॉ. दीपक नायक ने कोविड-19 महामारी के गृह मंत्रालय के दिशानिर्देशों के पालन के साथ कार्यक्रम का समन्वय किया। आयोजन दिनांक:- 20-12-2020 |
Technological demonstration and workshop to perk up the income of SC farmers through improved guava orcharding under SCSP
अनुसूचित जाति उपयोजना के अंतर्गत अमरूद की उन्नत बागवानी द्वारा अनुसूचित जाति के कृषकों की आय बढ़ाने हेतु तकनीक प्रदर्शन एवं कार्यशाला भा.कृ.अनु.प.-कें.उ.बा.सं., लखनऊ ने अनुसूचित जाति उपयोजना के अंतर्गत, अमरूद की उन्नत बागवानी द्वारा अनुसूचित जाति के कृषकों की आय बढ़ाने हेतु तकनीक प्रदर्शन एवं कार्यशाला का दिनांक 24 नवम्बर 2020 को संस्थान परिसर में आयोजन किया। जिसमें लखनऊ एवं उन्नाव जिलों के कुल 120 किसानों ने भाग लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. शैलेन्द्र राजन, निदेशक, भा.कृ.अनु.प.- कें.उ.बा.सं. ने की एवं श्री नीरज कुमार प्रजापति, जिन्होंने भारतीय कृषि में जैविक विधि को बढ़ावा देने और जागरूकता पैदा करने के लिए देश के विभिन्न स्थानों पर साइकिल चलाकर 1,11,111 किलोमीटर की परिक्रमा की, उन्हें विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया। इस अवसर पर, डॉ. शैलेन्द्र राजन ने संस्थान द्वारा विकसित अमरूद की किस्मों एवं उनकी गुणवत्ता के बारे में बताया। श्री नीरज ने भी जैविक अमरूद उत्पादन पर अपने अनुभव को भी साझा किया। कार्यक्रम के दौरान, विशेषज्ञों द्वारा किसानों को टपक सिंचाई, उच्च किस्मों का विकास, फर्टीगैशन तकनीक द्वारा सुनियोजित पोषण प्रबंधन, फलों के बैगिंग आदि जैसे उन्नत अमरूद की खेती के बारे में व्यापक ज्ञान दिया गया। कार्यक्रम का समन्वय एवं संचालन प्रधान वैज्ञानिक डॉ. के.के. श्रीवास्तव एवं डॉ. अशोक कुमार, नोडल अधिकारी, अनुसूचित जाति उपयोजना के द्वारा भारत सरकार के कोविड-19 दिशानिर्देश का पालन करते हुए किया गया। ICAR-CISH organized one day technological demonstration and workshop to perk up the income of SC farmers through improved guava orcharding under SCSP on November 24, 2020 at their Institute premises. A total 120 farmers from Lucknow and Unnao districts participated in programme. This program was presided over by the Director ICAR-CISH, Dr. Shailendra Rajan, and Shri Neeraj Kumar Prajapati, who perambulated 1,11,111 km by cycling to various places in the country to promote organic method in Indian agriculture and creating awareness was invited as special guest. At this juncture, Dr. S. Rajan underlined about the Institutes developed guava varieties and their quality. Mr. Neeraj also shared his experience on organic guava production. During the programme, extensive knowledge about improved guava orcharding method like drip irrigation, development of high varieties, precise nutrition management through fertigation technique, Fruit bagging etc. were given to farmers by the experts. Farmers were also visited the demonstration field of guava orchard of the Institute. Dr. K.K. Srivastava, Principal Scientists and Dr. Ashok Kumar, Nodal officer, SCSP were coordinated and conducted the programme with following the Covid-19 guideline as directed by GOI. आयोजन दिनांक:- 24-11-2020 |
Online lecture on Challenges and Opportunity in Horticulture in the Scenario of COVID-19 Pandemic
कोविड-19 महामारी के परिदृश्य में बागवानी में चुनौतियां और अवसर पर ऑनलाइन व्याख्यान भा.कृ.अनु.प.- केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के निदेशक डॉ. शैलेंद्र राजन ने मुख्य रूप से युवा श्रोताओं के लिए दिनाकं 24 जून, 2020 को सीबीजी एग्रीकल्चरल कॉलेज, लखनऊ द्वारा आयोजित राष्ट्रीय वेबिनार "कोविड-19 महामारी के परिदृश्य में बागवानी में चुनौतियां और अवसर पर" में एक व्याख्यान दिया। उन्होंने युवा उद्यमियों को स्टार्ट-अप के लिए आकर्षित कर रहे बागवानी प्रौद्योगिकियों के बारे में बताया और बागवानी उत्पादों के लिए आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन के महत्व का भी उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि संस्थान के कुछ एग्रीबिजनेस इनक्यूबेट उद्यमी के रूप में इस पहलू पर काम कर रहे हैं। इसके अलावा, संस्थान द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों को युवाओं द्वारा अपनी आजीविका के लिए अपनाया गया। A lecture was delivered by Director ICAR-CISH, Dr. Shailendra Rajan mainly for youth listener in National Webinar on Challenges and Opportunity in Horticulture in the Scenario of COVID-19 Pandemic organized by CBG Agriculture PG college, Lucknow on June 24, 2020. He talked about the horticultural technologies that are attracting young entrepreneurs to start-ups and also mentioned the importance of supply chain management for horticultural produce. Few agribusiness incubates of the institute are working on this aspect as entrepreneurs. Further, talked about the Technologies developed by the institute and adopted by youths for their livelihood. आयोजन दिनांक:- 24-06-2020 |
Entrepreneurship Development Programme on Mango and Guava Pulp Processing during 10-12 February, 2020.
10-12 फरवरी, 2020 के दौरान आम एवं अमरूद के गूदा प्रसंस्करण पर उद्यमिता विकास कार्यक्रम आयोजन दिनांक:- 12-02-2020 |
One Day Workshop on Vertical Hydroponics on 24 January 2020
वर्टिकल हाइड्रोपोनिक्स पर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजन दिनांक:- 24-01-2020 |
ICAR-CISH organized one day workshop on Vertical Hydroponics and Soilless Culture
भा.कृ.अनु.प.-कें.उ.बा.सं. में वर्टिकल हाइड्रोपोनिक्स एवं मृदा विहीन खेती पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन भा.कृ.अनु.प.-कें.उ.बा.सं., लखनऊ ने दिनांक 24 जनवरी, 2020 को वर्टिकल हाइड्रोपोनिक्स एवं मृदा विहीन खेती पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला में उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के 140 से अधिक लोगों ने भाग लिया। इस कार्यशाला में भा.कृ.अनु.प.- राष्ट्रीय मत्स्य आनुवंशिक संसाधन ब्यूरों के निदेशक डॉ. के.के. लाल मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। व्याख्यान-सह-बातचीत सत्र के दौरान भा.कृ.अनु.प.-कें.उ.बा.सं. के निदेशक डॉ. शैलेन्द्र राजन ने शहरी बागवानी में हाइड्रोपोनिक्स की संभावनाएं एवं भविष्य के बारे में चर्चा की। प्रतिभागियों को हाइड्रोपोनिक्स एवं पौधों के पोषक तत्वों की आवश्यकता, हाइड्रोपोनिक्स पौधों में पोषक तत्वों की कमी के लक्षण एवं उनके सुधार, हाइड्रोपोनिक्स में रोग एवं कीट प्रबंधन और जैविक हाइड्रोपोनिक्स सब्जी उत्पादन के बारे में ज्ञान दिया गया। कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. एस.आर. सिंह (प्रधान वैज्ञानिक) ने संस्थान द्वारा विकसित कम लागत वाले हाइड्रोपोनिक्स के मॉडलों का प्रदर्शन किया। ICAR-CISH, Lucknow organized one-day workshop on Vertical Hydroponics and Soilless Culture on January 24, 2020. More than 140 people from different districts of Uttar Pradesh were participated in the workshop. In this workshop, Director ICAR-NBFGR, Dr. K.K. Lal was present as chief guest. During the Lecture-cum-Interactive Session, Dr. S. Rajan, Director, ICAR-CISH discussed about prospects and future of hydroponics in urban horticulture. The participants have learned about types of hydroponics and plant nutrient requirement, nutrient deficiency symptoms in hydroponics plants and their correction, disease and pest management in hydroponics and organic hydroponics vegetable production. Programme coordinator, Dr. S.R. Singh (Principal Scientist) demonstrated models of low-cost hydroponics developed by the institute. आयोजन दिनांक:- 24-01-2020 |
Krishi Samriddhi Mela cum National workshop
कृषि समृद्धि मेला सह राष्ट्रीय कार्यशाला धान्यगंगा कृषि विज्ञान केंद्र और रामकृष्ण मिशन आश्रम, सारगाछी द्वारा संयुक्त रूप से दिनांक 10-13 जनवरी, 2020 के दौरान कृषि समृद्धि मेला सह राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। डॉ. पी.के. चक्रवर्ती (सदस्य, कृ.वै.च.मं., नई दिल्ली) इस आयोजन के मुख्य अतिथि थे। इस मौके पर, कई अन्य भा.कृ.अनु.प. संस्थानों के निदेशक भी मौजूद थे। कार्यशाला के दौरान, डॉ. शैलेन्द्र राजन (निदेशक, भा.कृ.अनु.प.- कें.उ.बा.सं.) ने संस्थान के आशाजनक प्रौद्योगिकियों को प्रस्तुत किया और मुर्शिदाबाद और मालदा जिलों में आम के बागों के गंभीर रोग प्रबंधन के मुद्दों की सराहना की। समृद्धि मेले में, भा.कृ.अनु.प.- कें.उ.बा.सं. ने अपना प्रदर्शनी स्टाल लगाया और संस्थान द्वारा विकसित उत्पादों एवं प्रौद्योगिकियों को प्रदर्शन किया। मेले में 1000 से ज्यादा कृषकों ने प्रदर्शनी स्टाल का अवलोकन किया और संस्थान द्वारा विकसित उन्नत तकनीको एवं उत्पादों की जानकारी से लाभान्वित हुए। Krishi Samriddhi Mela cum National workshop jointly organized by Dhanyaganga Krishi Vigyan Kendra and Ramakrishna Mission Ashrama Saragachi at Malda during January 10-13, 2020. Dr. P.K. Chakrabarty (Member, ASRB, New Delhi) was Chief Guest of this event. On this juncture, Directors of many other ICAR Institutes were also present. During the workshop, Dr. S. Rajan (Director, ICAR-CISH, Lucknow) presented the promising institute technologies and lauded the serious disease management issues of mango orchards at Murshidabad and Malda districts. In Samriddhi Mela, ICAR-CISH installed their exhibition stall and showcased Institute developed products and technologies. More than 1000 farmers were interacted on CISH exhibition stall and benefitted from the information of advance technologies and products developed by Institute. आयोजन दिनांक:- 13-01-2020 |
Meditation camp organized at ICAR-CISH, Lucknow
भा.कृ.अनु.प.-कें.उ.बा.सं., लखनऊ में ध्यान शिविर का आयोजन भा.कृ.अनु.प.-केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ में दिनांक 6 से 8 जनवरी, 2020 तक तीन दिवसीय ध्यान शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें 45 से अधिक वैज्ञानिकों, अधिकारियों और कर्मचारियों ने भाग लिया। ध्यान संबंधी व्याख्यान श्री आर.एस.एल. श्रीवास्तव, प्रशिक्षक, हार्टफुलनेस मेडिएशन सेंटर, आईआईएम रोड, लखनऊ द्वारा दिया गया। सभी को ध्यान अभ्यास में ले जाने से पहले, श्री आर.एस.एल. श्रीवास्तव ने बताया कि हमारे व्यस्त जीवन में ध्यान मन को नियंत्रित करने के लिए एक जबरदस्त भूमिका निभाता है। उन्होंने बताया कि ध्यान किसी को भी प्रतिकूल परिस्थितियों में शांत एवं रचनात्मक बनाकर रखता है। उन्होंने आगे कहा कि ध्यान न केवल क्रोध को नियंत्रित करने में सहायक होता है, बल्कि कर्मचारियों की कार्यक्षमता बढ़ाने में भी मदद करता है। तीन दिवसीय शिविर के दौरान, भाग लेने वाले वैज्ञानिकों, अधिकारियों और कर्मचारियों ने ध्यान का अभ्यास करने के अलावा मानसिक कचरे को कैसे साफ किया जाए, के बारे में भी सीखा । संस्थान के निदेशक, डॉ. शैलेन्द्र राजन ने भी ध्यान के लाभों के बारे में जानकारी दी। ध्यान के उपरान्त सभी हर किसी के पास इसके बारे में एक जबरदस्त अनुभव था। A three day meditation camp organized at ICAR-Central Institute for Subtropical Horticulture, Lucknow from January 6- 8, 2020. More than 45 scientists, officers and staff participated in it. The meditation related lecture was delivered by Shri R.S.L. Srivastava, trainer, Heartfullness Mediation Centre, IIM Road, Lucknow. Before taking everyone for meditation practice, Shri R.S.L. Srivastava told them that in our busy life, meditation plays a tremendous role to control mind. He informed that mediation makes one cool, calm and composed in every, even adverse circumstances. He further added that mediation not only controls anger but also helps in increasing the efficiency of the employees. During the three day camp, participating meditation practitioners also learnt how to cleanse mental garbage also besides practicing meditation. Director, ICAR-CISH, Dr Shailendra Rajan also briefed the gathering about meditations benefits. After meditation, everyone had a tremendous experience about it. आयोजन दिनांक:- 08-01-2020 |
Progressive Horticulture Conclave- 2019
प्रोग्रेसिव हॉर्टिकल्चर कॉन्क्लेव- 2019 भारतीय बागवानी अनुसंधान और विकास संस्था (उत्तराखंड), भा.कृ.अनु.प.- केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ एवं भा.कृ.अनु.प.- भारतीय गन्ना अनुसन्धान संस्थान, लखनऊ के सहयोग से बागवानी में भविष्य की तकनीक विषय पर दिनांक 8 से 10 दिसंबर 2019 तक तीन दिवसीय प्रोग्रेसिव हॉर्टिकल्चर कॉन्क्लेव का भा.कृ.अनु.प.- भारतीय गन्ना अनुसन्धान संस्थान, लखनऊ परिसर में आयोजन किया गया। इस कॉन्क्लेव को नाबार्ड, डी.आर.डी.ओ, इफको, उत्तराखंड बागवानी मिशन, यू.पी.सी.एस.टी., आर्गेनिक इंडिया, उत्तराखंड जैव प्रौद्यौगिकी परिषद, रास्ट्रीय बागवानी बोर्ड आदि के द्वारा प्रायोजित थी। कॉन्क्लेव का उद्घाटन दिनांक 8 दिसंबर 2019 को मुख्य अतिथि राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), उद्यानिकी विभाग, कृषि निर्यात, कृषि विपणन, कृषि विदेश व्यापार (एम.ओ.एस.) श्रीराम चौहान द्वारा किया गया। कॉन्क्लेव के दौरान उन्होने कॉस्मिक फार्मिंग वेबसाइट का उद्घाटन, पुरस्कार वितरण, स्मारिका एवं सार पुस्तिका का विमोचन के साथ-साथ विभिन्न पौधों में उपलब्ध औषधीय मूल्यों का उपयोग करने का आहवान किया। विशिष्ट अतिथि महानिदेशक, उपकार, डॉ. बी. सिंह एवं कुलपति नरेंद्र देव कृषि एवं प्राद्यौगिकी विश्वविद्यालय, अयोध्या ने बागवानी में भविष्य की तकनीकों के महत्व के बारे में चर्चा की। निदेशक, भा.कृ.अनु.प.- कें.उ.बा.सं. डॉ. शैलेन्द्र राजन ने प्रगतिशील खेती की भूमिका के बारे में बताया एवं प्रोग्रेसिव हॉर्टिकल्चर जर्नल के संस्थापक एवं उत्तर प्रदेश के प्रथम बागवानी निदेशक डॉ. एस.एस. तेवंतिया को धन्यवाद दिया। निदेशक, भा.कृ.अनु.प.-भा.ग.अनु.सं. डॉ. ए.डी. पाठक एवं सचिव, आई.एस.एच.आर.डी. डॉ. एस.एस. सिंह ने भी सम्मलेन में अपने विचार व्यक्त किये। कॉन्क्लेव का समन्वय प्रधान वैज्ञानिक एवं आयोजन सचिव डॉ. राम अवध राम द्वारा किया गया। The Indian Society of Horticulture Research and Development (Uttarakhand), in collaboration with ICAR-Central Institute for Subtropical Horticulture, Lucknow and ICAR-Indian Institute of Sugarcane Research, Lucknow organised three days ‘Progressive Horticulture Conclave-2019’ with theme of ‘Futuristic Technologies in Horticulture’ during December 8-10, 2019 at ICAR-IISR, Lucknow premises. The conclave was sponsored by NABARD, DRDO, IFFCO, UHM, UPCST, Organic India, UCB, NHB etc. The conclave was inaugurated on 8 December 2019 by the Chief Guest, Minister of State (Independent Charge), Horticulture Department, Agricultural Export, Agricultural Marketing, Agriculture Foreign Trade (MOS) Shri Ram Chauhan. During the programme, he inaugurated the cosmic farming website, distributed prizes, released souvenir and abstract book as well as emphasized the medicinal use of different plant. Distinguished Guest, DG UPCAR and Vice Chancellor Narendra Dev University of Agriculture and Technology, Ayodhya, Dr. B. Singh discussed the importance of future technologies in horticulture. Director, ICAR-CISH Dr. Shailendra Rajan underlined the role of progressive farming and also gave thanks to founder of Progressive Horticulture Journal and first Horticulture Director, Uttar Pradesh Dr. S.S. Tevantia. Director, ICAR-IISR Dr. A.D. Pathak and Secretary, ISHRD Dr. S.S. Singh also expressed his views in conclave. The conclave was coordinated by Principal Scientist and organizing secretary Dr. Ram Avadh Ram. आयोजन दिनांक:- 10-12-2019 |
ICAR-CISH organized one day workshop on Roof Gardening
