भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-केंद्रीय उपोष्ण बाग़वानी संस्थान, लखनऊ द्वारा आम के निर्यात बढ़ाने और उच्च गुणवत्ता के आम उत्पादन विषय पर दिनांक 22.02.24 को कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के प्रारंभ में संस्थान के निदेशक डॉ. टी.दामोदरन ने सभी सहभागियों का स्वागत करते हुए संस्थान द्वारा विकसित आम के निर्यात के लिए मानक ऑपरेटिंग प्रोटोकॉल एवं आदर्श कृषि पद्धतियों को अपनाकर निर्यात योग्य गुणवत्ता के आम उत्पादन की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने किसानों से रसायनों के उपयोग में कमी लाने हेतु जैव उत्पादों के प्रयोग,फ़लो को रसायन अवशेष से मुक्त रखने के लिए फलो की थैलाबंदी एवं संस्थान द्वारा विकसित फ़सल प्रभात को भी अपनाने का आग्रह किया। डॉ. मनीष मिश्रा ने बताया कि आम के निर्यात हेतु बागों का ट्रेसिबिल्टी के लिए जियो टैगिंग एवं होर्टीनेट, एपीडा में पंजीकरण आवश्यक है, उन्होंने निर्यात को बढ़ावा देने के लिए आदर्श कृषि पद्धतियों को अपनाने और उच्च गुणवत्ता के फल निर्यात हेतु उपलब्ध कराने का आग्रह किया। डॉ. एच. एस. सिंह ने संस्थान द्वारा आम उत्पादन हेतु की गई संस्तुतियों पर संक्षेप में विवरण प्रस्तुत किया एवं सिचाई जल के बचाव के लिए नवीन सिचाई पद्धतियों को एवं पुराने भागों की कटाई-छँटाई के महत्व के बारे में अवगत कराया। इस कार्यक्रम में देहात कम्पनी के प्रतिनिधि द्वारा किसानों को कृषि इनपुट एवं विपणन के बारे में अवगत कराया गया। कार्यशाला में संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. एच. एस. सिंह, डॉ. पी. के. शुक्ल, डॉ. रवि एस. सी., डॉ. कर्मवीर, डॉ. विसंभर दयाल एवं फ़ार्मर फर्स्ट परियोजना से जुड़े मलिहाबाद के 20 प्रगतिशील बागवानों, एफपीओ स्टार्टअप एवं निर्यातक ने सहभागिता की। कार्यक्रम का समन्वय डॉक्टर मनीष मिश्रा द्वारा किया गया।