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ICAR-CISH celebrated 39th Foundation Day

भाकृअनुप-केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान रहमानखेड़ा में 39वां स्थापना दिवस का आयोजन

दिनांक 1 जून 2022 को भाकृअनुप-केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान रहमानखेड़ा लखनऊ ने अपना 39वां स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया । इस अवसर पर “आम का तुड़ाई उपरांत प्रबंधन” विषय पर एक किसान गोष्ठी का भी आयोजन किया गया । इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रदेश के उद्यान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दिनेश प्रताप सिंह ने संस्थान के “प्रौद्योगिकी संग्रहालय” का उदघाटन किया । इस अवसर पर बोलते हुए उन्होंने संस्थान द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों की सराहना की लेकिन इन प्रौद्योगिकियों को सरल हिन्दी भाषा छपवाकर प्रसार पत्र या फोल्डर को ग्राम प्रधानों के माध्यम से जन जन तक पहुंचाने का आह्वान किया। संस्थान द्वारा जैविक खेती और प्राकृतिक खेती के क्षेत्र मेन विकसित तकनीकों, फलों की नई नई क़िस्मों, जीर्णोद्धार तकनीक, उपेक्षित फलों और अन्य कार्यों/उपलब्धियों की भूरि भूरि प्रशंसा की । मलिहाबाद क्षेत्र की विधायक माननीय श्रीमती जय देवी भी विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं । इस अवसर पर अनुसूचित जाति परियोजना के लाभार्थियों को किट का वितरण किया गया। इस किट में किसानों को 1 आम तोड़क यंत्र, शूक्ष्म पोषक तत्व मिश्रण और जैव उत्प्रेरक दिया गया। संस्थान की कार्यकारी निदेशक डा नीलिमा गर्ग ने संस्थान के प्रारम्भ से लेकर आज तक की उपलब्धियों की चर्चा करते हुए संस्थान द्वारा विकसित आम, अमरूद, बेल, जामुन आदि फलों की संस्थान द्वारा विकसित नवीनतम क़िस्मों, फल उत्पादन, सुरक्षा और तुड़ाई उपरांत प्रबंधन और परिरक्षण द्वारा विकसित विभिन्न मूल्य संवर्द्धित उत्पादों की चर्चा की । उन्होंने बताया कि आज का संस्थान 4 सितंबर 1972 को एक आम अनुसंधान केंद्र के रूप में प्रारम्भ किया गया था जिसे 1 जून 1984 को एक पूर्ण संस्थान का दर्जा मिला । प्रारम्भ में यहाँ केवल आम पर शोध होता था लेकिन आजकल आम, अमरूद, आंवला, बेल, जामुन के साथ अन्य उपक्षित फलों और सब्जियों पर भी शोध हो रहा है । सस्न्थान के द्वारा विकसित आम की अंबिका और अरुणिकाकिसमे किस्में, अमरूद की श्वेता, ललित, धवल और लालिमा किस्में , बेल की सी आई एस एच बी-1, सी आई एस एच बी-2 किस्में और जामुन की जामवंत और जे -42 किस्में देश के विभिन्न क्षेत्रों में काफी लोकप्रिय हो रही हैं । संस्थान द्वारा विकसित आम की जीर्णोद्धार तकनीक को भी ही संशोधित कर उससे जुड़ी किसानों की समस्याओं का निवारण किया गया । नवीनतम तकनीक में किसानों को आम के जीर्णोद्धार की प्रक्रिया धीरे- धीरे 2-2 शाखाओं को ठूंठ छोड़ते हुए काटकर तीन वर्ष में पूरा किया जाता है और किसानों को जीर्णोद्धार के दौरान फल उपज भी लगातार मिलती रहती है । उन्होने अपने भाषण में आम बागवानों की समस्याओं की चर्चा के साथ साथ संस्थान द्वारा जैविक खेती और प्राकृतिक खेती पर संस्थान द्वारा विकसित तकनीक की भी चर्चा की । संस्थान द्वारा फलों के प्रवर्धन तकनीक विकसित की गयी हैं और संस्थान की पौधशाला में फलों के कलमी पौधे उचित मूल्य पर उपलब्ध हैं इस अवसर पर बोलते हुए संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डा पी एल सरोज ने संस्थान के प्रौद्योगिकी संग्रहालय के बारे में विस्तृत चर्चा की । इस संग्रहालय में संस्थान की सभी तकनीकों को विभिन्न विधियों/मॉडल/प्रदर्श द्वारा प्रदर्शित किया गया है । संस्थान द्वारा शहरों में फलों की कंटेनर में खेती एवं सब्जियों की ऊर्ध्वाधर खेती हेतु विभिन्न मॉडल विकसित किए गए हैं जोकि विक्री के लिए भी उपलब्ध हैं । इस अवसर पर किसान गोष्ठी में राज्य कृषि प्रबंध संस्थान के निदेशक डा पंकज त्रिपाठी, डा विशाल नाथ, डा अनिल वर्मा ने विविध विषयों पर किसानों को संबोधित किया । कार्यक्रम में संस्थान के वैज्ञानिकों, कर्मचारियों के अलावा क्षेत्र के लगभग 100 किसानों ने भाग लिया । कार्यक्रम का संचालन डा अंजू बाजपेई ने किया । कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन डा देवेंद्र पाण्डेय द्वारा दिया गया ।