भा.कृ.अनु.प.-कें.उ.बा.सं. में छत के ऊपर बागवानी पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन भा.कृ.अनु.प.-कें.उ.बा.सं., लखनऊ ने दिनांक 17.11.2019 को छत के ऊपर बागवानी पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला में लखनऊ शहर के रसोई उद्यान प्रेमियों ने भाग लिया। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य शहरवासियों को रसोई के कार्बनिक कचरे का उपयोग करके घर की छत पर कीटनाशक मुक्त, पौष्टिक फलों और सब्जियों को उगाने के बारे में जानकारी प्रदान करना था। व्याख्यान-सह-बातचीत सत्र के दौरान, संस्थान के निदेशक डॉ. शैलेन्द्र राजन ने छत के ऊपर बागवानी के विभिन्न लाभों के बारे में चर्चा की। कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. एस.आर. सिंह (प्रधान वैज्ञानिक) ने प्रतिभागियों को हाइड्रोपोनिक्स प्रौद्यौगिकी का प्रयोग करके स्वस्थ सब्जियों के उगाने के बारे में जानकारी दी। उन्होंने संस्थान द्वारा विकसित कम लागत वाली हाइड्रोपोनिक्स का एक प्रतिरूप भी प्रदर्शित किया। इसके अलावा प्रतिभागियों को सब्जियों में विभिन्न प्रकार के कीटों एवं सूक्ष्म जीवो द्वारा होने वाले रोगों एवं उनके नियंत्रण के बारे में विशेषज्ञों द्वारा जानकारी प्रदान की गयी। ICAR-CISH, Lucknow organized one-day workshop on Roof Gardening on 17.11.2019. In this workshop urban kitchen garden lovers of Lucknow participated. The main objective of this workshop was to be provide information on growing pesticide-free, nutritious fruits and vegetables on house roof using kitchen organic waste to urban peoples. During the Lecture-cum-Interactive Session, Dr. S. Rajan, Director, ICAR-CISH discussed about various benefit of roof gardening. The Programme coordinator, Dr. S.R. Singh (Principal Scientist) emphasized the participants about growing of healthy vegetables using hydroponics technology. He also demonstrated a model of low-cost hydroponics developed by the institute. Apart from this, experts given the knowledge on diseases caused by different types of insects and micro-organisms in vegetables and their control to participants. आयोजन दिनांक:- 17-11-2019 |
Under SCSP programme, ICAR-CISH organized one-day workshop on strawberry production in plain field
अनुसूचित जाति उपयोजना कार्यक्रम के तहत भा.कृ.अनु.प.- कें.उ.बा.सं. द्वारा मैदानी क्षेत्र में स्ट्रॉबेरी उत्पादन पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन अनुसूचित जाति उपयोजना कार्यक्रम के तहत, भा.कृ.अनु.प.- केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ ने दिनांक 31 अक्टूबर, 2019 को मैदानी क्षेत्र में स्ट्रॉबेरी उत्पादन पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। जिसमे मलिहाबाद प्रखंड एवं आस-पास के 55 से अधिक अनुसूचित जाति के किसानों ने भाग लिया। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य किसानों को मैदानी क्षेत्रों में स्ट्रॉबेरी की खेती और उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करना था। कार्यक्रम की शुरुआत में, डॉ. शैलेन्द्र राजन, निदेशक भा.कृ.अनु.प.- कें.उ.बा.सं. ने स्ट्रॉबेरी के रोपण के समय आवश्यक सावधानियों के बारे में जानकारी दी। विशेषज्ञों द्वारा स्ट्रॉबेरी उत्पादन के विभिन्न पहलुओं पर व्याख्यान दिए गए। स्ट्रॉबेरी की खेती से लाभान्वित धीरेंद्र मौर्य और मुकेश मौर्य नाम के दो किसानों ने भी प्रतिभागियों के साथ अपने अनुभव साझा किए। कार्यक्रम के अंत में किसानों को स्ट्रॉबेरी के पौधे भी वितरित किए गए। कार्यक्रम का समन्वय प्रधान वैज्ञानिक डॉ. अशोक कुमार ने किया। Under SCSP programme, ICAR-CISH, Lucknow organized one-day workshop on strawberry production in plain field on 31 October, 2019. More than 55 SC farmers from Malihabad block and their nearby were participated. The main objective of this workshop was to encourage people to cultivate and produce strawberry in the plain areas. At the outset of programme, Dr. Shailendra Rajan, Director ICAR-CISH, underlined about the necessary precautions at the time of planting strawberry. Lectures on various aspect of strawberry production were delivered by experts. Two farmers named Dhirendra Maurya and Mukesh Maurya, benefitted through strawberry cultivation, also shared their experiences with the participants. At the end of programme the strawberry plants were also distributed to the farmers. The programme coordinated by Principal Scientist Dr. Ashok Kumar. आयोजन दिनांक:- 31-10-2019 |
Workshop on strawberry production in plain field
मैदानी क्षेत्र में स्ट्रॉबेरी उत्पादन पर कार्यशाला भा.कृ.अनु.प.- केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ ने अपने तेलीबाग परिसर में दिनांक 30 अक्टूबर, 2019 को मैदानी क्षेत्र में स्ट्रॉबेरी उत्पादन पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला में उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से कुल 25 प्रतिभागियों ने भाग लिया। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य लोगों को मैदानी क्षेत्र में स्ट्रॉबेरी की खेती और उत्पादन करने के लिए लोगो को प्रोत्साहित करना था। कार्यक्रम की शुरुआत में, डॉ. शैलेंद्र राजन, निदेशक भा.कृ.अनु.प.-कें.उ.बा.सं. ने प्रतिभागियों के साथ बातचीत की और उन्हे स्ट्रॉबेरी की खेती के माध्यम से आय में होने वाले लाभ के बारे में भी बताया। विशेषज्ञों द्वारा स्ट्रॉबेरी उत्पादन के विभिन्न पहलुओं पर व्याख्यान दिए गए। स्ट्रॉबेरी की खेती से लाभान्वित धीरेंद्र मौर्य और मुकेश मौर्य नाम के दो किसानों ने भी प्रतिभागियों के साथ अपने अनुभव साझा किए। कार्यक्रम का समन्वय प्रधान वैज्ञानिक डॉ. अशोक कुमार ने किया। ICAR-CISH, Lucknow organized one-day workshop on strawberry production in plain field on 30 October, 2019 at its Telibagh campus. A total of 25 participants belonging from different districts of Uttar Pradesh were attended the workshop. The main objective of this workshop was to encourage people to cultivate and produce strawberries in the plain areas. At the beginning of the programme, Dr. Shailendra Rajan, Director interacted with participants and also underlined about benefit in income earn through strawberry cultivation. Lectures on various aspects of strawberry production were delivered by experts. Two farmers named Dhirendra Maurya and Mukesh Maurya who benefited from strawberry cultivation also shared their experiences with the participants. The programme coordinated by Principal Scientist Dr. Ashok Kumar. आयोजन दिनांक:- 30-10-2019 |
One day workshop and exhibition on empowerment of scheduled caste community by institute trained progressive farmers
संस्थान प्रशिक्षित प्रगतिशील किसानो द्वारा अनुसूचित जाति समुदाय का सशक्तिकरण पर एक दिवसीय कार्यशाला एवं प्रदर्शनी भा.कृ.अनु.प.- कें.उ.बा.सं., रहमानखेड़ा में दिनांक 23.10.2019 को अनुसूचित जाति उपयोजना के अंतर्गत मलिहाबाद ब्लॉक के विभिन्न गांव से अनुसूचित जाति के किसानों को आमंत्रित करके एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें 250 से अधिक किसानों ने भाग लिया। इस कार्यशाला में किसानों द्वारा प्रतिभागियों के लिए विभिन्न तकनीकी सत्र आयोजित किये गए। जिसमे प्रतिभागियों के आय उत्थान हेतु फार्मर फर्स्ट परियोजना के अंतर्गत संस्थान द्वारा प्रशिक्षित एवं लाभान्वित किसानों द्वारा पोषण वाटिका, बागो में लागत प्रभावी मुर्गी पालन, विदेशी सब्जियों की खेती, आम के बाग में हल्दी की अंतर्वस्तु, फलो की नर्सरी, सुदूर बाजार में आम की विपणन, कच्चे आम के फलो का मूल्यवर्धन विषयो पर व्यावहारिक ज्ञानवर्धन किया गया। इस अवसर पर, संस्थान के निदेशक डॉ. शैलेन्द्र राजन ने सामुदायिक सशक्तिकरण के लिए कृषि प्रौद्योगिकीयां एवं संस्थान की भूमिका पर अपने विचार रखे। कार्यशाला का समन्वय प्रधान वैज्ञानिक डॉ. अशोक कुमार, डॉ. मनीष मिश्रा एवं डॉ. आभा सिंह द्वारा किया गया। Under Scheduled Caste sub-plan, a workshop was organized by inviting SC farmers from various villages of Malihabad block on 23.10.2019 at ICAR-CISH, Rehmankhera. In which more than 250 farmers were participated. In this workshop, various technical sessions were organized by the farmers for the participants. The practical knowledge on nutri-garden, cost-effective poultry farming in orchards, cultivation of exotic vegetables, turmeric content in mango orchard, fruits-nursery, marketing of mango in remote market, value addition of raw mango for enhancing the income were given the farmers that were trained and benefitted under Farmer First Project. Director of the Institute, Dr. Shailendra Rajan emphasized about the role of agricultural technologies and institutes for community empowerment. The workshop were coordinated by Principal Scientists, Dr. Ashok Kumar, Dr. Manish Mishra and Dr. Abha Singh. आयोजन दिनांक:- 23-10-2019 |
Workshop on plagiarism in scientific research idea and writing of research articles
वैज्ञानिक अनुसंधान के विचार और अनुसंधान लेखों के लेखन में साहित्यिक चोरी पर कार्यशाला
भा.कृ.अनु.प.-कें.उ.बा.सं., लखनऊ में दिनांक 18.10.2019 को संस्थान के निदेशक, डॉ. शैलेन्द्र राजन के द्वारा वैज्ञानिक अनुसंधान के विचार और अनुसंधान लेखों के लेखन में साहित्यिक चोरी पर एक व्याख्यान दिया गया। इस व्याख्यान में सभी वैज्ञानिक, तकनीकी कर्मचारियों के साथ अन्य शोध छात्रों ने भाग लिया। इस व्याख्यान का मुख्य उद्देश्य अनुसंधान के क्षेत्र में साहित्यिक चोरी के बारे में सभी प्रतिभागियों को शिक्षित करना एवं अनुसंधान कर्मियों को उनके दंड के बारे में जागरूक करना था। डॉ. एस. राजन ने सभी प्रतिभागियों को साहित्यिक चोरी से बचने के लिए केवल नए विचारों पर काम करने, शोध लेखों को लिखने के लिए खुद के कौशल का उपयोग करने एवं उद्धरणों में केवल वास्तविक खोजकर्ताओं को श्रेय देने की सलाह दी। डॉ. अंजू बाजपेयी, प्रधान वैज्ञानिक और नोडल अधिकारी, एचआरडी ने इस व्याख्यान का समन्वय किया। The director of the institute, Dr. Shailendra Rajan gave a lecture on plagiarism in scientific research idea and writing of research articles at ICAR-CISH, Lucknow on 18.10.2019. All Scientific and technical staffs along with other research fellows were participated in this lecture. The main aim of this lecture was to educate all the participants regarding the plagiarism in research field and aware their penalties to research workers. Dr. S. Rajan advised the participants to work only on novel ideas, use their own skill to write research articles, and should be credited only the actual discoverers in citations in order to avoid plagiarism. Dr. Anju Bajpai, Principal Scientist and Nodal Officer, HRD coordinated this lecture. आयोजन दिनांक:- 18-10-2019 |
ICAR-CISH organized brainstorming workshop on DRIS in fruit crops
भा.कृ.अनु.प.- कें.उ.बा.सं. द्वारा फलों की फसलों में निदान एवं संस्तुति एकीकृत प्रणाली (ड्रैस) पर मंथन कार्यशाला का आयोजन भा.कृ.अनु.प.- केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ ने दिनांक 15.10.2019 को फलों की फसलों में निदान एवं संस्तुति एकीकृत प्रणाली (ड्रिस) पर एक मंथन कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यक्रम डॉ. शैलेन्द्र राजन (निदेशक, भा.कृ.अनु.प.- कें.उ.बा.सं.) की अध्यक्षता में आरम्भ हुआ। इस कार्यशाला में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना, उत्तराखंड, चंडीगढ़ सहित देश के विभिन्न राज्यों से प्रतिभागी आए थे। डॉ. ए.के. श्रीवास्तव, प्रधान वैज्ञानिक, भा.कृ.अनु.प.-केंद्रीय नींबू वर्गीय फल अनुसन्धान केंद्र, नागपुर इस कार्यशाला के मुख्य वक्ता थे। कार्यक्रम का समन्वय प्रधान वैज्ञानिक डॉ दिनेश कुमार ने किया। ICAR-Central Institute for Subtropical Horticulture, Lucknow organized a brainstorming workshop on Diagnosis and Recommendation Integrated System (DRIS) in fruit crops on 15.10.2019. The programme was outset under the Chairmanship of Dr. Shailendra Rajan (Director, ICAR-CISH). In this workshop, participants were came from different states of country including Uttar Pradesh, Maharashtra, Telangana, Uttrakhand, Chandigarh. Dr. A.K. Srivastava, Principal Scientist, ICAR-Central Citrus Research Institute, Nagpur was the key speaker of this workshop. The programme was coordinated by Principal Scientist, Dr. Dinesh Kumar. आयोजन दिनांक:- 15-10-2019 |
Under Prime Minister Krishi Sinchai Yojna, two days seminar was organised on Per Drop More Crop
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अंतर्गत पर ड्राप मोर क्रॅाप (माइक्रोइरीगेशन) पर दो दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन भा.कृ.अनु.प.-केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ में उद्यान विभाग द्वारा प्रधानमंत्री कृषि सिचाई योजना के अन्तर्गत पर ड्राप मोर क्राप विषय पर दिनांक 27.09.2019 से 28.09.2019 तक दो दिवसीय संगोष्ठी हुई। यह कार्यक्रम उद्यान विभाग, उत्तर प्रदेश द्वारा प्रायोजित था। संगोष्ठी में उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलो के 400 किसानों ने भाग लिया। संस्थान के निदेशक डॉ. शैलेंद्र राजन की अध्यक्षता में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। डॉ. वीरेंद्र यादव, उप निदेशक (उद्यान लखनऊ मण्डल) ने कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना कार्यक्रम के महत्व के बारे में विस्तृत जानकारी दी। इसके बाद संस्थान के अन्य वैज्ञानिकों ने सूक्ष्म सिंचाई के विभिन्न पहलुओं पर व्याख्यान दिया। Under Prime Minister Krishi Sinchai Yojna, two days seminar was organised on Per Drop More Crop at ICAR-Central Institute for subtropical Horticulture, Lucknow from 27.09.2019 to 28.09.2019. This programme was sponsored by Horticulture Department, Uttar Pradesh. In this programme, 400 farmers from different districts of Uttar Pradesh were participated. The programme was organized under the chairmanship of Dr. Shailendra Rajan, Director, ICAR-CISH. At the outset of the programme Dr. Virendra Yadav, Deputy Director, Horticulture Department, Lucknow gave detailed information about the importance of the Pradhan Mantri Krishi Sinchai Yojna. Afterwards, institutes scientists delivered lectures on various aspect of microirrigation. आयोजन दिनांक:- 27-09-2019 |
One day workshop on Roof top gardening (RTG) technique for increasing income and meeting nutritional need of city dwellers
भा.कृ.अनु.प.-कें.उ.बा.सं., लखनऊ दिनांक 26.09.2019 को रूफ टॉप गार्डनिंग (आरटीजी) तकनीक पर आय बढ़ाने और शहरवासियों की पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित करेगा। ICAR-CISH, Lucknow Will organize one day workshop on Roof top gardening (RTG) technique for increasing income and meeting nutritional need of city dwellers on 26.09.2019 आयोजन दिनांक:- 26-09-2019 |
ICAR-CISH organized one day workshop on Roof Top Gardening (RTG) technique
भा.कृ.अनु.प.-कें.उ.बा.सं. में छत के ऊपर बागवानी पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन भा.कृ.अनु.प.-कें.उ.बा.सं., लखनऊ ने दिनांक 26.09.2019 को छत के ऊपर बागवानी (आरटीजी) तकनीक पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला में प्रोफेसरों, केवीके वैज्ञानिकों, छात्रों, अनुसंधान विद्वानों, उद्यमियों आदि सहित 140 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य बढ़ती हुई फलों और सब्जियों की फसलों के लिए छत के ऊपर का उपयोग करके शहरवासियों की पोषण की आवश्यकता के साथ-साथ आय में वृद्धि करना था। इस अवसर पर डॉ. डी.के. श्रीवास्तव, संयुक्त निदेशक, यूपीसीएसटी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। व्याख्यान-सह-बातचीत सत्र के दौरान, संस्थान के निदेशक डॉ. शैलेन्द्र राजन ने छत के ऊपर बागवानी के विभिन्न लाभों के बारे में चर्चा की। कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. के.के. श्रीवास्तव ने स्वास्थ्य और आय के लिए कंटेनर में फलों की फसल उगाने के बारे में बताया। इसके अलावा, जैविक और कीटनाशक मुक्त फल और सब्जियों के उत्पादन एवं घर के कचरे के उपयोग से छत के ऊपर बागवानी के बारे में भी विशेषज्ञों द्वारा व्याख्यान दिया गया। प्रतिभागियों को छत के ऊपर बागवानी एवं घर के अपशिष्ट प्रबंधन का व्यावहारिक ज्ञान भी प्रदान किया गया। ICAR-CISH, Lucknow organized one-day workshop on Roof Top Gardening (RTG) technique on 26.09.2019. More than 140 participants, including professors, KVK scientists, students, research scholars, Entrepreneurs etc. attended the workshop. The main objective of this workshop was to increase the income as well as nutritional need of city dwellers using roof top for growing fruit and vegetable crops. On this occasion, Dr. D.K. Srivastava, Joint Director, UPCST was present as chief guest. During the Lecture-cum-Interactive Session, Dr. S. Rajan, Director, ICAR-CISH discussed about various benefit of roof top gardening. The Programme coordinator, Dr. K.K. Srivastava emphasized on growing fruit crops in container for health and income. The lecture on production of organic and pesticide free fruit and vegetables and utilization of home waste for RTG purpose are delivered by experts. The participants were also provided with the practical learning of RTG and home waste management. आयोजन दिनांक:- 26-09-2019 |
ICAR-CISH helping in developing ultra high density mango orchards in Madhya Pradesh
