केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ द्वारा फलों के राजा आम तथा गरीब लोगों के सेब अमरुद पर कार्य किये जाने के कारण इस संस्थान का विश्व में एक महत्वपूर्ण स्थान है। संस्थान के प्रक्षेत्र जीन बैंक में आम के 762 अभिगमनों का संकलन किया गया है। तेजी से कम होते आम की मूल्यवान आनुवंशिकी के संरक्षण के लिये संस्थान के वैज्ञानिक प्रतिबö हैं। उनके द्वारा किसानों को प्रेरित किया गया है जिससे आम अनुरक्षण विविधता समिति के किसानों को आम की विविध एंव अनूठे किस्मों को सुरक्षित करने में सफलता मिली है। इसके परिणामस्वरूप 34 किसानों को पौध किस्म एवं कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण, नयी दिल्ली में पंजीयन हेतु अनुशंसित किया गया। इसके अलावा सामुदायिक पौधशालाओं को स्थापित किया गया तथा इसके बाहर गैर-वाणिज्य 1000 प्रकार के कलमी पौधों का उत्पादन किया गया।
केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ द्वारा विकसित आम एवं अमरूद की विभिन्न किस्मों को देश के सभी हिस्सों के उपभोक्ताओं öारा स्वीकार किया गया। अमरूद की ललित किस्म ने अलग-अलग हिस्सांे में प्रभावशाली बढोत्तरी की जिसके कारण वाराणसी के कुछ हिस्सों जहाँ सब्जियाँ पैदा की जाती थी वहाँ भी ललित किस्म की बागवानी की गयी। इसके अतिरिक्त ललित किस्म का फैलाव महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश एंव तमिलनाडु के दूर-दराज स्थानों में भी हुआ है। संस्थान द्वारा विकसित अमरूद की दो किस्मों धवल एवं लालिमा को उत्तर प्रदेश के महामहिम राज्यपाल महोदय श्री राम नाइक ने 22 जून, 2015 को पर्यटन भवन में जनहित में जारी किया गया।
संस्थान ने किसानो, पौधशाला कर्मियों, कृषि विज्ञान केंन्द्रो तथा राज्य सरकारांे को पौधशाला की स्थापना के समय से अब तक 802742 उच्च गुणवत्ता वाली पौध सामग्री उपलब्ध कराई है।
संस्थान द्वारा आम एवं अमरूद में लगने वाली फल मक्खी के गैर रासायनिक प्रबंधन को संस्तुति दी गयी है। इसके लिए लकड़ी के ब्लैक ट्रैप में संलिप्त मिथाइल यूजेनाल के उपयोग का भी संस्तुतिकरण किया। कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से लगभग दस हज़ार ट्रैप्स को किसानों में वितरित किया गया। इससे लखनऊ, उन्नाव, सीतापुर, हरदोई और रायबरेली सहित पांच जिलों के लगभग 1000 हेक्टेयर क्षेत्रफल को लाभ हो रहा है। केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान ने देश भर में आंवला की पैदावार के मूल्यवर्धन के उद्देश्य से आंवला के फल से एक अनूठा किण्वित, पोषक एवं स्फूर्तिदायक पेय बनाया है जो हाल में बाजार में उपलब्ध हुआ है। इसके उत्पादन की प्रौद्योगिकी को उत्तर प्रदेश के जगदीशपुर औद्योगिक क्षेत्र के प्रौद्योगिकी एवं औद्योगिक विकास केंद्र को स्थानांतरित किया गया है। इसके अतिरिक्त आंवला बिस्कुट तथा आंवला की प्रौद्योगिकी भी हस्तांतरित की गयी। हाल ही में केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ के नेतृत्व में राष्ट्रीय बीजीय मसाला अनुसंधान केन्द्र, अजमेर के सहयोग से विकसित की गयी सोया, सौंफ तथा धनिया आधारित स्क्वैश एवं आर.टी.एस. की 6 तकनीकी डा. एस. अय्यपन, महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद एवं डा. एन. के. कृष्णकुमार, उप महानिदेशक (बागवानी विज्ञान) की उपस्थिति में एच.