किसानतक इंडिया टुडे समूह और केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के तत्वावधान में संस्थान के रहमानखेड़ा, लखनऊ परिसर में दिनांक 18.03.2024 को एक आम सभा का आयोजन माननीय कृषि उत्पादन आयुक्त, श्री मनोज कुमार सिंह, उत्तर प्रदेश सरकार की अध्यक्षता और पदमश्री कलीमुल्लाह, विशिष्ट अतिथि की उपस्थिति में किया गया । कार्यक्रम में भाग ले रहे गणमान्य अतिथियों और किसानो का स्वागत संस्थान के निदेशक डॉ. टी. दामोदरन द्वारा किया गया। इस अवसर पर अपने सम्बोधन में डॉ दामोदरन ने संस्थान द्वारा विकसित विभिन्न फल फसलों की प्रजातियों की विशेषताओं, आम के निर्यात को बढ़ावा देने हेतु अच्छी बागवानी पद्धतियों और फलों के स्वजीवन बढ़ाने विकसित तकनीकी की विशेष चर्चा की। आम सभा के पैनल डिस्कशन कार्यक्रम में "ये आम कुछ खास है आम बाजार, आम के आम गुठलियों के दाम, आम की दुनिया और आम का मास्टर प्लान शीर्षकों पर चर्चा की गयी और इस कार्यक्रम का सजीव प्रसारण आजतक टीवी के किसानतक चेंनेल पर किया गया । कार्यक्रम के प्रथम सत्र ये आम कुछ खास है में डा. संजय सिंह, महानिदेशक, उपकार, लखनऊ डा. वी.बी. पटेल, सहायक महानिदेशक, भा.कृ.अनु.प., नई दिल्ली और डा. विजय बहादुर द्विवेदी, निदेशक, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण निदेशालय, लखनऊ ने चर्चा में भाग लिया। इस सत्र में आम की विभिन्न प्रजातियों के महत्व, उनकी पौध की उपलब्धता और उनके बाजार भाव तथा निर्यात की संभावनाओं पर विचार-विमर्श किया गया। प्रगतिशील किसान श्री विजय सिंह, श्री उपेन्द्र सिंह (लखनऊ) एवं श्री डी.के.शर्मा (बिजनौर) ने आम के पुराने बागों की कटाई-छंटाई हेतु हुए शासनादेश के संदर्भ में किसानों को तकनीकी एवं यांत्रिक सहायता उपलब्ध कराने की आवश्यकता बताई। कृषि उत्पादन आयुक्त, श्री मनोज कुमार सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश के किसान सबसे अधिक भाग्यशाली हैं क्योंकि यहाँ 86 प्रतिशत भूमि सिंचित है, जैसा कि दुनिया में कहीं नहीं है। किसानों को नवीनवेषी तरीके से उद्यमतापूर्ण खेती करने की आवश्यकता है। आम की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार सघन बागवानी के अन्तर्गत 16 प्रतिशत क्षेत्रफल में वृद्धि करने के लिए तत्पर है। साथ ही बागवानों को समन्वित खेती के माध्यम से वर्ष भर खेती में लगे रहकर अपनी आय को बढ़ाने की आवश्यकता है। डा. ए.के. सिंह, कुलपति चन्द्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय, कानपुर ने बताया कि विश्वविद्यालय के छात्र कृषि और बागवानी की शिक्षा के माध्यम से न सिर्फ डिग्री प्राप्त करेंगे बल्कि इस शिक्षा का प्रयोग अपने गांव में करते हुए कृषि एवं बागवानी का विकास कर रहे हैं। इस अवसर पर कृषि उत्पादन आयुक्त एवं माननीय कुलपति महोदय ने विभिन्न एक पी सी एस समुदाय आधारित संस्थाओं के प्रमुखो जैसे श्री माधवेन्द्र सिंह, श्री सतीश कुमार सिंह, श्री दयाशंकर सिंह, श्री उपेन्द्र सिंह एवं श्री विजय कुमार सिंह सहित प्रगतिशील किसानो जैसे, श्री राजू सिंह, श्री राजकुमार सिंह, श्रीमती पूनम महरोत्रा आदि उन्नतिशील किसानों एवं उद्यमियों को सम्मानित किया। आम बाजार चर्चा के दौरान डा. मनीष मिश्रा, प्रधान वैज्ञानिक, सीआईएसएच श्री आसिफ रियाज़, फार्मर संस्था, श्री अकरम बेग, निर्यातक ने आम के स्थानीय, अंतर्देशीय दूरस्थ एवं अंतरराष्ट्रीय बाजार के लिए आवश्यक गुणवत्ता के आम उत्पादन हेतु विस्तार से बताया। चर्चा में स्पष्ट हुआ कि संस्थान द्वारा विकसित आम की अच्छी कृषि पद्धतियों को अपनाये बिना उच्च बाजार भाव प्राप्त करना संभव नहीं है। आम के आम गुठलियों के दाम विषय पर चर्चा के दौरान डा. कुन्दन किशोर, विभागाध्यक्ष डा. आलोक कुमार गुप्ता, वरिष्ठ वैज्ञानिक और पद्मश्री कलीमउल्ला खान ने आम के विकास के हर स्तर पर फलों की उपयोगिता के बारे में विस्तार से बताया। चर्चा में आंधी में गिरे आम से लेकर सड़े हुए आम और आम की गुठलियों तक के उपयोग और उनसे उद्यमता विकास की संभावनाओं को किसानों को ज्ञान दिया गया। आम की दुनिया विषय पर चर्चा का केन्द्र विभिन्न प्रजातियों और आपूर्तिकर्ताओं के मध्य राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर हो रही स्पर्धा रहा। आम का मास्टर प्लान विषय पर चर्चा में जलवायु परिदृश्य में आम की सफल बागवानी के विषय में डॉ. प्रभात कुमार शुक्ल, प्रधान वैज्ञानिक ने बताया कि जलवायु परिवर्तन के कारण आम के बौर के निकलने का समय अनियमित हो गया है। डॉ. शुक्ल ने बताया कि जलवायु परिवर्तन के कारण हुए अनियमिंत मौसम के कारण अधिक आंधी-तूफान, ओला बृष्टि और बेमौसम वर्षा, आम की फसल को हानि कर रहे हैं। आम का मास्टर प्लान विषय पर चर्चा में जलवायु परिदृश्य में आम की सफल बागवानी के विषय में डॉ. एच.एस. सिंह ने बताया कि जलवायु परिवर्तन का आम पर अब तक कोई वैज्ञानिक आधार प्रकाशित नहीं हो पाया है। परन्तु मौसम के व्यवहार में प्रतिकूल परिवर्तन जैसे-असमय वर्षा, तापमान में अचानक परिवर्तन, ओलावृष्टि आदि का, स्थान एवं समय के अनुसार, प्रभाव देखा जा रहा है। बौर खिलने की अवस्था पर लगने वाले कीट, असमय कोमल पत्तियों के निकलने के कारण मई-जून में प्रकोप करने लगे हैं। जिनमें थ्रिप्स, हॉपर और सेमीलूपर प्रमुख हैं। अधिक तापमान होने के कारण बहुत बड़ी मात्रा में प्रयोग किये जाने वाले कुछ कीटनाशकों का प्रभाव कम हो गया है। तापमान में उतार-चढ़ाव के कारण कीटों की संख्या में असमय वृद्धि होने लगी है।