भा.कृ.अनु.प.-कें.उ.बा.सं. द्वारा मध्य प्रदेश में आम के अति सघन बाग विकसित करने में सहायता भा.कृ.अनु.प.-केन्द्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान, भोपाल ने मध्य प्रदेश में आम के अति सघन बाग विकसित करने के लिए दिनांक 13.09.2019 को एक मंथन सत्र का आयोजन किया। इस मंथन सत्र का मुख्य उद्देश्य बहुत कम समय के भीतर मध्य प्रदेश के 3 जिलों के 1000 एकड़ भाग में आमों की अति सघन बागों की स्थापना करना था। इसके लिए आमों पर अनुसंधान करने वाली अग्रणी संस्थान भा.कृ.अनु.प.-कें.उ.बा.सं. के निदेशक, डॉ. शैलेन्द्र राजन को इस विचार मंथन सत्र की अध्यक्षता करने एवं इसके सफल कार्यान्वयन के लिए राज्य सरकार को सुझाव देने के लिए आमंत्रित किया गया था। मंथन सत्र के दौरान निदेशक, डॉ. शैलेन्द्र राजन ने आम के अति सघन बागवानी से संबंधित विभिन्न मुद्दों जैसे कि मध्य प्रदेश के जलवायु एवं मृदा के अनुसार आमो की बेहतर किस्मो का चयन, उपयुक्त रोपण घनत्व, सिंचाई एवं उर्वरको का प्रयोग, छत्र प्रबंधन तकनीक पर अपने सुझाव दिए। इस मंथन सत्र में मध्य प्रदेश के बागवानी अधिकारियों के साथ 3 जिलों के कृषकों ने भी भाग लिया ताकि इस विषय को समझने का अवसर मिल सके और तकनीक का त्वरित कार्यान्वयन संभव हो सके। ICAR-Central Institute of Agricultural Engineering, Bhopal organized a brainstorming session to develop ultra high density mango orchards in Madhya Pradesh on 13.09.2019. The main objective of this brainstorming session was to set up mango orchards in 1000 acres of 3 districts of Madhya Pradesh within a very short time. For this, Dr. Shailendra Rajan, Director ICAR-CISH, leading institute on mangoes research, was invited to preside over the brainstorming session and suggest the state government for its successful implementation. During the brainstorming session, Director, Dr. Shailendra Rajan gave suggestion on various issues related to ultra density orcharding of mangoes such as selection of appropriate varieties of mangoes according to the climate and soil of Madhya Pradesh, proper planting density, irrigation and fertigation schedules, canopy management technique etc. Farmers from 3 districts of Madhya Pradesh attended the brainstorming session along with the Horticulture Officials so that everyone could interact with each other for quick implementation of the activity. आयोजन दिनांक:- 13-09-2019 |
Two days Hortipreneurship workshop to be organised by ICAR-CISH Lucknow on 30-31 August 2019
A two days workshop will be organized to facilitate youth to understand what it takes to embark on an next-gen entrepreneurial journey. It will provide the fundamentals of next-gen entrepreneurship and a comprehensive understanding of the associated myths, identification of the innovative idea, creating a value proposition, understanding concepts of costing & pricing, importance of a team, significance of IPR, available funding options and support systems. The workshop will be mentored by professionals of horticulture sector on Horticultural technologies such as protected cultivation of high value horticultural crops, high-tech nursery, value addition and ready to fruit mushroom production. The workshop will be of great significance for budding entrepreneurs, startups, progressive farmers, horticulture officers and unemployed students. Workshop will include Interactive Lectures and Practical Hands on Training. Each participant will be given CERTIFICATE OF PARTICIPATION upon successful completion of workshop. Registration closed आयोजन दिनांक:- 30-08-2019 |
ICAR-CISH organized Horti-preneurship workshop
भा.कृ.अनु.प.-कें.उ.बा.सं. में बागवानी उद्यमिता पर कार्यशाला का आयोजन भा.कृ.अनु.प.-कें.उ.बा.सं., लखनऊ ने दिनांक 30 से 31 अगस्त, 2019 तक बागवानी उद्यमिता पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। जिसमे कार्यशाला में 50 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। इस कार्यशाला का मुख्य उदेश्य नवोदित उद्यमियों को एक उद्यमी के रूप में बागवानी दृष्टिकोण और उनके अनुप्रयोगों के बारे में जागरूक करना था। इस सम्बन्ध में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर के अनुसंधान प्रतिष्ठान अधिकारी, डॉ. रवि पांडे ने कई योजनाओं के बारे बताया। व्याख्यान-सह-बातचीत सत्र के दौरान, संस्थान के निदेशक डॉ. शैलेन्द्र राजन ने बौद्धिक संपदा अधिकार जैसे कि प्लांट ब्रीडर का अधिकार, व्यापार चिह्न आदि द्वारा उत्पाद की सुरक्षा के लिए अपनाए जाने वाले तरीकों के बारे में चर्चा की। डॉ. जितेंद्र, परियोजना प्रबंधक, वै.औ.अनु.प.-केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौध संस्थान, लखनऊ ने उद्यमिता से संबंधित नैतिक दिशा-निर्देशों का उल्लेख किया। प्रतिभागियों को विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने, मशरूम की खेती, जैविक खेती, घर के छतो पर बागवानी, मृदाविहीन पौध सब्जी एवं फल उत्पादन, पौधशाला तैयारी, फलों और सब्जियों के मूल्यवर्धन आदि विषयो पर विशेषज्ञों द्वारा गहन ज्ञान दिया गया। कार्यशाला के दौरान प्रतिभागियों को हाथों-हाथ प्रशिक्षण भी प्रदान किया गया। ICAR-CISH, Lucknow organized two-day Horti-preneurship workshop from 30 to 31 August, 2019. More than 50 participants attended the workshop. The main objective of this workshop was to make the budding entrepreneurs aware of the horticulture approach and their applications as an entrepreneur. In this regard, Dr. Ravi Pandey, Research Establishment Officer, IIT, Kanpur, emphasized many schemes. During the Lecture-cum-Interactive Session, Dr. S. Rajan, Director, ICAR-CISH discussed about the methods adopted for protection of the product by intellectual property rights (IPR) such as the right of plant breeder (PBR), trade mark (TM) etc. Dr. Jitendra, Project Manager, CSIR-CIMAP, Lucknow underlined about ethical guidelines related to entrepreneurship. In-depth knowledge was given to the participants by experts on preparing detailed project reports, mushroom cultivation, organic farming, horticulture on the roof of the house, soil-less plant vegetable and fruit production, nursery preparation, value addition of fruits and vegetables etc. The participants were also provided with the hands-on-training during the workshop आयोजन दिनांक:- 30-08-2019 |
Brainstorming meet on strategies for the management of banana Fusarium wilt (TR-4) in Uttar Pradesh and Bihar
उत्तर प्रदेश और बिहार में केले के फ्यूजैरियम विल्ट (टी आर-4) के प्रबंधन के लिए रणनीतियों पर विचार मंथन बैठक भा.कृ.अनु.प.-कें.उ.बा.सं., लखनऊ एवं राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी, लखनऊ खंड द्वारा संयुक्त रूप से दिनांक 20.08.2019 को उत्तर प्रदेश और बिहार में केले के फ्यूजैरियम विल्ट (टी आर-4) के प्रबंधन के लिए रणनीतियों पर एक विचार मंथन बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य आईसीएआर-फ्यूजीकांट की सफलता का स्मरण करना था और आगे इसके पंजीकरण, लाइसेंस और बड़े पैमाने पर लोगो द्वारा अपनाने हेतु प्रौद्योगिकी को मजबूत करना था। बैठक कृ.वै.च.मं. के सदस्य डॉ. पी.के. चक्रवर्ती की अध्यक्षता में हुई। उन्होंने जैव सुरक्षा, टी आर-4 के नए क्षेत्रों में प्रसार रोकने के लिए संगरोध नियम, देश भर में फैली पनामा विल्ट बीमारी की भू-स्थानिक मानचित्रण, निदान की नई रणनीति एवं आईसीएआर-फ्यूजीकांट के लाइसेंस और पंजीकरण की आवश्यकताओ जैसे प्रमुख मुद्दों पर जोर दिया। डॉ. ए.एन. मुखोपाध्याय पूर्व-कुलपति ए.ए.यू, गुजरात, डॉ. बी.एम.सी. रेड्डी, पूर्व कुलपति-वाई.एस.आर.एच.यू. एवं पूर्व निदेशक भा.कृ.अनु.प.-कें.उ.बा.सं. ने भी इस सन्दर्भ में अपने विचार रखे। बिहार एवं उत्तर प्रदेश के 5 कृषक; श्री विपिन कुमार सिंह, श्री अमरनाथ झा, श्री पंकज कुमार, श्री अमरनाथ प्रभाकर, श्री शालीराम ने आईसीएआर-फ्यूजीकांट तकनीक अपनाने के अपने अनुभवों और सफलता की कहानियों को साझा किया, जिससे उन्हें अपने क्षेत्रों में पनामा विल्ट के प्रभावी प्रबंधन में मदद मिली और साथ ही साथ अच्छे आर्थिक लाभ के साथ अच्छी पैदावार हासिल की। इन सभी किसानों ने पिछले 2 वर्षों में निरंतर समर्थन और मार्गदर्शन के लिए डॉ. टी. दामोदरन और डॉ. शैलेन्द्र राजन, निदेशक भा.कृ.अनु.प.-कें.उ.बा.सं. की टीम का आभार व्यक्त किया। A brain storming meet on strategies for the management of banana Fusarium wilt (TR-4) in Uttar Pradesh and Bihar was jointly organized by NAAS Lucknow Chapter and ICAR-CISH, Lucknow on 20.08.2019. The main aim of this meet was to commemorate the success of ICAR-FUSICONT and further strengthen the technology for its registration, licensing and large scale adoption. The meeting was held under the chairmanship of Dr. P.K. Chakrabarty, Member, ASRB. He emphasized on key issues like biosecurity quarantine rules to prevent the spread of TR-4 in new areas, geospatial mapping of Panama wilt disease spread across the country, new strategy of diagnosis and licensing and registration requirements of ICAR- ICAR-FUSICONT Technology. In this context, Dr. A.N. Mukhopadyay, former-VC, AAU, Gujarat, Dr. B.M.C. Reddy, Former VC-YSRHU cum Ex-Director, ICAR-CISH, Lucknow also presented their views. Five farmers from Bihar and U.P. viz., Mr. Vipin Kumar Singh, Mr. Amarnath Jha, Mr. Pankaj Kumar, Mr. Amarnath Prabhakar and Mr. Shaliram shared their experiences and success stories of ICAR-FUSICONT technology adoption which helped them in effectively managing Panama wilt in their fields, as well as achieve good yields with good economic returns. All these farmers expressed their gratitude to Dr. T. Damodaran and Dr. S. Rajan, Director ICAR-CISH team for their continuous support and guidance throughout the last 2 years. आयोजन दिनांक:- 20-08-2019 |
ICAR-CISH organized workshop on developing kitchen garden in schools under mid-day meal scheme
भा.कृ.अनु.प.-केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान में मध्यान्ह भोजन योजनान्तर्गत विद्यालयों में किचन गार्डन विकसित किये जाने हेतु कार्यशाला का आयोजन भा.कृ.अनु.प.-केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, रहमानखेड़ा में मध्यान्ह भोजन योजनान्तर्गत विद्यालयों में किचन गार्डन विकसित किये जाने हेतु दिनांक 09.08.2019 को एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में संस्थान के वैज्ञानिको के अलावा मध्याह्न भोजन प्राधिकरण के अधिकारियों, 15 अन्य विद्यालयों के प्रतिनिधियो, छात्रों, मिड-डे मील के रसोइयों ने भी भाग लिया। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य मिड-डे मील प्राधिकरण द्वारा उठाए जाने वाले विभिन्न मुद्दों के समाधान के लिए संभावित तरीकों को जानना था, जिससे कि ग्रामीण और शहरी परिस्थितियों के अनुरूप मिड-डे मील योजना के उचित कार्यान्वयन के लिए एक कुशल मॉडल विकसित करने हेतु उनका मार्गदर्शन करने में भा.कृ.अनु.प.-के.उ.बा. सं. की भूमिका तय की जा सके। कार्यशाला के दौरान, संस्थान के निदेशक, डॉ. शैलेन्द्र राजन ने हितधारकों के साथ विद्यालयों में सब्जी उगाने में उनकी कथित समस्याओं पर भी चर्चा की तथा मध्याह्न भोजन प्राधिकरण के अधिकारियों द्वारा इस सन्दर्भ में दिशानिर्देश बनाने में विभिन्न तकनीकी और वित्तीय मुद्दों पर अपनी राय रखी। संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. आर.ए. राम ने विद्यालयों में जैविक कचरे से उपयोगी उत्पाद के रूपांतरण पर एक प्रस्तुति दी। इसके अलावा प्रधान वैज्ञानिक डॉ. एस.आर. सिंह ने भी फसल मॉडल, फसल कैलेंडर, विभिन्न परिस्थितियों में उगने वाली फसलों की संभावना एवं विभिन्न गतिविधियों के लिए आवश्यक बजट पर एक प्रस्तुति दी। A workshop was organized on 09.08.2019 at ICAR-CISH, Rehmankhera for developing kitchen garden in schools under mid-day meal scheme. The scientists of the Institute, officer of mid-day meal authority, representative of 15 schools, students and mid-day meal cooks were participated in the workshop. The main objective of this workshop was to find out possible ways to address various issues raised by the mid-day meal authority, so as to decide the role of ICAR-CISH in guiding them to develop an efficient model to suit rural and urban conditions for the proper implementation of the mid-day meal plan. During the workshop, Director, ICAR-CISH, Dr. Shailendra Rajan discussed with the stakeholders their perceived problems in vegetable cultivation in schools and in this regard he gave them his opinion on various technical and financial issues in making guidelines by the officer of mid day meal authority. Dr. R.A. Ram, Principal Scientist gave a presentation on the conversion of organic waste to useful product in schools. Dr. S.R. Singh, Principal Scientist also made a presentation on crop model, crop calendar, possibility of crops growing under different condition and the budget required for various activities. आयोजन दिनांक:- 09-08-2019 |
हिंदी कार्यशाला का आयोजन
केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, रहमानखेड़ा, लखनऊ में दिनांक 28.06.2019 को हिंदी कार्यशाला का आयोजन किया गया। हिंदी कार्यशाला में मुख्य वक्ता के रूप में डॉ सोम नाथ चंदेल, अपर महानिदेशक, भारतीय भू विज्ञान सर्वेक्षण तथा लखनऊ की नराकास के अध्यक्ष उपस्थित थे। अपने व्याख्यान के दौरान उन्होंने राजभाषा के नियम, विनियम एवं अधिनियम सहित हिंदी भाषा की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए इसे विज्ञान से जोड़ने पर बल दिया। उन्होंने नराकास के कार्य करने की प्रणाली को भी विस्तार से बताया। विशिष्ट अतिथि, डॉ शंभू नाथ, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं नराकास सचिव ने राजभाषा हिंदी और विज्ञान के अन्योनाश्रय संबंधों की चर्चा की। डॉ विजय नारायण तिवारी, सेवानिवृत्त संयुक्त निदेशक (राजभाषा), केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान, लखनऊ ने राजभाषा हिंदी : समस्याएं और समाधान पर व्याख्यान दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्थान के निदेशक, दे शैलेन्द्र राजन द्वारा की गयी। कार्यक्रम के सूत्रधार श्री धीरज शर्मा, सहायक निदेशक (राजभाषा) थे। आयोजन दिनांक:- 28-06-2019 |
Mango growers conclave-2019
आम उत्पादकों का सम्मेलन-2019 भा.कृ.अनु.प.- कें.उ.बा.सं., क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र, मालदा और क्रॉपलाइफ इंडिया लिमिटेड, नई दिल्ली के सहयोग से आम उत्पादकों का सम्मेलन दिनांक 26 जून, 2019 को आयोजित किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन डॉ. पी.के. चकरबर्ती (सदस्य, कृषि वैज्ञानिक भर्ती बोर्ड, नई दिल्ली) द्वारा मुख्य अतिथि प्रो. रॉबर्ट स्पूनर हार्ट (प्रोफेसर, पश्चिमी सिडनी विश्वविद्यालय, ऑस्ट्रेलिया), श्री सुब्रत मंडल (मुख्य महाप्रबंधक, नाबार्ड क्षेत्रीय कार्यालय, कोलकाता), डॉ. अमिताव सान्याल (महाप्रबंधक, सुमितोमो केमिकल्स इंडिया लिमिटेड और निदेशक, क्रॉपलाइफ इंडिया लिमिटेड, नई दिल्ली), प्रो. प्रणब चट्टोपाध्याय (पूर्व प्रोफेसर, बीसीकेवी, कल्याणी, पश्चिम बंगाल) की उपस्थिति में किया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य आम की गुणवत्तायुक्त एवं अधिक उपज के लिए अच्छी कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना था। कार्यक्रम में 300 से अधिक आम उत्पादकों और 100 आदिवासी महिला किसानों ने भाग लिया। सम्मलेन में विशेषज्ञों द्वारा आम के अधिक गुणवत्तायुक्त पैदावार के लिए डंकरहित मधुमक्खियों के द्वारा आम में कुशल परागण, पेक्लोबुट्राजोल का उचित उपयोग, तुड़ाई एवं विपणन में जैव संसाधनों के प्रभावी उपयोग के बारे में जानकारी दी गयी। डॉ. दीपक नायक (वैज्ञानिक और प्रभारी, भा.कृ.अनु.प.- कें.उ.बा.सं. क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र, मालदा) ने कार्यक्रम का समन्वय किया। ICAR-CISH, RRS, Malda and Crop Life India Ltd, New Delhi jointly organized Mango grower’s conclave on 26.06.2019. The programme was inaugurated by Dr. P. K. Chakarbarty (Member, Agricultural Scientist Recruitment Board, New Delhi) as chief guest in presence of Prof. Robert Spooner Hart (Professor, Western Sydney University, Australia), Mr. Subrata Mandal (Chief General Manager, NABARD Regional Office, Kolkata), Dr. Amitava Sanyal, General Manager, Sumitomo Chemicals India Ltd. & Director, Crop Life India Ltd., New Delhi), Prof. Pranab Chattopadhyay (Former Professor, BCKV, Kalyani, W.B.). The main objective of this programme was to promote good agricultural practices (GAP) for the production of quality mango with higher yield. Over 300 mango growers and 100 tribal women farmers participated in the programme. For production of quality mango with higher yield, experts delivered the lecture on efficient pollination in mango through stingless bees, proper use of paclobutrazol, effective use of bio resources in harvesting and marketing etc. Dr. Deepak Nayak (Scientist and In-charge, ICAR-CISH, RRS, Malda) coordinated the programme. आयोजन दिनांक:- 26-06-2019 |
