आगंतुक गणना

5323882

देखिये पेज आगंतुकों

Kisan gosthi and demonstration of mango canopy management technologies

आम के बगीचों में कटाई छंटाई एवं अन्य सामयिक कार्य” विषय पर किसान गोष्ठी का आयोजन

भा.कृ.अनु.प.- केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, रहमानखेड़ा द्वारा लखनऊ जनपद के माल प्रखंड के हन्नीखेड़ा (रायपुर) ग्राम में दिनांक 21 दिसंबर, 2021 को “आम के बगीचों में कटाई छंटाई और अन्य सामयिक कार्य” विषय पर एक किसान गोष्ठी आयोजित की गई। ग़ोष्ठी में संस्थान के वैज्ञानिकों सहित क्षेत्र के 100 किसानों ने भाग लिया । कार्यक्रम का आयोजन श्री अजयपति राय के बगीचे में किया गया। श्री राय ने संस्थान की निदेशक डा नीलिमा गर्ग और अन्य वैज्ञानिकों एवम किसानों का स्वागत किया । कार्यक्रम में हन्नीखेड़ा के ग्राम प्रधान श्री सियाराम यादव ने वैज्ञानिकों को किसानों की आम सम्बंधी समस्याओं से अवगत कराया।

इस अवसर पर किसानों को संबोधित करते हुए संस्थान की निदेशक डॉ. नीलिमा गर्ग ने आम के पुराने एवम अनुत्पादक बागों को पुन: उत्पादक बनाने के लिये कटाई छंटाई की आवश्यकता और संस्थान द्वारा विकसित आम के जीर्णोद्धार की नवीनतम तकनीक अपनाने पर जोर दिया। साथ ही किसानों की अमदानी बढ़ाने हेतु आम के बगीचों में हल्दी, पैनिकम ग्रास, जिमीकंद, फर्न आदि के अंतराशस्यन पर भी बल दिया। आम के सुरक्षित डंठल सहित तुडाई, चेंप निकालना, उचित श्रेणीकरण एवम मूल्य सम्वर्धन से आम किसानों की आमदनी को कई गुना बढ़ाया जा सकत है।

इस अवसर पर संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डा सुशील कुमार शुक्ल और डा दुष्यंत मिश्र ने आम की जीर्णोद्धार तकनीक की प्रक्रिया का किसानों के समक्ष प्रदर्शन किया। उन्होंने बताया कि आम की पुरानी तकनीक में वृक्ष की सारी शाखाओं को एक साथ काटने के कारण अक्सर तना बेधक कीट के प्रकोप के कारण 20-40 प्रतिशत तक पौधे मर जाया करते थे। इसलिये तकनीक में संशोधन किया गया और अब पौधे की दो –दो शाखाओं को प्रतिवर्ष काट्कर तीन वर्ष में जीर्णोद्धार की प्रक्रिया पूरी की जाती है । वृक्ष की शाखाओं को ठूंठ छोड़ते हुए काटने का समय दिसम्बर से 15 जनवरी तक है । वृक्ष में अगर कोई बीचोबीच सीधी जाने वाली शाखा है तो उसका विरलन कर सम्पूर्ण रूप से निकाल देते हैं जिससे कि पौधे को पर्याप्त रोशनी मिल सके।

इस अवसर पर संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डा देवेंद्र पांडेय ने किसानों का आह्वान करते हुए आम की नवीनतम किस्मों यथा आम्रपाली, मल्लिका, अम्बिका, अरुणिका आदि लगाने का सुझाव दिया । फसल उत्पादन प्रभाग के अध्यक्ष डा राम अवध राम ने आम की जैविक खेती और विभिन्न जैविक उत्पादों जैसे जीवामृत, अमृतपानी, घन जीवामृत, बीजामृत, केंचुए की खाद, बायोडाय्नमिक खाद आदि बनाने के गुर सिखाये। आम के बागों में रोग और कीट प्रबंधन की जानकारी देते हुए डा पी के शुक्ल और डा गुंडप्पा ने संस्तुत दवाओं का संस्तुत मात्रा में उचित समय पर छिडकाव पर जोर दिया । अनावश्यक और अत्यधिक छिड़काव से न सिर्फ उत्पादन लागत बडः‌अतई है बल्कि फलों में जहरीले रसायन की मात्रा भी बढ़ने की सम्भावन रहती है । कार्यक्रम का संचालन डा दुष्यंत मिश्र ने और धन्यवाद ज्ञापन डा विशम्भर दयाल ने किया।

ICAR-Central Institute for Subtropical Horticulture organized a kisan gosthi and demonstration of mango canopy management technologies at Hannikhera, Raipur village in Maal block of Lucknow on December 21, 2021. On the occasion, Dr NeelimaGarg, Director of the Institute stressed the need for judicious pruning of mango trees in accordance with the age of trees as old unproductive mango trees require rejuvenation pruning while the mid age orchards need only centre opening by thinning out or few centrally located branches. She also stressed the need for safe harvesting, post-harvest handling and value addition of mango fruits in order to enhance the farmers’ income manifold. Mr. SiyaramYadav village Pradhan apprised the scientists of the problems faced by mango farmers. Mr AP Rai welcomed the Director and scientists of the Institute.

Dr. S.K. Shukla and Dr. Dushyant Mishra, Principal Scientists of the Institute not only described different steps of refined mango rejuvenation technology developed by the Institute but also demonstrated the process of pruning mango trees. In the new technology, after thinning out of centrally located branches from old unproductive trees only two branches located opposite to each other headed back leaving a stump of 1.5 – 2 m, which develops new shoots and secondary branches as desired. Remaining branches give fruiting upto 100 to 150 kg/tree in the first year. In the second year, next two branches are headed back while rests are headed back in the third year. Thus the process in completed in three years, this not only ensures regular income to farmers but also avoids damage by stem borer which otherwise may kill 20-40 % trees. There is need to grant the permission to farmers for such pruning easily by state departments in order to promote adoption of this technology.

Dr Devendra Pandey Head Crop Improvement advised the farmers to adopt newer varieties like Ambika and Arunika of mango and Shweta, Dhawal, Lalit of guava. Dr Ram Awadh Ram Head, Crop Production also described the organic production technologies and preparation of organic inputs like jeevamrit, amritpani, etc for maintaining soil health and crop productivity. Dr PK Shukla and Dr Gundappa advised the farmers for needbased spray of chemicals at critical stages to minimize the number of sprays and reduce cost of production. Dr Dushyant Mishra conducted the whole programme and Dr Vishambhar Dayal, Scientist proposed formal vote of thanks.