अनुसूचित जाति उपयोजना के अंतर्गत उपोष्ण क्षेत्रों में स्ट्रॉबेरी के उत्पादन पर प्रक्षेत्र दिवस का आयोजन
भा.कृ.अनु.प.-कें.उ.बा.सं., लखनऊ द्वारा दिनांक 23 फरवरी 2021 को काकोरी प्रखंड के सरसंडा गांव में उपोष्ण क्षेत्रों में स्ट्रॉबेरी के उत्पादन पर प्रक्षेत्र दिवस का आयोजन किया गया। जिसमें माल एवं काकोरी प्रखंड के अनुसूचित जाति उपयोजना के अंगीकृत गांव सरसंडा, गोपरामऊ, हसनापुर, काकराबाद, सराय अलीपुर आदि गांवो से लगभग 120 किसानों ने भाग लिया। डॉ. अशोक कुमार (प्रधान वैज्ञानिक एवं नोडल अधिकारी अनुसूचित जाति उपयोजना) ने किसानों को संबोधित करते हुए बताया स्ट्रॉबेरी शीतोष्ण जलवायु की फसल है, परंतु उन्नत तकनीकी एवं लगन व मेहनत तथा वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन से उपोष्ण जलवायु में भी सफलतापूर्वक उगाया जा सकती है। किसानों को स्ट्रॉबेरी की खेती में मल्चिंग की उपयोगिता, खाद, सिंचाई प्रबंधन तथा फल प्राप्त करने के पश्चात कैसे पौधों को पुनः बचाया जा सकता है एवं स्ट्रॉबेरी के विपणन पर विस्तार पूर्वक जानकारी देकर प्रशिक्षित किया गया। किसानों को संस्थान की देखरेख में सरसंडा गांव के स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाले मनीष रावत एवं अयोध्या प्रसाद के प्रक्षेत्र को दिखाया गया। जिसे देखकर अन्य किसान भी स्ट्रॉबेरी की खेती करने के लिए उत्साहित हुए।
ICAR-CISH, Lucknow organized Field day on strawberries in subtropical areas at Sarasanda village of Kakori block on February 23, 2021. Around 120 farmers from SCSP adopted villages of Sarasanda, Gopramau, Hasanapur Kakrabad, Sarai Alipur etc. of Mall and Kakori blocks were participated. Dr. Ashok Kumar (Principal Scientist and Nodal Officer, SCSP) advocated the farmers and told that the strawberry is a crop of temperate climate, but it can also be grown successfully in subtropical climate with advanced technology and hard work and guidance of scientists. Farmers were trained by apprising about the utility of mulching in the cultivation of strawberries, fertilizers, irrigation management and how the plants can be saved after obtaining fruits and marketing of strawberries. The field of Manish Rawat and Ayodhya Prasad, who grow strawberries in Sarsanda village under the guidance of the institute, were shown to the farmers. Seeing this, other farmers were also excited to cultivate strawberries.