Foundation day cum workshop
स्थापना दिवस सह कार्यशाला
भा.कृ.अनु.प.- केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, रेहमानखेड़ा, लखनऊ ने दिनांक 01.06.2019 को 36वां स्थापना दिवस मनाया। कार्यक्रम का उद्घाटन डॉ. एस. राजन, निदेशक, भा.कृ.अनु.प.- कें.उ.बा.सं., मुख्य अतिथि श्री रमा शंकर पांडेय, निदेशक, राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद, लखनऊ की उपस्थिति में किया गया। इसके अलावा श्री आर.के. श्रीवास्तव, उप निदेशक, राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद, श्री आर.के. यादव, सहायक महाप्रबंधक (एजीएम), राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड), उपेंद्र सिंह, अध्यक्ष, अवध आम उत्पादक एवं बागवानी समिति, मालिहाबाद, श्री एस.सी. शुक्ला, प्रगतिशील किसान भी विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थे। कार्यक्रम में किसानों, बैंकरों, उद्यमी, बागवानी अधिकारियों, हितधारकों आदि सहित 200 से अधिक लोगों ने भाग लिया। इस अवसर पर, डॉ. एस. राजन ने संस्थान के प्रगतिशील विकास को रेखांकित किया। इस मौके पर, आम में आदर्श कृषि क्रियाओ के अनुपालन एवं फल उत्पादक संगठन से प्राप्त लाभ के द्वारा उत्पादकों को सक्षम बनाने के लिए एक कार्यशाला भी आयोजित की गई। जिसमे श्री रमा शंकर पांडे ने बेहतर लाभ और सौदेबाजी के लिए छोटे किसानों द्वारा उपज के सामूहिक एकत्रीकरण के बारे में जानकारी दी। श्री आर.के. यादव ने विशेष रूप से आम किसानों के लिए किसान-उत्पादक संगठन (एफपीओ) की स्थापना के बारे में अपने विचारो को बताया। डॉ. एस. राजन ने जीएपी दिशानिर्देश और प्रमाणित आम के लाभ के बारे में जानकारी दी और इस बात पर भी जोर दिया कि जीएपी दिशानिर्देश का उपयोग करके हम वांछित मूल्य पर गुणवत्ता वाले आम के निर्यात को बढ़ा सकते हैं और फलस्वरूप आम उत्पादकों की आय में सुधार कर सकते हैं। कार्यक्रम का समापन प्रधान वैज्ञानिक डॉ. जी. पाण्डेय के धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ। ICAR-CISH, Lucknow Celebrated 36th foundation day on 01.06.2019. The programme was inaugurated by Dr. S. Rajan, Director ICAR-CISH along with chief guest Shri Rama Shankar Pandey, Director, Rajya Krishi Utapadan Mandi Parishad, Lucknow. Beside this, Shri R.K. Srivastava, Deputy Director, Rajya Krishi Utapadan Mandi Parishad, Shri R.K. Yadav, Assistant General Manager (AGM), National Bank For Agriculture And Rural Development (NABARD), Upendra Singh, President Avadh Aam Utpadak Evam Bagwani Samiti, Malihabad, Shri S.C. Shukla, Progressive Farmer were also present as special guests. More than 200 peoples including farmers, bankers, entrepreneur, horticulture officers, stakeholders etc. participated in programme. On this occasion, Dr. S. Rajan underlined the progressive development of Institute. At this juncture, a workshop was also organized on enabling mango farmers through GAP compliance and FPO for augmenting profit. Shri Rama Shankar Pandey briefed about collective aggregation of produce by small farmers for better profit and bargaining. Shri R.K. Yadav underlined about establishment of Farmer-Producer Organization (FPO), specially for mango farmers. Dr. S. Rajan, gave details about GAP guideline and the benefit of certified mango. He also emphasized that using GAP guideline we can scale up export of quality mango at desired price and consequently improve the income of mango growers. The programme was wind up with vote of thanks by Dr. G. Pandey, Principal Scientist. आयोजन दिनांक:- 01-06-2019 |
राजभाषा : नीति एवं निर्देशन पर हिंदी कार्यशाला
भा.कृ.अनु.प.-केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ में दिनांक 27.03.2019 को अपराह्न 3:00 बजे से राजभाषा : नीति एवं निर्देशन पर हिंदी कार्यशाला के अंतर्गत व्याख्यान का आयोजन किया गया। संस्थान के सहायक निदेशक (राजभाषा), श्री धीरज शर्मा ने राजभाषा : नीति एवं निर्देशन विषय पर व्याख्यान दिया। इसके अंतर्गत उन्होंने बताया कि हिंदी राजभाषा कैसे बनी। अपने सम्बोधन में उन्होंने राजभाषा अधिनियम 1963 तथा राजभाषा 1976 की भी चर्चा की। कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्थान के निदेशक, डॉ. शैलेन्द्र राजन ने की। इस अवसर पर संस्थान के वैज्ञानिक, अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे। आयोजन दिनांक:- 27-03-2019 |
Workshop on Horticulture Entrepreneurship
बागवानी उद्यमिता पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन भा.कृ.अनु.प.- केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, रहमानखेड़ा एवं उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, उत्तर प्रदेश के सहयोग से कृषि और ग्रामीण विकास केंद्र (कार्ड), नई दिल्ली ने उद्यान भवन में दिनांक 07.03.2019 को बागवानी उद्यमिता पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। जिसका मुख्य उद्देश्य किसानो की आय में सुधार हेतु उनकी फसल के लिए बेहतर बाजार उपलब्ध सम्बन्धी जानकारी के बारे में जागरूक करना था। इस कार्यशाला का उद्घाटन मुख्य अतिथि डॉ. हसीब अख्तर (पूर्व कुलपति, नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौधोगिकी विश्वविधालय, अयोध्या) द्वारा डॉ. अनीस अंसारी (अध्यक्ष, कृषि और ग्रामीण विकास केंद्र), डॉ. शैलेन्द्र राजन (निदेशक, भा.कृ.अनु.प.- कें.उ.बा.सं.) एवं डॉ. आर.पी. सिंह (निदेशक, बागवानी और खाद्य प्रसंस्करण, उत्तर प्रदेश) की उपस्थिति में हुआ। जिसमे उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिले के लगभग 200 कृषको एवं उद्यमियों ने भाग लिया। कार्यशाला में कृषको की आय के सुधार हेतु विभिन्न विशेषज्ञों द्वारा ई- नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट (ईनाम), खेती की नयी तकनीकों एवं उसके प्रशिक्षण हेतु एवं सरकार की उद्यान एवं कृषि सम्बन्धी विभिन्न योजनाओ के बारे में जानकारी दी गयी। One day workshop on Horticulture Entrepreneurship was organized by Agriculture and Rural Development Centre (CARD), New Delhi in collaboration with ICAR- Central Institute for Subtropical Horticulture, Rehmankhera and Horticulture and Food Processing Department, Uttar Pradesh at Udhyan Bhawan, Lucknow on 07.03.2019. The main objective of this workshop was to improve the income of the farmers by creating awareness about better market place available for their crops. The workshop was inaugurated by Dr. Haseeb Akhtar (Ex-Vice Chancellor, Narendra Dev Agriculture and Technology University, Ayodhya) as Chief Guest in the presence of Dr. Anees Ansari (President, Agriculture and Rural Development Centre), Dr. Shailendra Rajan (Director, ICAR- Central Institute for Subtropical Horticulture, Lucknow) and Dr. R.P. Singh (Director, Horticulture and food Processing, Uttar Pradesh). Approximately 200 farmers from different district of Uttar Pradesh were participated in this programme. In technical session, in order to increase the income of the farmers, the knowledge about e-national agriculture market (e-NAM), new agricultural technologies and its training for farming, various government schemes related with Horticulture and agriculture were given by different subject matter experts. आयोजन दिनांक:- 07-03-2019 |
Seminar on Per Drop More Crop (Microirrigation) organized by ICAR-CISH under Pradhanmantri Krishi Sinchai Yojna
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना पर ड्राप मोर क्रॅाप (माइक्रोइरीगेशन) के अंतर्गत दो दिवसीय संगोष्ठी कार्यक्रम का आयोजन भा.कृ.अनु.प.- केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, रहमानखेड़ा के सहयोग से सुनियोजित कृषि विकास केन्द्र (पी.एफ.डी.सी.) ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना “पर ड्राप मोर क्रॅाप“ (माइक्रोइरीगेशन) के अंतर्गत दिनांक 05.03.2019 से 06.03.2019 तक दो दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया। यह कार्यक्रम उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, उत्तर प्रदेश द्वारा प्रायोजित था। संगोष्ठी में उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिले के 400 किसानों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम का उद्घाटन दिनांक 05.03.2019 को मुख्य अतिथि माननीय सांसद श्री कौशल किशोर द्वारा डॉ. शैलेन्द्र राजन (निदेशक, भा.कृ.अनु.प.- कें.उ.बा.सं.), डॉ. आर.पी. सिंह (निदेशक, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण, उत्तर प्रदेश) एवं डॉ. एन.एल.एम. त्रिपाठी (नोडल अधिकारी, सूक्ष्म सिंचाई, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण निदेशालय, उत्तर प्रदेश) की उपस्थिति में हुआ। पी.आई., पी.एफ.डी.सी. ने तकनीकी सत्र की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना कार्यक्रम के महत्व के बारे में विस्तृत जानकारी दी। इसके बाद संस्थान के अन्य वैज्ञानिकों ने सूक्ष्म सिंचाई के विभिन्न पहलुओं पर व्याख्यान दिया। अगले दिन, प्रधान वैज्ञानिक, डा. वी.के. सिंह ने किसानो को संस्थान में प्रायोगिक प्रक्षेत्र का भ्रमण कराया तथा सूक्ष्म सिंचाई प्रौद्योगिकी को अपनाने में आने वाली समस्याओं एवं उनके निदान के बारे में बताया। Under Prime Minister Krishi Sinchai Yojna, PFDC organized two days seminar programme on "Per Drop More Crop" (Microirrigation) at ICAR-Central Institute for subtropical Horticulture, Rehmankhera, Lucknow, Uttar Pradesh from 05.03.2019 to 06.03.2019. This programme was sponsored by Horticulture and Food Processing Department, Uttar Pradesh. In this programme, 400 farmers from different district of Uttar Pradesh were participated. The programme was inaugurated by Shri Kaushal Kishor (Honourable MP) as Chief Guest in presence of Dr. Shailendra Rajan (Director, ICAR-CISH, Lucknow), Dr. R.P. Singh (Director, Horticulture and food Processing, Uttar Pradesh), Dr. N.L.M. Tripathi (Nodal Officer, Micro Irrigation, Directorate of Horticulture and Food Processing, Uttar Pradesh). At the outset of the technical session, P.I., P.F.D.C., gave detailed information about the importance of the PMKSY programme. The institutes scientists given lectures on various aspect of microirrigation. On the next day, Dr. V.K. Singh coordinated the experimental field visit of farmers and also unriddle the problem and their solution for adopting micro-irrigation technology. आयोजन दिनांक:- 06-03-2019 |
XIV Agricultural Science Congress
XIV Agricultural Science Congress to be organized by National Academy of Agricultural Sciences, New Delhi & ICAR-Indian Agricultural Research Institute, New Delhi from February 20-23, 2019. Please Visit: XIV Agricultural Science Congress 2019. आयोजन दिनांक:- 20-02-2019 |
Seminar-cum-Kisan mela
गोष्ठी सह किसान मेला भा.कृ.अनु.प.-के.उ.बा.सं., लखनऊ के प्रधान वैज्ञानिक एवं पी.आई., पी.एफ.डी.सी., डा. वी.के. सिंह ने दिनांक 16.01.2019 को इजराइल के सहयोग से स्थापित हुई सेन्टर ऑफ एक्सीलेन्स फॉर वेजीटेबल, उमर्दा, कन्नौज, उत्तर प्रदेश द्वारा आयोजित दो दिवसीय गोष्ठी सह किसान मेला में "विभिन्न सब्जियों की फसलों की संरक्षित खेती" पर व्याख्यान दिया। इस गोष्ठी में लगभग 70 किसानों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य किसानो को इजराइली विधि द्वारा मृदाविहीन पॉलीहाउस स्थिति में गैर-मौसमी रोग मुक्त सब्जियों की फसलों की उत्पादन के लिए प्रशिक्षित करना था। किसानो के लिए इजराइली विधि द्वारा तैयार उन्नत किस्म के अनिषेकफालित खीरा, कद्दू, करेला, तरबूज, खरबूज आदि का प्रदर्शन किया गया। गोष्ठी में सम्मलित किसानो ने इजराइली विधि को अपनाने में बहुत रूचि दिखाई और उससे सम्बंधित जानकारियों को विशेषज्ञो से ग्रहण किया। Centre of Excellence for Vegetable, Umarda, Kannauj, established in collaboration with Israel, organized two day Seminar-cum-Kisan mela on 16.01.2019. Principal Scientist and PI, PFDC Dr. V.K. Singh, visited and gave a lecture on "protected cultivation of different vegetable crops" in aforesaid gosthi. More than 70 farmers were attended the programme. The main objective of this programme was to trained the farmers to produce non-seasonal disease-free vegetable crops in soil-less polyhouse condition through Israeli technology. The farmers were benefitted with showcase of advanced varieties of parthenocropic cucumbers, pumpkin, bitter gourd, watermelon, musk melon etc., ready through adoption of Israeli technology. The farmers showed great interest and took the relevant information from us to adopting this technology. आयोजन दिनांक:- 16-01-2019 |
Seminar on quality mango production, post-harvest management and marketing
गुणवक्ता युक्त आम के उत्पादन, तुड़ाई उपरांत प्रबंधन एवं विपणन पर संगोष्ठी बागवानी विभाग, लखनऊ द्वारा गुणवक्ता युक्त आम के उत्पादन, तुड़ाई उपरांत प्रबंधन एवं विपणन पर दो दिवसीय (10-11 जनवरी) संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का उद्घाटन दिनांक 10.01.2019 को मुख्य गणमान्य अतिथि माननीय सांसद श्री कौशल किशोर और विशिष्ट अतिथि डॉ. एस राजन (निदेशक भा.कृ.अनु.प.- कें.उ.बा.सं.) की उपस्थिति में किया गया। इस कार्यक्रम में कुल 60 किसानों ने भाग लिया। इस अवसर पर, श्री कौशल किशोर जी ने किसानों को आम में फूल आने के समय अंधाधुंध कीटनाशक का उपयोग करने के बजाय कम से कम उपयोग के लिए संबोधित किया और वैज्ञानिकों से आम के लिए सुरक्षित कीटनाशक समय-सारणी पर काम करने का भी आग्रह किया। डॉ. शैलेन्द्र राजन ने कुशल परिवहन के माध्यम से किसानों की आय को दोगुना करने तथा बाजार में वांछित माँग के अनुसार फलों की आपूर्ति के लिए अपने विचारो को साझा किया। बागवानी विभाग, उत्तर प्रदेश के निदेशक डॉ. आर.पी. सिंह ने उपरोक्त कार्यक्रम का समन्वय किया। A two-day state-level seminar on quality mango production, post-harvest management and marketing was organised by the Horticulture department from 10.01.2019 to 11.01.2019. The programme was inaugurated by Shri Kaushal Kishor (Honourable MP) as Chief Guest in presence of Dr. Shalendra Rajan (Director, ICAR-CISH, Lucknow) as a Special Guest. A total 60 farmer participated in seminar. On this occasion, Shri Kaushal Kishor addressing the farmers for least use of insecticide instead of indiscriminate use at the time of flowering in mango and also urged the scientists to work on safe insecticide schedule for mango. Dr. Shalendra Rajan sharing own view on minimizing the fruits loss as well as doubling the farmers income through efficient transport of fruits in demanding market. Dr. R.P. Singh, Director of Horticulture department, coordinated the programme. आयोजन दिनांक:- 10-01-2019 |
Krishi Samriddhi Mela cum National Workshop on Integrated Farming System
