भा.कृ.अनु.प.-केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ में आड़ू दिवस का आयोजन
भा.कृ.अनु.प.-केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ में दिनाँक 3 मई 2018 को ‘आड़ू दिवस’ (Peach Day) मनाया गया। उत्तर भारत के मैदानी भागों में उपोष्ण आड़ू की खेती की संभावना एवं किसानों की आय को दोगुना करने के संदर्भ में चर्चा की गयी। आड़ू दिवस पर मलिहाबाद, काकोरी, उन्नाव, बराबंकी, लखनऊ एवं माल के 62 से अधिक प्रगतिशील किसानों एवं पौधशाला मालिकों ने भाग लिया। संस्थान में बाहर से लाए गये कम अभिशीतन वाली आड़ू की प्रजातियो का मूल्यांकन उपरान्त फ्लोरडा प्रिंस, पंत पीच-1, शरबती, शरबती सुर्खा किस्म उत्तम पायी गयी। इन प्रजातियो में फल 40-75 ग्राम फल मिठास 15-180 ब्रिक्स तथा दूसरे वर्ष एक पेड़ से 5-7 किग्रा फलत दर्ज की गयी। किसानों ने आडू की खेती हेतु मिट्टी के प्रकार, पौध प्रर्वधन का तरीका, लगाने की दूरी, उत्तर मैदानी क्षेत्रों के लिए सबसे उपयुक्त प्रजाति, पौध की उपलब्धता, मार्केटिग एवं अन्य तकनीकी विषय पर प्रश्न पूँछे। इस कार्यक्रम में डॉ. घनश्याम पान्डे ने उपोष्ण क्षेत्रों में आम के अतिरिक्त अन्य फलेां की खेती पर विस्तृत जानकारी दी। कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. के.के. श्रीवास्तव ने आड़ू की खेती की उत्तर भारत में संभावना, आड़ू की सघन बागवानी, पौध लगाने का समय, उपयुक्त प्रजाति, पौध की सधाई, कटाई-छंटाई विषय पर जानकारी दी। आड़ू का फल ऐसे समय पर पककर तैयार होता है जिस समय बाजार मे कोई अन्य फल नही होता है अतः फल रू. 80-200 प्रति किग्रा की दर से विक्रय होता है। उत्तर भारत के मैदानी भागों में जनवरी से अप्रैल माह में आद्रता कम होती है अतः पेड़ में कीड़े एवं बीमारी आदि का खतरा नहीं रहता है। आड़ू को 3X3 मीटर पर लगाकर प्रति हेक्टेयर 1111 पौधे लगाये जाते हैं। संस्थान किसानों को पौध उपलब्ध कराने हेतु प्रयासरत है। किसानों ने आड़ू की खेती बड़े स्तर पर करने की इच्छा जताई एवं पौधशाला मालिकों ने इसके प्रवर्धन हेतु मूलवृन्त एवं सांकुर की उपलब्धता हेतु आश्वस्त किया।