डी.एन. फारमर कम्बाइन, नयी दिल्ली को हस्तांतरण की गयी।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नयी दिल्ली के स्टूडेंट रेडी कार्यक्रम के अंतर्गत, संस्थान ने इंटीग्रल विश्वविद्यालय, लखनऊ, इलाहाबाद स्थित सैम हिग्गिन्बॉटम कृषि एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ, बुंदेलकर विश्वविद्यालय, झाँसी तथा लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ के विद्यार्थियों के लिए स्नातकोत्तर एवं पी एच डी कोर्सों के लिए समझौता ज्ञापन किया हुआ है। संस्थान को नई दिल्ली के इग्नू ने जैविक खेती पर सर्टिफिकेट कोर्स उपलब्ध कराने के लिए एक पाठ्यक्रम केंद्र निर्धारित किया है।
भारत सरकार के स्वच्छ भारत अभियान को संस्थान अत्यंत उत्साह के साथ लागू कर रहा है। संस्थान के अधिकारियों ने न केवल समय-समय पर संस्थान के परिसरों की सफाई की बल्कि उन्होंने आस-पास के स्कूलों, पंचायत भवन तथा मलिहाबाद एवं काकोरी के रेलवे प्लेटफाॅर्मों की भी सफाई की। राजस्थान तथा मध्यप्रदेश देश के दो महत्वपूर्ण राज्य हैं जहाँ के कुछेक जिलों में जनजातीयों की अच्छी संख्या है। भारत सरकार के जनजातीय उपयोजना के अंतर्गत उपलब्ध वित्तीय समर्थन के परिणामस्वरूप संस्थान ने उदयपुर स्थित एमपीएयूटी, ग्वालियर के आरवीएसकेविवि तथा जबलपुर के जेएनकेविवि के साथ सहयोग कर आम, अमरूद तथा अन्य उपोष्ण फलों के क्षेत्र के विस्तार तथा उत्पादकता बढ़ाने पर जोर दिया। कृषि विज्ञान केन्द्र की पौधशालाओं को मजबूत करने के अलावा गुणवत्ता वाले पौध सामग्री के गुणन हेतु मात्रीखण्ड तैयार करने का भी प्रयास किया गया। संस्थान को दिनांक 26 मार्च, 2015 को आई. एस. ओ. 9001 प्रमाणपत्र से प्रत्यायित किया गया। हमारे संस्थान भा.कृ.अनु.प.-केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ में भी भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नयी दिल्ली के दिशा निर्देशों के तहत दिनांक 5 दिसम्बर, 2015 की विश्व मृदा दिवस का आयोजन किया जायेगा। इसमें संस्थान द्वारा किसानों में जागरूकता एवं आपसी तालमेल बढ़ाने के लिए मेरा गांव मेरा गौरव नामक कार्यक्रम के अन्तर्गत 40 गांवों का चयन किया गया है। इन चयनित गांवों की समग्र विकास का प्रयास जारी है। इसी क्रम में 20 गांवों के किसानों की भूमि का परीक्षण भी कराया गया तथा किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड भी वितरित किया गया ।
किसानों के मुद्दों को हल करने के लिये किसानों के साथ पारस्परिक संवाद स्थापित किया जा रहा है। वर्ष 2014-15 के दौरान मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखण्ड से 1314 किसानों ने संस्थान का भ्रमण किया तथा यहाँ विकसित प्रौद्योगिकीयों से परिचित हुए। इसके अलावा स्नातक एवं स्नात्कोत्तर स्तर के राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के 224 विद्यार्थियों ने भी संस्थान का भ्रमण किया तथा बागवानी विज्ञान ने प्रौद्योगिकी विकास एवं उन्नयन की जानकारी प्राप्त की। संस्थान देश के कृषि विशेषकर बागवानी समुदाय की अपने प्रौद्योगिकीयों द्वारा सेवा करने हेतु प्रयत्नशील है। बागवानी के क्षेत्र में इन प्रौद्योगिकियों का विकास एवं कुशल मानव संसाधन का प्रसार ही संस्थान का अधिदेश एवं उद्देश्य रहेगा।