कृषि समृद्धि मेला सह एकीकृत कृषि प्रणाली पर राष्ट्रीय कार्यशाला रामकृष्ण मिशन आश्रम, सरगाछी, मुर्शिदाबाद और धान्यगंगा कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा भा.कृ.अनु.प.- कें.उ.बा.सं. क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र, मालदा और कृषि विभाग, पश्चिम बंगाल के सहयोग से रामकृष्ण मिशन आश्रम में दिनांक 28-31 दिसंबर 2018 को कृषि समृद्धि मेला- सह एकीकृत कृषि प्रणाली पर राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य गणमान्य अतिथि माननीय मंत्री डॉ. आशीष बनर्जी, कृषि विभाग, पश्चिम बंगाल द्वारा विशिष्ट अतिथि, माननीय उपमहानिदेशक डॉ. अशोक कुमार सिंह, भा.कृ.अनु.प., नई दिल्ली की उपस्थिति में किया गया। इसके अलावा डॉ. पीके चक्रवर्ती (सहायक महानिदेशक- पादप संरक्षण और जैव सुरक्षा, भा.कृ.अनु.प., नई दिल्ली), डॉ. एस राजन (निदेशक, भा.कृ.अनु.प.-कें.उ.बा.सं.), डॉ. एसएस सिंह (निदेशक, भा.कृ.अनु.प.- कृ.त.अनु.सं., कोलकाता) और श्री मुशर्रफ हुसैन (सबाधिपति, मुर्शिदाबाद जिला परिषद) भी विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थे। कृषि समृद्धि मेला में हजारो की संख्या में किसानो ने भाग लिया और भा.कृ.अनु.प. के विभिन्न संस्थानों, राज्य कृषि विश्वविधालय, कृषि विज्ञान केंद्र, गैर सरकारी संगठनों और निजी भागीदारों के कृषि और संबद्ध क्षेत्रों की विभिन्न तकनीकों का प्रदर्शन करने के लिए लगे 60 से अधिक प्रदर्शनी स्टालों को देखकर लाभान्वित हुए। इस अवसर पर एकीकृत कृषि प्रणाली को बढ़ावा देने के उद्देश्य से देश के विभिन्न हिस्सों से आये कई विशेषज्ञों ने व्याख्यान दिए और साथी किसानों तथा अन्य हितधारकों के साथ अपने अनुभव साझा किए। कार्यक्रम का समन्वय डॉ. सुजान विश्वास (वरिष्ठ वैज्ञानिक और प्रमुख, धान्यगंगा कृषि विज्ञान केंद्र, सरगाछी, पश्चिम बंगाल) और डॉ. दीपक नायक (वैज्ञानिक और प्रभारी, भा.कृ.अनु.प.- कें.उ.बा.सं. क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र, मालदा, पश्चिम बंगाल) द्वारा किया गया था। Krishi Samriddhi Mela-2018 cum National Workshop on Integrated Farming System was organized during 28-31 December, 2018 at Ramakrishna Mission Ashrama, Sargachi, Murshidabad, W.B. by Dhaanyaganga Krishi Vigyan Kendra and Ramakrishna Mission Ashrama, Sargachi in collaboration with ICAR-CISH Regional Research Station, Malda and Department of Agriculture, Govt. of West Bengal. At beginning, Swami Viswamayananda Ji (Secretary, RKMA, Sargachi) welcomed all the dignitaries. The programme was inaugurated by Dr. Ashish Banerjee (Hon’ble MIC, Department of Agriculture, Govt. of West Bengal) as Chief Guest in presence of Dr. Ashok Kumar Singh (Hon’ble Deputy Director General, ICAR, New Delhi) as Guest of Honour, Dr. P.K. Chakrabarty (Assistant Director General- Plant Protection & Biosafety, ICAR, New Delhi), Dr. S.S. Singh (Director, ICAR-ATARI, Kolkata), Dr. S. Rajan (Director, ICAR-CISH, Lucknow), Mr. Musharaf Hossain (Sabhadhipati, Murshidabad Zilla Parishad) as special guests. Thousands of farmers participated in the Krishi Samrudhi Mela-2018 and were benefited by more than 60 exhibition stalls, demonstrating various techniques, of different ICAR institutes, state agricultural universities, KVKs, NGOs and private partners. On this occasion, several experts from different parts of the country have given lectures and shared their experiences with fellow farmers and other stakeholders for the purpose of promoting integrated agriculture system. The aforementioned programme were coordinated by Dr. Sujan Biswas (Senior Scientist and Head, Dhaanyaganga Krishi Vigyan Kendra, Sargachi, West Bengal) and Dr. Dipak Nayak (Scientist and In-charge, RRS Malda, West Bengal). आयोजन दिनांक:- 28-12-2018 |
कें.उ.बा.सं. में दिनांक 21.12.2018 को हिंदी कार्यशाला का आयोजन
भा.कृ.अनु.प.-केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ में 21.12.2018 को संघ की राजभाषा नीति के अनुपालन में अक्टूबर से दिसंबर, 2018 की बीच आयोजित की जाने वाली हिंदी कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में वक्ता के रूप में श्री जीतेन्द्र नाथ पांडेय, सेवानिवृत्त प्राध्यापक, लखनऊ विश्वविद्यालय आमंत्रित किये गए थे। श्री पांडेय जी ने अपने व्याख्यान में रस, छंद आदि पर प्रकाश डालते हुए रामचरित मानस और रामायण में वर्णित राम-सीता के प्रेम के साथ सूरदास द्वारा राधा-कृष्ण की प्रेम पर किये गए परमात्मा के प्रेम प्रसंग की सप्रसंग व्याख्या की। इसके अलावा श्री पांडेय जी ने कबीरदास, बिहारी आदि प्रसिद्द कवियों पर भी चर्चा की| उन्होंने भक्तिकाल, रीतिकाल एवं आधुनिककाल पर भी विस्तारपूर्वक व्याख्यान दिए। उन्होंने वर्ण-विन्यास के साथ-साथ शब्द रचना, पारिभाषिक शब्दावली आदि विषयों पर भी अभिभाषण दिया। हिंदी कार्यशाला की अध्यक्षता डॉ घनश्याम पांडेय, प्रभारी निदेशक ने की। मुख्य अतिथि का स्वागत डॉ. सुशील कुमार शुक्ल,प्रधान वैज्ञानिक द्वारा किया गया जबकि कार्यक्रम का सञ्चालन श्री धीरज शर्मा, सहायक निदेशक (राजभाषा) ने किया। आयोजन दिनांक:- 21-12-2018 |
कृषि प्रदर्शनी और किसान गोष्ठी
नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कुमारगंज, अयोध्या द्वारा दो दिवसीय (7-8 दिसंबर) कृषि प्रदर्शनी और किसान गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमे भा.कृ.अनु.प.- कें.उ.बा.सं., रहमानखेड़ा, लखनऊ ने भी भाग लिया। कृषि प्रदर्शनी का उद्घाटन दिनांक 07/12/2018 को माननीय कृषि मंत्री श्री सूर्य प्रताप शाही के द्वारा एनडीयूए एंड टी के कुलपति डॉ जे. एस. संधू की उपस्थिति में हुआ। इस अवसर पर कृषि से सम्बंधित विभिन्न तकनीको का प्रदर्शन किया गया। जिसका अवलोकन माननीय कृषि राज्य मंत्री ने भी किया। प्रदर्शनी में 1000 से ज्यादा किसानो ने भा.कृ.अनु.प.- कें.उ.बा.सं. के प्रदर्शनी स्टाल का अवलोकन किया तथा संस्थान द्वारा विकसित विभिन्न उन्नत तकनीको की जानकारी से लाभान्वित हुए। प्रदर्शनी का समापन दिनांक 08/12/2018 को हुआ । जिसमे मुख्य अथिति के रूप में अयोध्या के मेयर, माननीय श्री ऋषिकेश उपाध्याय जी उपस्थित थे। Agriculture exhibition and farmers gosthi The two days agriculture exhibition and farmers gosthi was organized by Narendra Deva University of Agriculture and Technology, kumarganj, Ayodhaya on 07/12/2018. In this exhibition ICAR-CISH also participated and install the exhibition stall. The inauguration of exhibition has been done on 07/12/2018 by our honourable agricultural state minister, Shri Surya Pratap Shahi alongwith Dr. J.S.Sandhu, V.C. of NDUA&T. During this event demonstration of different advance technology related to agriculture was observed by honourable minister. More than 1000 farmers interacted and benefitted from the information of advance technology developed by ICAR-CISH. On the next day, Hon’ble Mayer of Ayodhaya, Shri Rishikesh Upadhyaya was the Chief Guest of closing ceremony. आयोजन दिनांक:- 07-12-2018 |
जागृति- आदिवासी महिलाओं के सशक्तिकरण पर कार्यशाला
भा.कृ.अनु.प.- कें.उ.बा.सं., के मालदा स्थित क्षेत्रीय केंद्र ने दिनांक 01/12/2018 को जागृति- आदिवासी महिलाओं के सशक्तिकरण पर जनजातीय उप योजना कार्यक्रम के वित्तीय सहयोग से दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य आदिवासियो को नई तकनीकों से अवगत कराने तथा उसे अपनाकर अपनी आय को दोगुना करने के साथ- साथ आदिवासी महिलाओं की सामाजिक आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए विभिन्न कृषि या संबद्ध क्षेत्रों में सशक्त बनाने के लिए प्रोत्साहित करना था। कार्यक्रम का उद्घाटन श्री स्वामी विषमयानंदा जी (आरएमए, सरगढ़ी) ने डॉ एस राजन (निदेशक भा.कृ.अनु.प.- कें.उ.बा.सं.) की उपस्तिथि में किया। डॉ. दीपक नायक (वैज्ञानिक और प्रभारी भा.कृ.अनु.प.- कें.उ.बा.सं. आरआरएस मालदा) ने उपरोक्त कार्यक्रम का संचालन किया। इस अवसर पर गणमान्य अतिथि डॉ. आरके पाल (पूर्व निदेशक, ने.रि.से.पो. शोलापुर), श्री एस के सेन (पूर्व बैंक प्रबंधक), श्री पिंटो (समाजसेवी ) भी उपस्थित थे और उन्होंने अपने विचारो को साझा करके कार्यशाला की सराहना भी की। Workshop on JAGRITI-Empowerment of Tribal Women The regional centre of ICAR-Central Institute of Subtropical Horticulture organized a two days (1-2 December) workshop on JAGRITI 'Empowerment of Tribal Women" with financial support from Tribal Sub plan Programme on 01/12/2018. The main objective of this workshop had to sensitize and motivate the tribal villegers to adopt new technologies for doubling their income and also empowering tribal womens in different agriculture or allied sectors to improved their socio economic status. The programme was inaugurated by Swami Vishmayananda Ji (RMA, Saragachhi), along with Dr. S. Rajan (Director ICAR-CISH). Dr. Dipak Nayak (Scientist and In-charge ICAR-CISH RRS Malda) coordinated the programme. The other dignitaries, Dr. R.K. Pal (Ex-Director, NRCP Sholapur), Mr. S.K. Sen (Ex- Bank Manager), Mr. Pinto (Social Worker) had also present on this occasion and graced the workshop by sharing own views. आयोजन दिनांक:- 01-12-2018 |
Lecture on Behavioral and Communication skills for improving work environment and organizational output
A lecture was given by Dr S.K. Soni, Technical Assistant, PME on Behavioral and Communication skills for improving work environment and organizational output at ICAR-CISH, Rahmaankhera Lucknow Campus on 24/11/2018. All staff were participated in this extreme lecture. The main aim of this lecture was to aware staff for better institutional environment and output. During the lecture, he discussed on interpersonal relationships, team work, attitude, communication skills, time management for improving the behavioral and communication skills of institutional employees. Dr. S.K. Shukla, Principal Scientist & Nodal officer of HRD, had co-ordinated the lecture. कार्य पर्यावरण और संगठनात्मक उत्पादन में सुधार के लिए व्यवहार और संचार कौशल विषय पर व्याख्यान भा. कृ. अनु. प.- कें. उ. बा. सं. में दिनांक 24/11/2018 को डॉ एस के सोनी, तकनीकी सहायक, पीएमई, द्वारा कार्य पर्यावरण और संगठनात्मक उत्पादन में सुधार के लिए व्यवहार और संचार कौशल विषय पर एक व्याख्यान दिया गया। जिसमें संस्थान के सभी वैज्ञानिक, तकनीकी और प्रशासनिक कर्मचारियों ने भाग लिया। इस व्याख्यान का मुख्य उद्देश्य बेहतर संस्थागत पर्यावरण और उत्पादन के लिए कर्मचारियों को जागरूक करना था। व्याख्यान के दौरान, उन्होंने संस्थागत कर्मचारियों के व्यवहार और संचार कौशल में सुधार के लिए विभिन्न विषयो जैसे कि कर्मचारियों के पारस्परिक संबंध, टीम में काम करने के गुण, दृष्टिकोण, संचार कौशल और समय प्रबंधन पर चर्चा की। डॉ एस के शुक्ला, प्रधान वैज्ञानिक और नोडल अधिकारी एचआरडी, के द्वारा इस व्याख्यान को समन्वयित किया गया था। आयोजन दिनांक:- 24-11-2018 |
Workshop on Strawberry production in subtropics- challenges and strategies
"उपोष्ण क्षेत्रो में स्ट्रॉबेरी का उत्पादन- चुनौतियों और रणनीतियों" पर कार्यशाला भा.कृ.अनु.प.- केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान ने दिनांक को 29/10/2018 को "उपोष्ण क्षेत्रो में स्ट्रॉबेरी का उत्पादन - चुनौतियों और रणनीतियों" पर एक कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला में कुल 16 लोगों ने भाग लिया। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य उपोष्ण क्षेत्र में स्ट्रॉबेरी उत्पादन के लिए स्थानीय लोगो को प्रशिक्षित करना था। कार्यशाला की व्यवस्था प्रधान वैज्ञानिक, डॉ अशोक कुमार द्वारा की गई थी। ICAR-Central Institute of Subtropical Horticulture, organized a workshop on "Strawberry production in subtropics- challenges and strategies' on 29/10/2018. A total 16 peoples were participated in this workshop. The main aim of this workshop had to promote the production of strawberry in subtropics area by mitigating the difficulties and trained the local people for cultivation of strawberry. The arrangement of the programme was made by Dr. Ashok Kumar (Principal Scientist). आयोजन दिनांक:- 12-11-2018 |
Workshop on Nutrismart Tribal Village
"पोषणवाद आदिवासी गांव" पर कार्यशाला भा.कृ.अनु.प.- केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, के मालदा स्थित क्षेत्रीय केंद्र ने दिनांक 13/10/2018 को डॉलपुर श्री श्री ज्ञानानंद सरस्वती आश्रम, चटना, बांकुरा, पश्चिम बंगाल के सहयोग से "पोषणवाद आदिवासी गांव" पर एक कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य पोषणवाद आदिवासी गांव की अवधारणा को बढ़ावा देना था और संसाधन गरीब गांवों की वांछित मांग को पूरा करने के लिए स्थानीय लोगों को केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान (आम-अंबिका, अरुणिकांद) और अन्य संस्थानों की सब्जी किस्मों की उगाने के लिए प्रोत्साहित करना था। इस कार्यक्रम में 210 से अधिक किसानों ने भाग लिया था । कार्यक्रम की व्यवस्था सचिव, डॉलपुर श्री श्री ज्ञानानंद सरस्वती आश्रम ने की थी। इस अवसर पर गणमान्य अतिथि, श्री सुभाषिस बटाबाल (उपाध्यक्ष, बांकुरा जिला परिषद), उप निदेशक कृषि (प्रशासन), बांकुरा, परियोजना निदेशक (एटीएमए), बीएलआरडीओ, चटना भी उपस्थित थे और उन्होंने अपने अनुभव साझा करके कार्यशाला की सराहना भी की। The regional centre of ICAR-Central Institute of Subtropical Horticulture, organized a workshop on 'Nutrismart Tribal Village' in collaboration with Shree Shree Gyanananda Saraswati Ashrama, Chatna, Bankura, West Bengal on 13/10/2018. The main aim of this workshop had to promote the concept of nutrismart tribal village and encourage the local people to grow the improved fruit varieties of CISH (Mango- Ambika, Arunikaand) and vegetable varieties of other institutes to fulfil the desired demand of resource poor villages. More than 210 farmers were attended the programme. The arrangement of the programme was made by Secretary, Dolpur Shree Shree Gyanananda Saraswati Ashrama. Dignitaries, Mr. Subhasis Batabyal (Vice Chairperson, Bankura Zilla Parishad), Deputy Director of Agriculture (Admn.), Bankura, Project Director (ATMA), BLRDO, Chatna had been also present on this occasion and graced the workshop by sharing own experiences. आयोजन दिनांक:- 13-10-2018 |
Lecture on Sexual harassment of women at working place
कार्यस्थल पर महिलाओं की यौन उत्पीड़न विषय पर व्याख्यान भा. कृ. अनु. प.- कें. उ. बा. सं. में दिनांक 12/10/2018 को बागवानी अपशिष्ट प्रबंधन पर डॉ. नीलिमा गर्ग,विभागाध्यक्ष, फसल तुड़ाई उपरांत प्रबंधन, द्वारा "कार्यस्थल पर महिलाओं की यौन उत्पीड़न" विषय पर व्याख्यान दिया गया। जिसमें संस्थान के सभी स्टाफ ने भाग लिया। इस व्याख्यान का मुख्य उद्देश्य यौन उत्पीड़न के विषय में भा. कृ. अनु. प.- कें. उ. बा. सं लखनऊ के कर्मचारियों को जागरूक करना था। डॉ. नीलिमा गर्ग ने महिला कर्मचारियों को किसी भी प्रकार का डर न होने और इस तरह के उत्पीड़न से संबंधित समस्याओं की रिपोर्ट करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कार्यस्थल पर महिलाओं की सुरक्षा के लिए भारत सरकार द्वारा अधिनियमित सभी नियमों और कृत्यों पर चर्चा की तथा कार्यस्थल पर महिलाओं के उत्पीड़न से संबंधित घटनाओं से निपटने के लिए गठित संगठनो के बारे में चर्चा की। A Lecture has been given by Dr. Neelima Garg, Head, Division of Postharvest Management on "Sexual harassment of women at working place" at ICAR-CISH, Rahmaankhera Lucknow Campus. All staff were participated in this extreme lecture. The main aim of this lectured was to aware the staff from sexual harassment. She specially encourage and motivated the female staff have not to feared and report the problems, if any unusual thing happen to her. She discussed all the rules and acts enacted by Government of India for protection of women at work place and also talk about the established complaints committee for receiving and solving of matter related to sexual harassment. आयोजन दिनांक:- 12-10-2018 |
Workshop on Bio-waste management
जैव-अपशिष्ट प्रबंधन पर कार्यशाला भा.कृ.अनु.प.- कें.उ.बा.सं., लखनऊ में दिनांक 20.09.2018 को बागवानी अपशिष्ट प्रबंधन पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें संस्थान एवं भा. कृ. अनु. प.- राष्ट्रीय कृषि मतस्य अनुसन्धान ब्यूरो के वैज्ञानिकों ने भाग लिया। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य विभिन्न तरीकों द्वारा बागवानी, मंडियों, किसानों के खेतों और प्रसंस्करण कारखानों से प्राप्त अवशेष को मूल्यवर्धित उत्पादों में कैसे परिवर्तित किया जा सके, चर्चा करना था। इस अवसर पर श्रीमती नीलिमा गर्ग, विभागाध्यक्ष, फसल तुड़ाई उपरांत प्रबंधन ने "सूक्ष्मजीवो के प्रयोग द्वारा बागवानी अपशिष्ट का प्रबंधन" विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि कचरो में उपस्थित कार्बनिक घटक जैसे सेलूलोज़, स्टार्च, पेक्टिन, विटामिन, खनिजों आदि की प्रचुरता होती है और वर्तमान में बागवानी अवशेषों और प्रसंस्करण द्वारा उत्पन्न अपशिष्ट के कुशल प्रबंधन के लिए कोई उचित प्रबंधन प्रणाली उपलब्ध नहीं है। इसको प्रबंधन करने का एक तरीका यह भी है कि इस अपशिष्ट को सूक्ष्मजीवो के प्रयोग द्वारा उपयोगी चीजे जैसे कि आहार संबंधी फाइबर, इथेनॉल, टार्ट्रेट्स, रंगद्रव्य, बीज तेल और प्रोटीन, खाद्य, फ़ीड, कार्यात्मक खाद्य पदार्थ, कॉस्मेटिक उत्पाद, वर्मीकंपोस्ट इत्यादि जैसे मूल्यवर्धित पदार्थो का उत्पादन कर सकते है। इस तरह कचरे के उपयोग से न केवल आवश्यक उत्पाद तैयार होंगे बल्कि प्रदूषण स्तर भी कम होगा। डा० राम अवध राम, प्रधान वैज्ञानिक ने "भारत में फसल और नगरपालिका से प्राप्त अपशिष्ट प्रबंधन के समाधान" पर व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि फसल अवशेष किसानो के लिए बहुत उपयोगी हो सकते है । इन अवशेषों को ग्रामीण घरेलू उपयोग के लिए जैसे कि ईंधन, खाद, पशुओ के चारे के आदि के रूप में उपयोग करते है। हालांकि, इन अवशेषों का एक बड़ा हिस्सा फसल तुड़ाई उपरांत मैदान में जला दिया जाता है। ICAR-Central Institute of Subtropical Horticulture organised a workshop on horticulture waste management which was attended by its scientists and those of National Bureau for Fish Genetic Resources, Lucknow on 20.9.2018 with an objective to brainstorm on different ways by which the horticulture produce residue from mandis, households, farmers’ fields and processing factories can be converted into value-added products. Dr. Neelima Garg, head, Division of Postharvest Management delivered a talk on ‘Horticultural waste management by microbial interventions’. She emphasised that these wastes were very rich in organic constituents like cellulose, starch, pectin, vitamins, minerals etc and posed serious health hazards due to high biological oxygen demand (BOD) and led to environmental pollution. Presently there is no appropriate waste management system for the efficient management of huge waste generated by horticultural residues and processing waste. One way of managing the situation is to reduce the losses and to utilise the available material for producing value-added products such as dietary fibre, ethanol, tartarates, pigments, seed oil and protein, food, feed, functional foods, cosmetic products, vermin-compost etc. through microbial interventions and fermentation. The utilisation of wastes will not only economise the cost of finished products but also reduce the pollution level. Similarly, Crop residues are natural resources with tremendous value to farmers. These residues are used as animal feed, composting, thatching for rural homes and fuel for domestic and industrial use. Dr. Ram Avadh Ram, Pr. Scientist also delivered a talk on ‘Viable solutions to crop and municipal solid waste management in India’ on this occasion. He said that crop residues were natural resources with tremendous value to the farmers. However, a large portion of these residues is burned in field after the harvest of the crop. आयोजन दिनांक:- 20-09-2018 |
