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भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद- केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान रहमानखेड़ा लखनऊ ने दिनांक अपना 41वाँ स्थापना दिवस मनाया.

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान रहमान खेड़ा लखनऊ ने दिनांक 1 जून 2024 को अपना 41वाँ स्थापना दिवस मनाया! इस समारोह के मुख्य अतिथि डॉक्टर ए के सिंह माननीय कुलपति रानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय झाँसी, ने वैज्ञानिकों का आह्वान किया कि वह गाँव-गाँव हर परिवार तक फल फसलों की पौध पहुँचाए और किसानों को फ़सल उत्पादन की महत्ता बताए! उन्होंने विशेष रूप से वैज्ञानिकों को देश के फल उद्योग में उनके अनवरत योगदान के लिए बधाई दी! उन्होंने वैज्ञानिकों का समर्थन करने और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद केंद्रीय उपोष्ण बाग़वानी संस्थान की प्रौद्योगिकियों को अपनाने और अंततः फलों और सब्ज़ियों की साल भर प्रचुर मात्रा में उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए उत्पादकों को बधाई दी! मुख्य अतिथि ने संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिकों और किसानों (श्री मनीष माहेश्वरी, श्रीमती सुनीता, श्री इकबाल अंसारी, श्री अलीम किदवाई आदि) को उनके आम अमरूद और सब्ज़ी उत्पादन तथा प्रसंस्करण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए सम्मानित किया! इससे पहले डॉ T. दामोदरन, निदेशक, लखनऊ भा.कृ.अनु.प- कें.उ.बा.सं ने सभी अतिथियों का स्वागत किया और संस्थान की गत 1 वर्ष की उपलब्धियों पर चर्चा की! संस्थान में विश्व का आम का सबसे बड़ा जर्मप्लाज्म संग्रह 775 देशी और 20 विदेशी क़िस्म के साथ बना हुआ है! इसी एक साल में अमरुद की चार प्रजातियाँ श्वेता, धवल, ललित और लालिमा राज्य क़िस्म रिलीज़ समिति से जारी कराया गया! फ़्यूजीकान्ट तकनीकी को केले के साथ-साथ अन्य फसलों की उकठा रोग को रोकने के लिए लागू किया गया! बदलते जलवायु परिदृश्य में आम की सहिष्णु प्रजातियाँ भी विकसित की जा रही है! डॉ दामोदरन ने बताया कि आम की पुराने बागों में उत्पादकता बढ़ाने के लिए नयी छत्रक प्रबंधन तकनीकी विकसित की गई! इस प्रकार से तैयार भागों में ड्रोन से छिड़काव संभव होगा, जिससे फ़सल सुरक्षा रसायनों के प्रयोग की मात्रा में बचत होगी! आम के फलों की थैला बंदी भी बहुत अधिक बढ़ायी गई जिससे रसायन मुक्त आम की उपलब्धता बढ़ेगी! आम के उकठा रोग के प्रबंधन हेतु प्रदेश के विभिन्न रोग ग्रस्त क्षेत्रों में जैविक प्रबंधन हेतु निकट भविष्य में अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन करेंगे! क्लीन प्लांट प्रोडक्शन परियोजना के अंतर्गत संस्थान को रूपये 1 अरब से अधिक के अनुदान से एक नई पौध उत्पादन इकाई का निर्माण करना है जिससे किसानों को फल फसलों की रोग मुक्त प्रमाणिक पौध मिल सके! आम के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए प्रयास किये गये और मैटवास तकनीकी के माध्यम से फलों का स्वजीवन 35 से 40 दिन तक बढ़ाया गया! अब हम समुद्री मार्ग से आम को यूरोप तक भेजने को तैयार है! दक्षिण भारतीय किसमो को इस तकनीकी के प्रयोग से समुद्री मार्ग से इंग्लैंड भेजा गया है! इस वर्ष उत्तर प्रदेश से 50 टन आम निर्यात का लक्ष्य है !सम्मानित अतिथि भा.कृ.अनु.प- भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉक्टर आर विश्वनाथन ने भा.कृ.अनु.प- कें.उ.बा.सं लखनऊ की प्रगति और प्रदर्शन की सराहना की! कार्यक्रम में संस्थान के वैज्ञानिकों, कर्मचारियों के साथ संस्थान के पूर्व निदेशक डॉक्टर शैलेन्द्र राजन परियोजना समन्वयक डॉक्टर ए के मिश्रा और प्रधान वैज्ञानिक डॉक्टर वी के सिंह आदि पूर्व में सेवानिवृत अनेक लोगों ने सहभागिता की.