A group of 27 farmers and Horticulture officials from Bilaspur district, Himachal Pradesh visited the ICAR–CISH, Lucknow on June 22, 2023. Orchard visit was arranged and Scientist-Farmers interaction meeting was held in the Institute. Farmers enthusiastically participated in this interaction meeting; they were sensitized about production, improvement, protection and post harvest value addition technologies. Farmers were motivated for adoption of high density planting system for mango and guava to enhance productivity and profitability. During the interaction farmers raised questions on gummosis, mealy bug rejuvenation nutrient deficiencies, bagging, processing. Hindi literature on scientific aonla cultivation, canopy management in high density guava, disease management thrips management and bael products was distributed. Importance of soil and tree health management for quality produce was discussed in detail. Institute developed mango harvester was also demonstrated. Farmers also visited the processing laboratory and detailed discussions on pulp preparation, preservation and preparation of value added products were held with Dr A. K. Trivedi, Principal Scientist. The role of genuine planting material and development of mother blocks for raising nursery was also discussed. Dr. Naresh Babu (Principal Scientist) Dr. Tarun Adak (Senior Scientist) and Mr. Arvind Kumar (ACTO) coordinated the visit.
हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले के 27 किसानों और बागवानी अधिकारियों के एक समूह ने 22 जून, 2023 को केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान लखनऊ के प्रछेत्र का दौरा किया और संस्थान में वैज्ञानिक-किसान वार्ता आयोजित की गई। इस संवाद बैठक में किसानों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया; उन्हें उत्पादन, सुधार, सुरक्षा और फसल कटाई के बाद मूल्य संवर्धन प्रौद्योगिकियों के बारे में जागरूक किया गया। किसानों को उत्पादकता और लाभप्रदता बढ़ाने के लिए आम और अमरूद के लिए उच्च घनत्व रोपण प्रणाली अपनाने के लिए प्रेरित किया गया। बातचीत के दौरान किसानों ने गमोसिस मिली बग जीर्णोद्धार पोषक तत्वों की कमी, बैगिंग प्रसंस्करण पर चर्चा की। वैज्ञानिक विधि द्वारा आँवला की खेती, उच्च घनत्व वाले अमरूद में छत्र प्रबंधन रोग प्रबंधन, थ्रिप्स प्रबंधन और बेल उत्पादों पर हिंदी साहित्य का वितरण किया गया। गुणवत्तापूर्ण उपज के लिए मिट्टी और वृक्ष स्वास्थ्य प्रबंधन के महत्व पर चर्चा की गई। संस्थान द्वारा विकसित आम तुड़ाई हारवेस्टर का भी प्रदर्शन किया गया। किसानों को प्रसंस्करण प्रयोगशाला का भी दौरा कराया गया और प्रधान वैज्ञानिक डॉ. ए.के. त्रिवेदी के साथ आम के गूदे का प्रसंस्करण, संरक्षण और मूल्य वर्धित उत्पादों की तैयारी पर विस्तृत चर्चा की गई। नर्सरी तैयार करने के लिए वास्तविक रोपण सामग्री और मदर ब्लॉक के विकास की भूमिका के बारे में भी बताया गया। डॉ. नरेश बाबू (प्रधान वैज्ञानिक), डॉ. तरुण अदक (वरिष्ठ वैज्ञानिक) और श्री अरविंद कुमार (एसीटीओ) ने दौरा का समन्वय किया।