Horti-Entrepreneurship Workshop on Green House, Nursery, Tissue Culture and Value Addition 18-08-2018
ICAR-Central Institute for Subtropical Horticulture in collaboration with Society for Development of Subtropical Horticulture, Lucknow will organize a Horti-Entrepreneurship Workshop on 18-08-2018 at ICAR-CISH, Rehmankhera, Lucknow. Horticultural technologies such as protected cultivation of high value horticultural crops, nursery, tissue culture and value addition could play a major role in developing entrepreneurship in India. The workshop will bring in policy makers, bankers, research institutions, private players and potential entrepreneurs under one platform to promote Horti-Food Processing Entrepreneurship in the country. Any citizen of India who is willing to develop Horti-Entrepreneurship can register online. A total number of 100 candidates will be selected on first cum first serve basis. Successful candidates will be informed subsequently. Register here for participation आयोजन दिनांक:- 18-08-2018 |
CISH coaches young horti-entrepreneurs
भा.कृ.अनु.प.-के.उ.बा.सं में दिनांक 18.08.2018 को नर्सरी, संरक्षित खेती, मूल्यवर्धन, जैविक खेती और ऊतक संस्कृति पर होर्टी-उद्यमिता कार्यशाला का आयोजन किया गया। देश के युवाओं हेतु नौकरी के अवसर पैदा करने के लिए बागवानी क्षेत्र तीव्रगति से उभर रहा है। पिछले दो वर्षों में बागवानी आधारित उद्यमशीलता के लिए बड़ी संख्या में युवाओं ने के.उ.बा.सं, लखनऊ से संपर्क किया। ग्रामीण और शहरी युवाओं के बीच बढ़ती दिलचस्पी ने के.उ.बा.सं को इस कार्यशाला को आयोजित करने के लिए प्रेरित किया जो न केवल स्टार्टअप और उद्यमिता की मूल बातें बताता है बल्कि विशिष्ट बागवानी प्रौद्योगिकियों के आधार पर व्यापार मॉड्यूल भी प्रदान करता है। चार राज्यों (बिहार, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान और उत्तर प्रदेश) के 16 जिलों का प्रतिनिधित्व करते हुए कुल 68 प्रतिभागियों (पीएचडी के स्नातक) और 4 शिक्षित किसानों ने कार्यशाला मंल भाग लिया। नर्सरी व्यवसाय शुरू करने में बहुत से लोग रुचि रखते हैं, इसलिए फल, सजावटी और सब्जी फसलों पर विशिष्ट नर्सरी में उद्यमशीलता के विषय पर एक सत्र आयोजित किया गया। रोपण सामग्री की बढ़ती मांग और बढ़ती भुगतान क्षमता के साथ, नर्सरी की संख्या बढ़ रही है। संस्थान द्वारा विकसित मॉडल नर्सरी को हजारों किसानों और उद्यमियों ने देखा और वे अपना स्वयं का उद्यम शुरू करने के लिए प्रेरित हुए। मूल्यवर्धन युवाओं को छोटे पैमाने पर उद्योग या मूल्यवर्धित उत्पादों के घरेलू स्तर के उत्पादन की स्थापना के लिए आकर्षित करता है। फल और सब्जी फसलों की प्रसंस्करण और उ.प्र. में छोटे पैमाने पर अचार उद्योग के दायरे में व्यापार के अवसर चर्चा की गई थी। उ.प्र. में ग्रीन हाउस की खेती लोकप्रिय हो रही है और सरकार द्वारा वित्तीय सहायता से संरक्षित खेती के तहत क्षेत्रों में वृद्धि भी हुई है। उच्च मूल्य वाले फल और सब्जी फसलों की संरक्षित खेती, कार्बनिक खेती और मशरूम उत्पादन उद्यमिता चर्चा के महत्वपूर्ण मुद्दे थे। ऊतक सुसंस्कृत केला पौधों की बढ़ती मांगों के साथ, ऊतक संवर्धन और सेकेंडरी हार्डनिंग में उद्यमिता ने कुछ महीनों के भीतर पैसे कमाने हेतु कई स्नातकों को आकर्षित किया है। प्रतिभागियों ने विशेषज्ञों के साथ बातचीत की और प्रशिक्षण पर टिशू कल्चर लैब, प्रसंस्करण प्रयोगशाला, मशरूम उत्पादन सुविधा, नर्सरी / हाइड्रोपोनिक्स, पॉलीहाउस आदि का प्रशिक्षण प्राप्त किया। Horti-Entrepreneurship Workshop on nursery, protected cultivation, value addition, organic farming and tissue culture was organized at ICAR-Central Institute for Subtropical Horticulture, Rehmankhera, Lucknow on 18-08-2018. Horticulture sector is proving to be boom for creating job opportunities for youth of this country. Large number of youths contacted CISH Lucknow during last two years for horticulture based entrepreneurship. The growing interest among rural as well as urban youth prompted CISH to schedule this workshop which not only deal with the basics of startup and entrepreneurship but also caters to specific horticulture technologies based business modules. A total of 68 participants (graduate to Ph. D.) and 7 well educated farmers representing 16 districts of 4 states (Bihar, Jammu & Kashmir, Rajasthan and Uttar Pradesh) participated in the workshop. A good number of people are interested in starting the nursery business, therefore a session was planned for entrepreneurship in dealing with specific nurseries on fruit, ornamental and vegetable crops. With the growing demand of planting material and increasing paying capacity, number of nurseries are increasing. Institute has developed a model nursery, visited by thousands of farmers and entrepreneurs and they get motivated for starting their own venture. Value addition attracts youth for establishing small scale industry or household level production of value added products. Business opportunities in processing of fruits and vegetable crops and scope of small scale pickles industry in U.P. were discussed. Green house cultivation is becoming popular in UP and financial support by the Government has led to increase in areas under protected cultivation. Protected cultivation of high value fruit and vegetable crops, entrepreneurship in organic farming and mushroom production were the important issues for discussion. With increasing demands of tissue cultured banana plants, entrepreneurship in tissue culture and secondary hardening has attracted many graduates for earn money within few months. The participants interacted with specialists and visited tissue culture lab, processing lab, mushroom production facility, nursery/hydroponics, polyhouse hands on training. आयोजन दिनांक:- 18-08-2018 |
Workshop on integration of rural poultry in mango orchard ecosystem
भा.कृ.अनु.प.-केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ ने दिनांक 09.08.2018 को आम बागान पारिस्थितिकी तंत्र में ग्रामीण कुक्कुट के एकीकरण पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। संस्थान के निदेशक डॉ. शैलेन्द्र राजन ने बताया कि देश की प्रसिद्ध आम फल पट्टी, मलिहाबाद के किसानों की आजीविका आधार को बढ़ाने के लिए आम के बागों के तहत ग्रामीण कुक्कुट का प्रदर्शन किया गया। एक साल के भीतर ही यह मॉड्यूल इतना लोकप्रिय हो गया कि यह मलिहाबाद के चार से अधिक गांवों में फैल गया। इस तकनीक को फैलाने में मीडिया द्वारा निभाई गई सक्रिय भूमिका के कारण, अब यह मॉड्यूल अन्य बागान पारिस्थितिक तंत्रों में भी अपनाया जा रहा है। उत्साही कुक्कुट किसानों ने कार्यशाला में भाग लिया और वैज्ञानिकों से कई प्रश्न पूछे। डॉ. आर.बी. राय, प्रसिद्ध पोल्ट्री विशेषज्ञ एवं पूर्व निदेशक- सी.ए.आर.आई. पोर्टब्लैयर, ने किसानों से बातचीत की और उन्हें प्रोत्साहित किया कि एज़ोला को आम बाग में पोल्ट्री फ़ीड के रूप में एकीकृत किया जाना चाहिए। यह न केवल लागत को कम करेगा बल्कि यह प्रोटीन और खनिजों का अच्छा स्रोत होगा। फार्मर्स फर्स्ट परियोजना मलिहाबाद के किसानों के बीच एज़ोला फ़ीड को फैलाएगी। डॉ. राय ने किसानों को सूचित किया कि वे कार्बनिक पोल्ट्री को अपनाने से अपनी आय बढ़ा सकते हैं। किसानों ने वचन दिया कि वे आम के लिए जैव कीटनाशकों और जैव उर्वरकों का उपयोग करेंगे। डॉ. राय ने मुर्गी के लिए हल्दी, अदरक और लहसुन आधारित मिश्रण तैयार करने के लिए सुझाव दिया और पूरी तरह से एंटीबायोटिक दवाओं को छोड़ने को कहा। उन्होंने कार्बनिक पोल्ट्री के लिए विस्तृत एसओपी दिया। डॉ. मनीष मिश्रा, परियोजना अन्वेषक, फार्मर्स फर्स्ट परियोजना और डॉ. राम अवध राम, प्रधान वैज्ञानिक, केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान ने किसानों के साथ बातचीत करते हुए बताया कि यह एक नई पहल है क्योंकि देश में कार्बनिक पोल्ट्री खेती का अभ्यास नहीं किया जा रहा है। किसान प्रारंभ में अप्रमाणिक कार्बनिक उपज के रूप में कुक्कुट मांस और अंडे बेच सकते हैं। डॉ. राजन ने कहा कि बाजार स्थापित करने के लिए जैविक आम बागों को प्रमाणित करने के प्रयास किए जाएंगे। डॉ. राजन ने बताया कि इस उद्यम को स्वयं टिकाऊ बनाने के लिए फार्मर्स फर्स्ट परियोजना के तहत गांव में दो हैचरियां स्थापित की जाएंगी। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय पक्षी अनुसन्धान संस्थान, बरेली के वैज्ञानिकों को आम बागों के लिए उपयुक्त कुक्कुट स्ट्रेन को विकसित करने के लिए तैयार किया जाएगा। वर्तमान में कड़कनाथ स्ट्रेन मलिहाबाद के आम बागानों में लोकप्रिय विकल्प है क्योंकि इसकी बाजार में उच्च कीमत प्राप्त होती है। उच्च मूल्य प्राप्ति के अलावा, कड़कनाथ आम कीट को नियंत्रित करने के लिए भी उपयुक्त है। यह ऊंची उड़ान भर सकता है एवं आम कीटों को खा सकता है और इस तरह यह कीटनाशकों की आवश्यकता को कम करता है। कुक्कुट आम बागों हेतु एक उपयुक्त आवास है क्योंकि इसे खाने के लिए बहुत सारी कीड़े मिलते हैं। यह आम के बागों की मिट्टी को भी समृद्ध करता है। ICAR-CISH, Lucknow organized one day workshop on integration of rural poultry in mango orchard ecosystem on 09.08.2018. Dr. Shailendra Rajan, Director, CISH, Lucknow informed that in order to enhance livelihood base of farmers of Malihabad, a famous mango fruit belt of the country, we demonstrated rural poultry under mango orchard. Within a year, this module became so popular that it spread to more than four villages in Malihabad. Due to active role played by media in spreading this technology, now this module is being adopted in other orchard ecosystems. Enthusiastic poultry farmers attended the workshop and asked several questions to scientists. Dr. R.B. Rai, renowned poultry expert and Ex-Director- CARI Portblair, A & Island interacted with farmers and exhorted that Azolla must be integrated in mango orchard as poultry feed. This will not only reduce the cost substantially but its good source of protein and minerals. Farmer FIRST project will spread Azolla feed among the farmers in Malihabad. Dr. Rai informed the farmers that they can augment their income by adopting organic poultry. Farmers pledged that they will use bio pesticides and bio fertilizers for mango. Dr. Rai gave tip to prepare turmeric, ginger and garlic based concoction for poultry and completely shun antibiotics. He gave detailed SOP for organic poultry. Dr. Maneesh Mishra, Principal Investigator, Farmer FIRST and Dr. Ram Awadh, Principal Scientist, CISH while interacting with farmers informed that this is a new initiative as organic poultry farming is not being practiced in the country. Farmers can sell poultry meat and egg as uncertified organic produce initially. Dr Rajan said efforts will be made to certify organic mango orchards for establishing niche market. Dr. Rajan informed that two hatcheries will be installed in the village under Farmer First project to make this venture self sustainable. He said scientist of CARI, Barelli will be roped in to develop suitable strain of poultry for mango orchards. At present Kadaknath strain is getting popular choice in mango orchards of Malihabad as it fetches high price in market. Besides high price realization, Kadaknath is suitable strain for controlling mango pest. It can fly high and feed on mango pests from the canopy and thereby reduce the need for pesticides. Poultry finds suitable habitat under mango orchards as it gets plenty of insects to feed. It also enriches soil of mango orchards. आयोजन दिनांक:- 09-08-2018 |
CISH-RRS, Malda organized a workshop on vegetable seed production
भा.कृ.अनु.प.-केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान द्वारा क्षेत्रीय स्टेशन मालदा, पश्चिम बंगाल में राष्ट्रीय बीज कारपोरेशन (एनएससी) पश्चिम बंगाल के सहयोग से 27-28 जुलाई, 2018 को सब्जी बीज उत्पादन पर एकीकृत बागवानी (एमआईडीएच) प्रायोजित कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस पहल पर बात करते हुए, के.उ.बा.सं. के निदेशक शैलेंद्र राजन ने कहा कि राज्य सब्जी उत्पादन में पहले स्थान पर है तथा बंगाल राज्य में सब्जी बीज की बहुत खपत है। गुणवत्ता बीज उत्पादन में वृद्धि कर सकता है और इसे राज्य की किसानों द्वारा अपनी आय बढ़ाने के लिए एक उद्यम के रूप में भी लिया जा सकता है। के.उ.बा.सं.-मालदा किसानों के लिए प्रजनकों के बीज उपलब्ध कराने हेतु बीज उत्पादन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। के.उ.बा.सं. किसानों के लाभ के लिए मालदा में बीज प्रसंस्करण संयंत्र की स्थापना कर रहा है। एनएससी के सहयोग से आयोजित कार्यक्रम, उत्पादकों से विपणन विशेषज्ञों तक मजबूत बीज श्रृंखला स्थापित करने में मदद करेगा। संस्थान बीज श्रृंखला को मजबूत करने के लिए गुणन हेतु नव विकसित किस्मों के ब्रीडर के बीज प्रदान कर रहा है। इस कार्यशाला में 250 आदिवासी किसानों ने भाग लिया एवं चर्चा की। एनएससी ने खेती के लिए प्रत्येक प्रतिभागी को बीज किट प्रदान की। A Mission for Integrated Horticulture (MIDH) sponsored programme on vegetable seed production was organized on July 27-28, 2018 by CISH at its Regional Station Malda, West Bengal in collaboration with National Seed Carporation (NSC), West Bengal. Talking on this initiative, CISH director Shailendra Rajan said that the state ranks first in vegetable production and there is a lot of vegetable seed consumption in the state of Bengal. Quality seed production can increase the production and it can also be taken up as a venture by the state farmers for increasing their income. CISH-Malda is instrumental in promoting seed production through farmers by making breeders seed available to farmers. CISH is establishing seed processing plant at Malda for the benefit of farmers. This collaborative programme, will help in establishing strong seed chain from producers to marketing experts. The institute is providing breeder’s seed of newly developed varieties for multiplication for strengthening the seed chain. 250 Tribal farmers attended the workshop and participated in the discussions. NSC provided seed kits for distribution to each participant for cultivation in their field. आयोजन दिनांक:- 27-07-2018 |
Reschedule National Conference on Strategies and Challenges in Doubling Farmers Income ......Reschedule National Conference on Strategies and Challenges in Doubling Farmers Income through Horticultural Technologies in Subtropics on 21-22 June 2018 at ICAR-CISH, Lucknow आयोजन दिनांक:- 21-06-2018 |
Workshop on doubling the farmers income
