आम उत्पादकों के लिए सघन बागवानी के अंतर्गत फलों की उत्पादकता को वर्ष पर्यंत बनाए रखना एक बड़ी चुनौती है। इन मुद्दों के समाधान के लिए केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान में आम में छत्र प्रबंधन पर तीन दिवसीय भारत-इज़राइल प्रशिक्षण कार्यक्रम संपन्न हुआ। प्रशिक्षण कार्यक्रम आईसीएआर-सीआईएसएच, लखनऊ, बागवानी विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार और इज़राइल दूतावास, नई दिल्ली द्वारा संयुक्त रूप से 22-24 अक्टूबर, 2024 के दौरान आयोजित किया गया । प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य बागवानी अधिकारियों को सघन रोपण प्रणाली के साथ-साथ पुराने आम के बागों में आम में छत्र प्रबंधन पर व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करना है। प्रशिक्षण कार्यक्रम में तमिलनाडु, कर्नाटक, ओडिशा, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के उत्कृष्टता केंद्र के बागवानी अधिकारीयो ने भाग लिया ! संस्थान के निदेशक डॉ. टी दामोदरन ने देश में बागवानी के विकास के लिए सहयोगात्मक कार्यक्रम के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने सीआईएसएच को प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए चुनने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के बागवानी विभाग और नई दिल्ली स्थित इजरायली दूतावास के प्रयासों की भी सराहना की। उन्होंने बताया कि विशेष रूप से उच्च घनत्व वाले रोपण के तहत क्षत्रक प्रबंधन के माध्यम से आम के गुणवत्ता वाले फल उत्पादन में सुधार की संभावना है। उत्तर प्रदेश केंद्र के संयुक्त निदेशक ने पैदावार और फलों की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए विशेष रूप से पुराने आम के बागों में कैनोपी प्रबंधन की आवश्यकता महसूस की। उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण कार्यक्रम एमआईडीएच योजना के तहत स्थापित विभिन्न उत्कृष्टता केंद्रों में वैज्ञानिक तकनीकों को बेहतर ढंग से अपनाने की सुविधा प्रदान करेगा। माशाव (इजराइल) के कृषि सलाहकार श्री उरी रुबिनस्टीन ने आम के उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादन को सुनिश्चित करने के लिए आम में कैनोपी प्रबंधन पर व्यावहारिक ज्ञान की आवश्यकता पर बल दिया। मिशन फॉर इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट ऑफ़ हॉर्टिकल्चर के सलाहकार श्री एस एन श्रीवास्तव ने कैनोपी प्रबंधन तकनीक के व्यापक प्रचार एवं प्रसार पर जोर दिया ताकि आम की उत्पादकता को बढ़ाया जा सके। डॉ. कुन्दन किशोर, प्रभागाध्यक्ष फसल उत्पादन, सीआईएसएच, लखनऊ ने बताया कि उच्च घनत्व रोपण प्रणाली के तहत कुशल इनपुट उपयोग, कीट प्रबंधन, उच्च उपज (20 टन/हेक्टेयर) और गुणवत्ता वाले फलों का उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए क्षत्रक प्रबंधन महत्वपूर्ण तकनीकी है। उन्होंने कहा कि उचित कैनोपी प्रबंधन द्वारा उच्च घनत्व वाले रोपण के तहत आम की निरंतर उपज सुनिश्चित की जा सकती है। प्रशिक्षण के दौरान डॉ. दिनेश कुमार और डॉ. दुष्यंत मिश्र ने फर्टिगेशन और जीर्णोद्धार तकनीक पर अपने अनुभवों को साझा किया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में, सीआईएसएच और आईआईएचआर के वैज्ञानिक और नेटाफिम,आईसीएल और एटीजीएस के विशेषज्ञ आम उत्पादन तकनीक के विभिन्न पहलुओं पर प्रतिभागियों के साथ अपनी विशेषज्ञता साझा किया। इसके अलावा सीआईएसएच के प्रायोगिक प्रक्षेत्रों में आम में कैनोपी प्रबंधन का प्रदर्शन भी किया गया। डॉ. ब्रह्मदेव एवं डॉ शुभम सिंह ने तकनीकि को अपनाने के लिए प्रशिक्षणार्थियों को प्रेरित किया तथा विभिन्न एजेंसियों के मध्य समन्वयन स्थापित किया।