किसानों की आय को दोगुनी करने हेतु कार्यशाला का आयोजन भा.कृ.अनु.प.-केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, रहमानखेड़ा, लखनऊ और अवध आम उत्पादक एवं बागवानी समिति (मलिहाबाद) ने 2022 तक किसानों की आय को दोगुनी करने हेतु दिनाँक 4 मई 2018 को एक कार्यशाला का आयोजन किया। संस्थान के निदेशक डॉ. एस. राजन ने बताया कि संस्थान किस प्रकार अपनी प्रौद्योगिकियों के माध्यम से किसानों को उनका लक्ष्य हासिल करने में मदद हेतु प्रयत्नशील है। ICAR-Central Institute for subtropical Horticulture Rehmankhera Lucknow and Awadh Aam Utpadak Evam Bagwani Samiti (Malihabad) organized a workshop on 04.05.2018 on doubling the farmers income of mango growers by 2022. ICAR- CISH Director Dr. S. Rajan spoke about how they are trying to help farmers to achieve their target through institute technologies. आयोजन दिनांक:- 04-05-2018 |
Kisan Kalyan Karyashala under Gram Swaraj Abhiyan
ICAR-Central Institute Subtropical Horticulture (CISH) participated in ‘Kisan Kalyan Karyashala’ for farmer outreach at Malihabad and Kakori blocks on May 02, 2018. Deputy Chief Minister Dr. Dinesh Sharma was the chief guest at the function presided over by local MP Sh. Kaushal Kishore in Malihabad. Sharma said that officials should stay in the office till the problems of the people present in the meeting were solved. He explained how various activities mobilized at village level were benefiting people who were deprived earlier. He also explained how direct benefit transfer policy of the government had benefited the poor. Sh. Kaushal Kishore laid emphasis on the steps being taken for the uplift of the poor and how various insurance provisions and financial support have changed the view of people. Five progressive farmers were awarded by the deputy CM and their success stories were shared for changing their views about traditional agriculture. The farmer-scientist interaction was one of the important component of this programme. Many booklets and farmer-friendly literature were distributed for their benefit. The programme was attended by government officials, farmers and functionaries helping rural populace in improving their living standards. The programme was also attended by scientists from ICAR-CISH and ICAR-IISR. The officials explained how different development programmes were useful for farmers and in which the farmers of Malihabad block can get financial and technical support from the government. Block level officers projected achievements made under different Central government-supported schemes and the strategy for completing the targets in stipulated time. आयोजन दिनांक:- 02-05-2018 |
Farmers Welfare Day Workshop organized under Gram Swaraj Abhiyan
ग्राम स्वराज अभियान के तहत किसान कल्याण दिवस कार्यशाला का आयोजन अपर कृषि निदेशक (प्रसार), उत्तर प्रदेश द्वारा ग्राम स्वराज अभियान (14 अप्रैल से 5 मई 2018 तक) के तहत किसान कल्याण दिवस कार्यशाaला का आयोजन लखनऊ जनपद के काकोरी ब्लॉक के सभागार में दिनांक 02.05.2018 को किया गया। जिसमे संस्थान के डॉ. (श्रीमती) नीलिमा गर्ग, विभागाध्यक्ष, तुड़ाई उपरांत प्रबंधन, डॉ. घनश्याम पाण्डेय, विभागाध्यक्ष, फसल उत्पादन एवं श्री सुभाष चन्द्रा, वैज्ञानिक कृषि प्रसार ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम का शुभारंभ करके काकोरी के ब्लॉक प्रमुख ने सम्मिलित कृषकों को सम्बोधित करते हुए प्रदेश सरकार एवं भारत सरकार द्वारा कृषकों के हित में चलाई जा रही योजनाओं का लाभ उठाकर उनकी आमदनी को बढ़ाने पर बल दिया। इस संदर्भ में विभिन्न विभागों से आये अधिकारियों द्वारा कृषकों को प्रदेश सरकार की योजनाओं के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी गयी। संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा कृषकों को उपोष्ण फलों पर विकसित तकनीकों की जानकारी दी गयी। साथ ही आम, अमरुद के साथ सब्जियों की सह-फसल उगाने, फलों की नर्सरी तैयार करने, बागवानी के साथ मुर्गी पालन, मधुमक्खी पालन, आम की तुड़ाई आम तोड़क यंत्र की सहायता से करने, आम को दूर की बाजार में पहुचाने हेतु सी.एफ.बी बाक्स का प्रयोग एवं फलों से विभिन्न उत्पाद तैयार करने सहित संस्थान में कृषकों के लिये समय पर आयोजित होने वाले प्रशिक्षण, गोष्ठी, संस्थान में आकर वैज्ञानिकों से परामर्श, तथा संस्थान में कृषकों-वैज्ञानिकों के सीधे संवाद हेतु निःशुल्क किसान काल सेण्टर सेवा एवं फोन-इन-लाईव सेवा के बारे में जानकारी दी गयी। इस कार्यशाला में लगभग १०० किसानो ने भाग लिया। किसान कल्याण दिवस के अवसर पर काकोरी ब्लॉक के ग्राम सैदपुर में भी एक वैज्ञानिक-कृषक संपर्क कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें उपस्थित कृषकों को संस्थान द्वारा विकसित तकनीकों की जानकारी संस्थान के डॉ. नरेश बाबू, प्रधान वैज्ञानिक एवं श्री अरविन्द कुमार द्वारा प्रदान की गयी। Under Gram Swaraj Abhiyan (from 14 April to 5 May 2018) a Farmers Welfare Day Workshop was organized by Department of Agriculture on 02.05.2018 in the Auditorium of Kakori Block in Lucknow district. Dr. (Mrs.) Neelima Garg, Head PHM, Dr. Ghanshyam Pandey, Head Crop Production and Shri Subhash Chandra, Scientist, Agriculture Extension participated in the workshop. Inaugurating the programme, Incharge of Kakori Block invited the farmers to take advantage of the schemes being run in the interest of the farmers. In this context, detailed information about the schemes of the government was given in detail by the officials from different departments. ICAR–CISH scientists provided information on growing inter-crops of vegetables in mango and guava orchards, nursery raising, bee keeping, post harvest management practices of mango and value addition. Information regarding free phone-in- service and mobile apps developed by the Institute were also given. About 100 farmers attended this workshop. On the occasion of Farmers Welfare Day a scientist-farmers interaction meet was also organized at village Saidpur of Kakori Block. Dr. Naresh Babu, Principal Scientist and Shri Arvind Kumar provided the information on the technology developed by the Institute. आयोजन दिनांक:- 02-05-2018 |
Horti-Entrepreneurship Seminar on Value Addition, Nursery and Tissue Culture 12-02-2018ICAR-Central Institute for Subtropical Horticulture, Lucknow in Collaboration with Centre for Agriculture & Rural Development will organize a Horti-Entrepreneurship Seminar on 12-02-2018 at ICAR-CISH, Rehmankhera, Lucknow. Horticultural technologies such as value addition, protected cultivation of high value horticultural crops, nursery and tissue culture could play a major role in developing entrepreneurship in Uttar Pradesh. The seminar will bring in policy makers, bankers, research institutions, private players and potential entrepreneurs under one platform to promote Horti-Food Processing Entrepreneurship in the state. Any citizen of Uttar Pradesh who is willing to develop Horti-Entrepreneurship can register online. A total number of 100 candidates will be selected on first cum first serve basis. Successful candidates will be informed subsequently. Registration Closed आयोजन दिनांक:- 12-02-2018 |
Horti-Entrepreneurship Seminar organized on 19 January, 2018
बागवानी -उद्यमिता सेमिनार का आयोजन लखनऊ में कृषि और ग्रामीण विकास केंद्र (कार्ड) के सहयोग से भाकृअनुप-केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ ने दिनांक 19-01-2018 को एक दिवसीय संगोष्ठी होर्टि-उद्यमिता का आयोजन किया। इसका उद्घाटन श्री सुधीर गर्ग, प्रधान सचिव (बागवानी), उत्तर प्रदेश सरकार ने किया | डॉ. अनिस अन्सारी, अध्यक्ष कार्ड, डॉ. एस. राजन, निदेशक, भाकृअनुप-केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ, श्री नबीन रॉय, सहायक महानिदेशक, नाबार्ड, श्रीमती नीरा चक्रवर्ती, जोनल मैनेजर, इंडियन बैंक तथा आईसीएआर-सीआईएसएच और विभिन्न अन्य संस्थानों के वैज्ञानिकों ने भी संगोष्ठी में हिस्सा लिया। संगोष्ठी के दौरान, टिशू कल्चर के क्षेत्र में उद्यमशीलता के विकास पर तकनीकी सत्र, ग्रीन हाउस की खेती, हाई टेक नर्सरी और मूल्य वृद्धि का आयोजन किया गया जिसमें सत्तर उद्यमिता उम्मीदवारों, विशेषज्ञों और बैंकरों ने भाग लिया। बागवानी-उद्यमिता के विभिन्न क्षेत्रों के लिए वित्तीय सहायता की उपलब्धता पर राज्य सरकार के अधिकारियों, बैंकरों और प्रतिनिधियों द्वारा चर्चा की गई। इस अवसर पर विभिन्न प्रतिभागियों को वित्तीय आवश्यकता से संबंधित कानूनी मुद्दे, पंजीकरण और सरकारी मंजूरी को विशेषज्ञों द्वारा समझाया गया। The ICAR-Central Institute for Subtropical Horticulture, Lucknow in collaboration with Center for Agriculture and Rural Development (CARD) organized a one day seminar Horti-entrepreneurship on 19 January, 2018. It was inaugurated by Shri Sudhir Garg, Principal Secretary, (Horticulture), Lucknow Dr Anis Ansari, Chairman CARD, Horticulture; Dr. S. Rajan, Director, ICAR-CISH, Mr. Nabin Roy, AGM, NBARD, Ms. Neera Chakrabvarty, Zonal Manager, Indian Bank and scientists from ICAR-CISH and different other Institutes attended the seminar. During the Seminar, technical sessions on entrepreneurship development in the field of tissue culture, green house cultivation, high tech nursery and value addition were organized and attended by seventy experts and entrepreneurship aspirants and bankers. Financial assistance available for different areas of Horti-entrepreneurship was discussed among state department officers, bankers and delegates. The potential Horti-entrepreneurs attended the seminar from various districts of the Uttar Pradesh. On this occasion, Legal issues, registration and government clearances related with financial requirement of different technologies were explained by the resource persons. आयोजन दिनांक:- 19-01-2018 |
Best Research Paper Award-2016Dr Prananath Barman bagged Best Research Paper Award-2016 for his Research Paper entitled “Synergistic interaction of arbuscular mycorrhizal fungi and mycorrhiza helper bacteria improving antioxidant activities in Troyer citrange and Cleopatra mandarin under low moisture stress”, published in Indian Journal of Horticulture, 2015, Vol. 72 (1): 33-37 during Inaugural Function of 7th Indian Horticulture Congress 2016 on November 15, 2016. आयोजन दिनांक:- 11-12-2017 |
Awareness workshop on ‘Safe use of pesticides in Agriculture’
मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर कीटनाशकों के कुप्रभाव को कम करने एवं प्रयोग के दौरान सावधानी पर चर्चा करने के लिए संस्थान में दिनांक 11 दिसंबर 2017 को बायर क्रॉप साइंस लिमिटेड के सहयोग से एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कीटनाशकों के प्रतिकूल प्रभावों को कम करने, अच्छे कृषि अभ्यासों को प्रोत्साहित करने तथा किसानों के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र की भागीदारी के महत्व पर भी विचार-विमर्श किया गया। फार्मर फर्स्ट परियोजना के किसानों ने भी कार्यशाला में भाग लिया तथा अपने प्रश्नों के द्वारा सम्बन्धित समस्याओं से अवगत कराया। One day workshop organized on December 11, 2017 on ‘Safe use of pesticides in Agriculture’ was organized in collaboration with Bayer Crop Science Limited for discussing careful use of pesticide to reduce its dreadful effects on the human health and environment. Importance of Public Private Partnership to create awareness among the farmers to inculcate good agricultural practice to reduce the adverse effects of the pesticides was also deliberated. Farmers of the farmer FIRST project also participated in the workshop. आयोजन दिनांक:- 11-12-2017 |
Agriculture Education For Rural Youth
ग्रामीण युवाओं के लिए कृषि शिक्षा कृषि शिक्षा दिवस को आईसीएआर-सीआईएसएच, लखनऊ द्वारा ग्रामीण छात्रों के बीच मल्लीहाबाद, उत्तर प्रदेश के नबी पनाह में मनाया गया। युवाओं को कृषि शिक्षा एवं उसके विभिन्न पहलुओं से परिचित कराने के लिएवैज्ञानिक, प्रगतिशील किसानों और शिक्षकों ने गोल्डन जुबली स्कूल में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया। छात्रों को कृषि, जैविक खेती आदि के विभिन्न क्षेत्रों के बारे में सिखाया गया। कृषि के ग्रामीण युवाओं को कृषि मेंप्रोत्साहित करने के लिए फार्मर फर्स्ट गांव में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। दो गैर सरकारी संगठनों अवध आम उत्पादक एवं बागानी समिति और सोसाइटी फॉर कन्जर्वेशन ऑफ मैंगो डायवर्सिटी ने भी इस कार्यक्रम मेंभाग लिया। केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान रहमान खेड़ा के वैज्ञानिकों एवं समुदाय आधारित संगठनों ने छात्रों को कृषि शिक्षा के विभिन्न पहलुओं के बारे में जानकारी दी तथा बैंक, कृषि विभाग, राज्य कृषिविश्वविद्यालयों, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद एवं प्राइवेट क्षेत्र में कृषि विद्यार्थियों के लिए बढ़ते हुए अवसरों के बारे में जानकारी पर चर्चा की। In order to make young children acquaint about agriculture education, scientists of ICAR-CISH, progressive farmers and teachers organized a sensitization program at Golden Jublee School at Nabi Panah (Malihabad). Director of the Institute stressed on importance of agriculture education in improving health and wealth of the nation. Students were taught about the various fields of agriculture, organic farming etc. The program was organized in Farmer FIRST village to encourage rural youth in agriculture. Two NGOs Awadh Aam Utpadak Bagwani Samiti and Society for Conservation of Mango Diversity also participated in the event. Scientist from the ICAR-CISH along with the local members of the community based organization organized awareness programme and explained the students about the prospects and requirements for the career in Agricultural Sciences. This steam of education can make them ready for available opportunities in banks, agriculture departments, state agriculture universities, ICAR and not the least in the increasing number of private companies working on production of agricultural inputs. आयोजन दिनांक:- 03-12-2017 |
ICAR- Zonal Tournament (North Zone) 2017
भा.कृ.अनु.प.- आंचलिक खेल कूद प्रतियोगिता (उत्तर क्षेत्र) २०१७ भा.कृ.अनु.प.- आंचलिक खेल कूद प्रतियोगिता (उत्तर क्षेत्र) 2017 का आयोजन, भा.कृ.अनु.प.- भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ में दिनांक 30 अक्टूबर से 2 नवंबर, 2017 के मध्य संपन्न हुआ। डॉ. प्रभात कुमार शुक्ल, वरिष्ठ वैज्ञानिक (पादप रोग) और श्रीमती रेखा चौरासिया, सहायक मुख्य तकनीकी अधिकारी ने भा.कृ.अनु.प.-केंद्रीय उपोष्ण बागबानी संस्थान, रेहमानखेड़ा, लखनऊ का प्रतिनिधित्व करते हुए क्रमशः शतरंज और कैरम प्रतियोगिता में रजत पदक प्राप्त किये। संस्थान के निदेशक के साथ-साथ सभी कर्मचारियों ने उनके उज्ज्वल भविष्य का शुभकामनाएं एवं बधाई दी। The ICAR- Zonal Tournament (North Zone) 2017 was organized at ICAR- Indian Institute of Sugarcane Research, Lucknow during 30th October to 2nd November, 2017. Dr. Prabhat Kumar Shukla, Senior Scientist (Plant Pathology) and Mrs. Rekha Chaurasia, Assistant Chief Technical officer of the Instituite have received Silver Medal in Chess and Carrom events respectively. The Director along with all staff members of Institute congratulate both of them and wish them a bright future. आयोजन दिनांक:- 02-11-2017 |
Memorandum of Cooperation MoC on development of Food Processing Sector in Andhra Pradesh signed between ICAR-CISH and The State Government of AP
आईसीएआर-सीआईएसएच और आंध्र प्रदेश राज्य सरकार के बीच खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के विकास पर सहयोग ज्ञापन-पत्र (एमओसी) डॉ. एस. राजन, निदेशक, आईसीएआर-सीआईएसएच ने आंध्र प्रदेश की राज्य सरकार द्वारा 16 अक्तूबर, 2017 को विश्व खाद्य दिवस पर आयोजित खाद्य प्रसंस्करण शिखर सम्मेलन में भाग लिया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता मुख्य मंत्री एन चंद्राबाबू नायडू और सरकार के अतिरिक्त सचिव ए.पी.एम.गिरिजा शंकर ने की। इस अवसर पर, आंध्र प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के विकास पर आईसीएआर-सीआईएसएच और आंध्र प्रदेश की राज्य सरकार के बीच सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। Dr, S. Rajan, Director, ICAR-CISH participated in Food Processing Summit organized by State Government of Andhra Pradesh on 16 October, 2017 by celebrating World Food Day. This event chaired by chief minister N Chandrababu Naidu and presided over by secretary to government of A.P. M Girija Shankar. On this occasion, Memorandum of Cooperation (MoC) signed between ICAR-CISH and The State Government of Andhra Pradesh on development of Food Processing Sector in Andhra Pradesh. आयोजन दिनांक:- 16-10-2017 |
Training farmers from Eastern Uttar Pradesh
पूर्वी उत्तर प्रदेश के किसानों का तीन दिवसीय प्रशिक्षण उत्तर प्रदेश के पूर्वी जिलों के 30 किसानों के लिए 9 अक्टूबर, 2017 से आईसीएआर-सीआईएसएच में उपोषण फलों के उत्पादन लिए विभिन्न तकनीकों पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू हुआ। प्रशिक्षण बस्ती में स्थित आम के लिए उत्कृष्टता केंद्र द्वारा प्रायोजित है। प्रशिक्षुओं को किस्मों, फसल उत्पादन, व्याधि एवं कीट प्रबंधन और के पहलुओं के विभिन्न सिद्धांतों और व्यावहारिक पहलुओं के प्रशिक्षित किया जाएगा । यह प्रशिक्षण नर्सरी प्रबंधन बेहतर खेती की तकनीकों, मूल्य वृद्धि और पूर्व उत्तर प्रदेश में फल के लिए बड़े पैमाने पर नर्सरी स्थापित करने के लिए उपयोगी होगा। A three days training programme started on various technologies for subtropical fruit production at ICAR-CISH from 9th October, 2017 with 30 farmers from eastern districts of Uttar Pradesh. The training is sponsored by the centre of excellence from for mango situated at Basti. The trainees will be exposed to various theory and practical aspects on varieties, crop production, insect pest management and post harvest management aspects. This training will be usefull for learning various aspects of advance nursery management practices,improved cultivation practices, value addition and setting up large scale nursery for fruits in Eastern UP. आयोजन दिनांक:- 09-10-2017 |
Workshop on Methodological framework on Implementation of Farmer FIRST
संस्थान में दिनांक 3-6 अक्टूबर, 2017 को फार्मर फर्स्ट परियोजना के क्रियान्वयन हेतु कार्यविधि रूपरेखा पर एक चार दिवसीय कार्यशाला का आईसीएआर-एनएआरएम, हैदराबाद और आईसीएआर-सीआईएसएच, लखनऊ द्वारा संयुक्त रूप से आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में ग्यारह आईसीएआर संस्थान और राज्य कृषि विश्वविद्यालय जोन -2 और जोन-3 ने भाग लिया। आईसीएआर-एनएआरएएम, आईसीएआर-डीकेएमए, आईसीएआर-आईएएसआरआई और आईसीएआर-एनसीएपी के विशेषज्ञों ने गुणात्मक और मात्रात्मक प्रभाव मूल्यांकन विश्लेषण, भागीदारी प्रौद्योगिकी विकास, सहभागिता मूल्यांकन उपकरण, दस्तावेज और रिपोर्ट लेखन और डेटाबेस प्रबंधन पर प्रतिभागियों को प्रशिक्षण दिया। परियोजना प्रबंधन समिति ने आईसीएआर-सीआईएसएच की फार्मर फर्स्ट परियोजना की प्रगति की समीक्षा के लिए मलहिबाद लखनऊ के नबीपनाह और मोहम्मदनगर तालुकदारी गांवों का दौरा किया। A four day workshop on Methodological framework on Implementation of FFP was organized jointly by ICAR-NAARM, Hyderabad and ICAR-CISH, Lucknow during 3-6 October, 2017 at Institute. Eleven ICAR Institute and SAU from zone-II and zone-III participated in the workshop. Experts from ICAR-NAARM, ICAR-DKMA, ICAR-IASRI and ICAR-NCAP gave training to participants on qualitative and quantitative impact assessment analysis, participatory technology development, participatory appraisal tools, documentation and report writing and database management. Project Management Committee also visited Nabi Panah and Mohammad Nagar Talukedari villages of Malihabad to review the progress of Farmer FIRST project of ICAR-CISH, Lucknow. आयोजन दिनांक:- 03-10-2017 |
Workshop on income generation from Mushroom diversity for rural women and landless farmers
मशरूम विविधता अंगीकरण कार्यशाला भा.कृ.अनु.प.-केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, रहमानखेड़ा, लखनऊ द्धारा किसानों की आय के स्रोत को बढ़ाने हेतु ‘‘फार्मर्स फर्स्ट परियोजना’’ के अंतर्गत दिनांक 20 सितंबर 2017 को ‘‘मशरूम विविधता अंगीकरण कार्यशाला’’ का आयोजन किया गया। जिसमें लखनऊ, उन्नाव, लखीमपुर खीरी और हरदोई जिलों के 70 कृषकों ने सहभागिता की। इस कार्यक्रम में संस्थान के निदेशक डॉ. शैलेन्द्र राजन ने अगले पाँच वर्षो में कृषकों की आय को दो गुना करने हेतु मशरूम उत्पादन, मुर्गी पालन और उच्च कीमत वाली अन्तः फसलों को आम के बागों में समावेश करने पर जोर दिया। चन्द्र शेखर कृषि एवं प्रोद्यौगिक वि.वि., कानपुर के प्रो. वेद रतन ने बटन मशरूम उत्पादन की सविस्तार चर्चा की। इस अवसर पर कृषकों को मशरूम उत्पादन प्रारंभ करने हेतु मशरूम किट का वितरण भी किया गया। The income opportunities for rural women and landless labors are scanty in Malihabad, a famous mango belt in Uttar Pradesh. Viable livelihood options are needed for this most vulnerable group of farmers. In this connection ICAR-Central Institute for Subtropical Horticulture Rehmankhera, Lucknow has organized “Mushroom Diversity Adoption Workshop” on 20-09-2017 under Farmer FIRST program to augment income of this targeted group of farmers. Seventy farmers mostly rural women and small and landless farmers from Lucknow, Unnao, Lakhimpur Kheri and Hardoi districts participated in the workshop. आयोजन दिनांक:- 20-09-2017 |
सिरका बनाने की उन्नत विधि का प्रशिक्षण कार्यक्रम
दिनांक 18 सितम्बर 2017 को विज्ञान भवन, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, उ.प्र. के नवप्रवर्तन खण्ड में केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ द्वारा विकसित मीठे फलों के रस से सिरका बनाने की उन्नत विधि का प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें औद्योगिक संस्थानों एवं स्वयं सहायता समूहों के साथ ग्रामीण लोगों ने प्रतिभाग किया। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, उ.प्र. के संयुक्त निदेशकों डॉ. शशि राणा एवं श्री राधे लाल की उपस्थिति में डॉ. नीलिमा गर्ग, केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान द्वारा इस विधि से औद्योगिक स्तर पर सिरका निर्माण करने की विधि का प्रदर्शन किया गया। इस विधि से औद्योगिक एवं व्यावसायिक स्तर पर भी मीठे फलों के रस से सिरके का उत्पादन करके आय के साधनों तथा रोजगार में वृद्धि भी की जा सकती है। कार्यक्रम में प्रतिभाग करने वाले प्रशिक्षणार्थियों को परिषद के द्वारा प्रमाण पत्र भी प्रदान किये गये। आयोजन दिनांक:- 18-09-2017 |
Workshop on Sensitization on Agri incubation for Startup
कृषि स्टार्टअप विषय पर कार्यशाला भा.कृ.अनु.प.-केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान रहमानखेड़ा, लखनऊ में दिनांक 17.08.2017 को कृषि स्टार्टअप विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर संस्थान के निदेशक, डॉ. शैलेन्द्र राजन ने प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए बागवानी में उद्यमिता के बारे में अनेक दृष्टांतों के माध्यम से विस्तारपूर्वक बताया। भा.कृ.अनु.प. के विभिन्न संस्थानों से वक्ता के रूप में आये वैज्ञानिकों: डॉ. पूनम जयंत सिंह, डॉ. ए. के. शर्मा, डॉ. टी. दामोदरन ने उद्यमिता एवं कौशल विकास पर विचार प्रस्तुत किये। डॉ. सिंह ने अटल नवोन्मेषी मिशन, नीति आयोग की योजना, सीड कैपिटल, एंजिल इन्वेंटर्स और वेंचर कैपिटल आदि विषयो पर विस्तार से चर्चा की। डॉ. ए. के. शर्मा ने राष्ट्रीय उद्यमिता नीति, ई-एग्रीकल्चर स्टैटेजीएस तथा उद्यमिता विकास नीति एवं “ग्रामीण युवाओं में उद्यमिता एवं कौशल विकास” की विस्तृत पहलुओं पर जानकारी दी। डॉ. दामोदरन ने अपने संबोधन में विभिन्न जीवित उदाहरणों से बायो-फ़र्टिलाइज़र एवं बायो- पेस्टिसाइडस एंटरप्रेन्योरशिप, सीएसआर बायो-फार्मूलेशन, बायोफ़र्टिलाइज़र एक्ट 1985, सीआईबी रजिस्ट्रेशन के बारे में बताया। डॉ. तरुण अदक, आईटीएमयू के सदस्य सचिव ने किसानो को उद्यमिता एवं स्टार्टअप के लिए कौशल विकास कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षण के सम्बन्ध में जानकारी दी। Workshop on “Sensitization on Agri-incubation for Startup” was organized at ICAR-Central Institute for Subtropical Horticulture, Rehmankhera, Lucknow on 17 August, 2017. On this occasion, Dr. Shailendra Rajan, Director, ICAR-Central Institute for Subtropical Horticulture welcomed all participants and enlightened on entrepreneurship in horticulture. Dr. Poonam Jayant Singh, Dr. A. K. Sharma and Dr. T. Damodaran Scientists from different ICAR institute delivered lectures on entrepreneurship and startup. Dr. Singh from ICAR-NBFGR, Lucknow told about Atal Innovation Mission, NITI AYOG Policy, Seed Capital, Angle Inventors and Venture Capitals. Dr. Sharma from ICAR-IISS, Lucknow said about National Entrepreneurship Policy, E- Agriculture Strategies, Entrepreneur Development Policy etc. Dr. T. Damodaran, RRS, ICAR- CSSRI, Lucknow delivered a lecture on “Prospects of Entrepreneurship Development in bio-hardening and bio-formulation production venture” and Dr. Tarun Adak, ICAR-CISH, Lucknow delivered a lecture on Training need of farmers under skill development programme for Entrepreneurship and start-up. आयोजन दिनांक:- 17-08-2017 |
Workshop on Stress Management: Causes and Prevention
तनाव प्रबंधन: कारण एवं निवारण विषय पर कार्यशाला भा.कृ.अनु.प.-केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान रहमानखेड़ा, लखनऊ में दिनांक 29.07.2017 को तनाव प्रबंधन : कारण एवं निवारण विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसके उद्घाटन अवसर पर संस्थान के निदेशक, डॉ. शैलेन्द्र राजन ने समय प्रबंधन द्वारा तनाव को नियंत्रित किये जाने की सलाह दी एवं संस्थान के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को स्व-मूल्यांकन कर आत्म अन्वेषण करने के लिये कहा। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में केंद्रीय औषधीय सगंध पौधा संस्थान, लखनऊ के संयुक्त निदेशक (राजभाषा), डॉ. विजय नारायण तिवारी ने तनाव एवं उसके कारकों पर विशेष जोर देते हुए मस्तिष्क एवं हॉर्मोन्स के संबंध पर प्रकाश डाला तथा सामाजिक एवं धार्मिक पहलुओं पर भी जोर दिया। डॉ. नीलिमा गर्ग, प्रभागाध्यक्ष, तुड़ाई उपरांत प्रबंधन प्रभाग ने तनाव प्रबंधन विषय के विस्तृत पहलुओं पर जानकारी दी। A Workshop on stress management: causes and prevention was organized at ICAR-Central Institute for Subtropical Horticulture, Rehmankhera, Lucknow on July 29, 2017. On this occasion, Dr. Shailendra Rajan, Director ICAR-Central Institute for Subtropical Horticulture suggested that how to controlled stress through time management and advised to all officials & employees of institute for self evaluation and self reconnoiter. Chief Guest, Dr. Vijay Narayan Tiwari, Joint Director (Rajbhasha), CSIR- CIMAP, Lucknow focused on correlation between brain, hormones and stress that is created due to mental, physical, social and religious issues. Dr. Neelima Garg, Head, Division of Post Harvest Management discussed various issues on stress management. आयोजन दिनांक:- 29-07-2017 |
Workshop on Green Climate FundA Workshop on Climate Change was conducted in our Regional Office, NABARD, Lucknow on December 7, 2016. The Workshop was chaired by Shri A.K. Panda, CGM, NABARD, UPRO, Lucknow. From ICAR-CISH, Lucknow, Dr. Shailendra Rajan, Director, Dr. Ashok Kumar and Dr. Tarun Adak attended the Workshop. Dr. S. Rajan suggested that a follow up exercise need to be organized by NABARD for developing full-fledged Project Concept Notes. The objective of the Green Climate fund was to provide support to developing countries in combating climate change with funding by developed countries and other public and private sources. आयोजन दिनांक:- 07-12-2016 |
Sri Girdhari Lal Chadha memorial AwardDr S Rajan bagged prestigious Sri Girdhari Lal Chadha Memorial Gold medal in Fruit science for year 2016 for his significant contributions in field of Horticulture. The award was conferred to him during platinum jubilee of HSI at 7th Indian Horticulture Congress 2016" at B.P. Pal Auditorium, IARI, New Delhi. आयोजन दिनांक:- 27-11-2016 |
Brainstorming session on success storiesInstitute organized one day Brainstorming Session on Success Story on 04-10-2016 to promote awareness among scientific fraternity on documenting and writing success stories. Director Dr. Shailendra Rajan chaired the session and he spoke about ‘Success Stories under Adversities’. Dr. Maneesh Mishra elaborated on ‘How to Pen & Popularize Success Stories’, Dr. Neelima Garg deliberated on ‘Role of Scientists in Creating Success Stories’ Dr. Barsati Lal showed the Success Stories of CISH and Dr. Sharmila Roy gave examples of Successful Stories from other Institution. All Scientists participated in the session enthusiastically. आयोजन दिनांक:- 04-10-2016 |
Workshop on ‘Creating awareness’ on providing consultancy
परामर्श देने के विषय में जागरूकता पर कार्यशाला संस्थान में परामर्श देने/ठेका सेवा/अनुसंधान/प्रशिक्षण तथा कृषि प्रौद्योगिकी तैयार करने पर 29 जुलाई, 2016 को जागरूकता पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। संस्थान के निदेशक ने इस अवसर पर अपने व्याख्यान में अच्छा, बुरा उपयोगी तथा अनुकरणीय अनुसंधान पर जानकारी प्रदान की। One Day Workshop on ‘Creating awareness’ on providing consultancy/contract service/research/training and generating agricultural technology portfolio for business/entrepreneurship development/ Start-Ups” on July 29, 2016 at Institute. A lecture was delivered by the Director ICAR-CISH, Lucknow on “Good, Bad, Useful and Great Research” 29.07.2016). आयोजन दिनांक:- 29-07-2016 |
National Workshop on Sustainable Mango Production Organized
सतत आम उत्पादन पर राष्ट्रीय कार्यशाला भा.कृ.अनु.प.-केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान-क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्र, माल्दा (पश्चिम बंगाल) में 18-19 जून, 2016 को सतत आम के उत्पादन: उष्ण एवं उपोष्ण क्षेत्रों में हो रहे जलवायु परिवर्तन तथा आम विविधता पर राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया। स्वामी विश्वमयानन्द जी (सचिव, रामकृष्ण मिशन आश्रम, सर्गाची, मुर्शिदाबाद) ने डॉ. पी. के. चक्रवर्ती (सहायक महाप्रबंधक-संयंत्र संरक्षण, भा.कृ.अनु.प., नई दिल्ली), डॉ. आर. के. ठाकुर (परियोजना समन्वयक, ए.आई.सी.आर.पी.-हनी बी और पोलिनेटर), डॉ. एस. राजन, निदेशक, केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ तथा अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन किया। दस कार्यशाला में देश के विभिन्न हिस्सों से पचास आम शोधकर्ताओं, 100 आम उत्पादक और अन्य सहभागी सम्मिलित हुए। कार्यशाला में सतत आम उत्पादन के प्रासंगिक और उपयोगी विषयों को चर्चा की गयी। डॉ. पी.के. चक्रवर्ती ने कीट और रोगों के प्रबंधन के साथ-साथ आम में रासायनिक कीटनाशकों और फफूँदनाशियों के विवकेपूर्ण प्रयोग पर भी जोर दिया। डॉ. राजन ने पूर्वी भारत के किसानों के किस्मों के फार्म संरक्षण और पंजीकरण का दस्तावेज़ीकरण किये जाने पर दिया। कई विशिष्ट दिग्गजों की उपस्थिति में डॉ. पी.के. चक्रवर्ती (सहायक महानिदेशक-प्लांट प्रोटेक्शन, आईसीएआर, नई दिल्ली) ने आम डायवर्सिटी शो का उद्घाटन किया। पूर्वी और उत्तरी भारत के विभिन्न हिस्सों से आम किसानों और अन्य हितधारकों ने 350 किस्मों के आम का प्रदर्शन किया। ICAR CISH-Regional Research Station, Malda (West Bengal) organized National Workshop on Sustainable Mango Production: Challenges under Changing Climate in Tropics and Subtropics and Mango Diversity Show during June 18-19, 2016. Swami Viswamayananda Ji (Secretary, Ramakrishna Mission Ashrama, Sargachi, Murshidabad) inaugurated the workshop in august presence of Dr. P. K. Chakrabarti (Assistant Director General-Plant Protection, ICAR, New Delhi), Dr. R. K. Thakur (Project Coordinator, AICRP-Honey Bee & Pollinators) and Dr. S. Rajan (Director, CISH, Lucknow) & other dignitaries. Fifty mango researchers, 100 mango growers & other stakeholders were part of the programme from different parts of country. The workshop covered relevant and useful topics of sustainable Mango Production. Dr. P. K. Chakrabarti emphasized for integrated pests & diseases management as well as judicious use of chemical pesticides and fungicides in mango. Dr. Rajan stressed for documentation, on farm conservation and registration of farmers varieties of mango from Eastern India. The Mango Diversity Show was inaugurated by Dr. P. K. Chakrabarti (Assistant Director General-Plant Protection, ICAR, New Delhi) in the presence of many distinguished diginitaries. 350 varieties of mango were exhibited by mango growers, mango federation and other stake holders from various parts of Eastern & Northern India. आयोजन दिनांक:- 18-06-2016 |